आज हम बात कर रहे हैं बांग्लादेश की जहां इंसाफ के नाम पर मजाक हो रहा है. देशद्रोह के एक फर्जी मामले में गिरफ्तार किए गए चिन्मय प्रभु को जमानत नहीं मिली. आधे घंटे की सुनवाई में अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी. एक लाइन में कह दिया कि देशद्रोह के मामले में जमानत नहीं हो सकती जबकि अदालत में उनके खिलाफ एक भी सबूत पेश नहीं किया गया. साफ है कि बांग्लादेश की अदालत भी उसी कट्टरवादी सोच के दबाव में है, जो यूनुस सरकार को चला रही है.