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राजनीति का मारा Loudspeaker बेचारा! सुनें लाउडस्पीकर की कहानी कवियों की जुबानी

कहते हैं वो कवि ही क्या जो लाउड ना हो, और वो कविता ही क्या जिसमें लय वाली साउंड ना हो. कवियों की दुनिया में तिल का ताड़ बनता है. तो कभी-कभी राई का पहाड़ बनता है. मंदिर मस्जिद पर लगने वाले, नेता की रैलियों में सजने वाले लाउडस्पीकर पर आज सजी है कवियों की महफिल और निकल गया है मुद्दों वाला लाउडस्पीकर. तो क्या है मुद्दों के लाउडस्पीकर से कवियों का आवाज, और क्या है कवियों का लाउडस्पीकर पर अनूठा अंदाज. ये आज हम आपको इस कवि सम्मेलन में बताएंगे.

It is said that what is the poet that is not loud, and what is the poem which does not have a rhythmic sound. Sesame palm is made in the world of poets. So sometimes a mountain of mustard is formed. Today, the gathering of poets is adorned on the loudspeakers adorning the leaders' rallies and the loudspeaker with issues has gone out. So what is the voice of the poets from the loudspeaker of the issues, and what is the unique style of the poets on the loudspeaker. Today we will tell you this in this poetic conference.