मुंबई हमले का गुनहगार आतंकी तहव्वुर राणा कभी पाकिस्तानी सेना का डॉक्टर हुआ करता था. वो अभी NIA की रिमांड पर है. NIA के हेडक्वार्टर में DIG जया रॉय और उनकी टीम उससे पूछताछ कर रही है. आज सुबह 11 बजे उसे NIA के लॉकअप से निकाला गया. और फिर उससे दो-दो कैमरे के सामने पूछताछ शुरू हुई. 18 दिनों की रिमांड के दौरान उससे जो पूछताछ होगी. उससे 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले की परत-दर-परत खुलेगी.
पिछले कुछ सालों में तहव्वुर राणा कितना बदल गया है. राणा की ये तस्वीर पालम एयरपोर्ट की है. एनआईए के अफसरों के बीच खड़ा तहव्वुर राणा, काफी कमजोर और उम्रदराज नजर आ रहा है. उसकी एक तस्वीर जो हमने देखी है, वो कुछ साल पहले की है. पालम एयरपोर्ट पर उतरने के बाद वही पर राणा के मेडिकल किया गया. इसके बाद उसे पटियाला हाउस कोर्ट ले जाने की तैयारी है. जहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. सुरक्षा के ऐसे ही इंतजाम एनआईए के मुख्यालय पर भी किए गए हैं, जहां राणा को ले जाया जाएगा. इससे पहले आज शाम करीब साढे 6 बजे तहव्वुर राणा को लेकर एनआईए की स्पेशल टीम अमेरिका से पालम एयरपोर्ट पहुंची.
भारत को कूटनीतिक स्तर पर बड़ी जीत मिली है. मुंबई हमले की चार्जशीट में तहव्वुर राणा का नाम आने के बाद भारत ने उसे वापस भारत लाने की पहल की. अमेरिका से कहा कि वो प्रत्यर्पण के जरिये तहव्वुर राणा को सौंप दे ताकि 26-11 मामले में उसे अदालत के जरिये सजा दी जा सके।.हालांकि इस मामले में अदालती प्रक्रिया की वजह से वक्त लगा. तहव्वुर ने निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च अदालत तक में याचिका दी. भारत नहीं भेजे जाने के लिए बहाने बनाए पर सरकार और जांच एजेंसियों ने मजबूती से अपना पक्ष रखा. और अदालतों ने राणा की याचिकाएं खारिज कर दीं. अब से कुछ घंटे बाद ही तहव्वुर राणा को लेकर विशेष विमान भारत पहुंचने वाला है. देखिए ये रिपोर्ट.
ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस अब इतिहास में शामिल हो चुका है. ये संगठन कभी कश्मीर में अलगाववाद का एजेंडा चलाता था. पाकिस्तान की शह पर इसके नेता, भारत विरोधी माहौल बनाते थे. मगर 370 हटने के बाद कश्मीर की ऐसी सूरत बदली कि, ये संगठन हाशिए पर चला गया. और सरकार की सख्ती का असर ऐसा हुआ कि कई नेताओं ने संगठन से किनारा कर लिया. आज जब अमित शाह श्रीनगर में मौजूद थे, तीन बड़े नेताओं ने ना सिर्फ हुर्रियत छोड़ दी. बल्कि उसकी सोच पर सवाल खडे किए। खुशी की बात ये है कि हुर्रियत का साथ छोड़ने वाले नेताओं ने भारतीय संविधान के प्रति आस्था जताई है और मुख्य धारा की राजनीति में शामिल होने के लिए तैयार हैं. देखिये ये रिपोर्ट
गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं. उन्होंने कठुआ में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास BSF कैंप का दौरा किया और जवानों से मुलाकात की. शाह ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया और कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंक की कोई साजिश अब कामयाब नहीं होगी. इस बीच, ट्रंप के टैरिफ युद्ध के कारण भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ.
प्रधानमंत्री मोदी और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात से हम शुरुआत करेंगे. मोहम्मद यूनुस बैंकॉक में बिम्स्टेक सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी से मिलना और बातचीत करना चाहते थे। हालांकि कुछ दिन पहले ही उन्होंने चीन में जिस तरह भारत के मामले में विवादित बयान दिया था, उसके बाद भारत का रूख सख्त था। मगर पीएम मोदी उनसे आज मिले। और साफ कह दिया कि वो बांग्लादेश में जल्दी से जल्दी एक चुनी हुई और स्थायी सरकार चाहते हैं। पीएम ने हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर चिन्ता जताई. बहरहाल, बैंकॉक में दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया है। लेकिन सवाल है कि क्या दिल भी मिलेंगे। क्या यूनुस भारत के साथ रिश्ते बेहतर करने की कोशिश करेंगे? देखिये ये रिपोर्ट.
पीएम मोदी जब प्रधानमंत्री बैंकॉक पहुंचे तो उन्हें देखने, उनसे मिलने के लिए बड़ी तादाद में भारतीय समुदाय के लोग जुटे. और इस दौरान भारतीय संस्कृति के खूबसूरत रंग नजर आए. थाइलैंड में अपने लोगों से मिलते हुए प्रधानमंत्री मंत्रमुग्ध थे और जो प्रधानमंत्री को देखने आए थे उनकी आंखों से खुशी छलक रही थी. देखिये ये रिपोर्ट.
मंगलवार को पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन किया. गोलीबारी की. उसकी कोशिश आतकियों को घुसपैठ कराने की थी मगर भारतीय सेना ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया. गोली का जवाब गोली से दिया गया. खबर है कि भारत की तरफ से हुई फायरिंग में कई पाकिस्तानी सैनिक जख्मी हुए हैं. ये जवाब पाकिस्तान के लिए मैसेज है कि अगर घुसपैठ की कोशिश की, तो बारूदी जवाब मिलेगा। देखिए हमारी ये रिपोर्ट.
आमतौर पर शांत रहने वाले नेपाल में शुक्रवार को जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ. राजशाही की बहाली की मांग कर रहे लोगों को जब रोकने की कोशिश हुई तो भीड बेकाबू हुई और फिर जमकर हिंसा हुई. हालात ऐसे हो गए कि पुलिस के साथ सेना को भी मोर्चा संभालना पड़ा. इस हिंसा में बेहिसाब लोग और पुलिसवाले घायल हुए हैं. सख्ती के बाद फिलहाल माहौल शांत है. लेकिन ये शांति कब तक है, कोई नहीं जानता। क्योंकि लोगों में गुस्सा है, राजशाही के समर्थक हर हाल में पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र की वापसी चाहते हैं. देखिये काठमांडू से हमारी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
बलूचिस्तान में बलोच आजादी के लिए सब कुछ दांव पर लगा चुके हैं करो या मरो का फैसला कर चुके हैं। यही वजह है कि ईद के मौके पर भी विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी है. महरंग और सम्मी बलोच की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। लेकिन पुलिस ने इस बात का ख्याल नहीं किया कि आज ईद है. उसने निहत्थे लोगों पर फायरिंग शुरू कर दी। खबर है कि बड़ी तादाद में लोग जख्मी हुए हैं. देखिये ये रिपोर्ट
आज हम बात कर रहे हैं बलूचिस्तान की जो आजादी की मांग के साथ विद्रोह के रास्ते पर बहुत आगे निकल चुका है. पाकिस्तान के इस सबसे बड़े सूबे में इस वक्त पाकिस्तानी सरकार का नहीं, बल्कि बलोच लड़ाकों का राज है. शहरों पर उनका कब्जा है. हाईवे पर उनका ही कंट्रोल है. बलोच की बहादुर बेटियों, यानी महरंग और सम्मी को जेल में डालकर, सरकार ने सोचा था कि बगावत रोक लेगी पर अब तो हजारों की तादाद में लोग सड़कों पर उतर चुके हैं.