चित्रकूट में विंध्य की पहाड़ी पर विराजमान हैं, बजरंग बली. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए काफी चढ़ाई करनी पड़ती है. इस दरबार में भगवान हनुमान भक्तों का कल्याण करते हैं. हनुमान धारा के इस तीर्थ के बारे में कहा जाता है कि इस धारा का जल हनुमान जी को स्पर्श करते हुए बहता है इसलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं. इसके दर्शन से व्यक्ति का तनाव खत्म हो जाता है और उसकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. हनुमान जी ने चित्रकूट आकर विंध्य पर्वत श्रंखला की एक पहाड़ी में श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ 1008 बार किया. जैसे ही उनका अनुष्ठान पूरा हुआ ऊपर से एक जल की धारा प्रकट हो गयी. जलधारा शरीर में पड़ते ही हनुमान जी के शरीर को शीतलता प्राप्त हुई. आज भी यहां वह जल धारा के निरंतर गिरती है.
Hanuman Dhara is the name of the spring which sprouted from a rock when Lord Ram shot an arrow into it to calm down an enraged Hanuman when he came to this place to extinguish the fire that was caught in his tail after he returned from burning Lanka.There is a stream of water falling upon the deity of lord Hanuman releasing in a kund and there are langoors in this area which are well associated with Hanuman.