पौराणिक मान्यता है कि शिव अंचल हैं, आदि है, अनादि हैं, आरंभ हैं और अंत भी. शिव कि इसी परिभाषा का हकीकत गढ़ता है वो शिव दरबार जिससे जुड़ा है सिंधियाओं का इतिहास. दावा किया जाता है कि इस दरबार में विराजमान भोलेनाथ के शिवलिंग अवतार को हाथियों की ताकत से जमीन से निकलवाने की कोशिश की गई थी. लेकिन वो शिव की ही शक्ति थी, कि ना तब शिव को कोई ताकत हिला सकती थी, और ना ही आज इस शिवलिंग को कोई कुदरती आफत हिला पाई है.
In the mythology it is believed that Lord Shiva is the beginning and the end as well. The reality of this definition of Shiva is created by the Shiv Darbar with which the history of the Sindhis is related. It is claimed that an attempt was made to get the Shivling incarnated out of the ground with the power of elephants. But it was the power of Shiva, that neither any power could shake Shiva then, nor today any natural calamity has been able to shake this Shivling.