यमुना को स्वच्छ बनाना है और ये काम हमें और आप सभी दिल्ली के लोगों को सरकार के साथ मिलकर करना है. जिस तरह हम अपने घरों में साफ-सफाई का ख्याल रखते हैं. उसी तरह नदियों का भी हमें ध्यान रखना होगा. किसी दूसरे पर ठीकरा फोड़कर इस समस्या को नजरअंदाज किया जा सकता है. मगर इस समस्या से उबरने के लिए हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी. आखिर हमारी कौन सी वो वजह हैं जिनसे यमुना मैली हो रही हैं. आइये सबसे पहले इसी पर बात करते हैं. हम अपने घरों में पूजा करते हैं और पूजा के बाद सामग्री यमुना में प्रवाहित कर देते हैं. एक पल के लिए भी ये नहीं देखते कि हम क्या-क्या चीजें नदी में बहा रहे हैं और ये हमारे पर्यावरण के लिए कितना खतरनाक हो सकता है. अगर इसी आदत को हम बदल सकें तो यमुना में काफी हद तक पॉल्यूशन कम हो सकता है. दूसरा काम हम ये कर सकते हैं कि घाटों पर पूजा पाठ के बाद गंदगी न फैलाकर जाएं. अगर कुछ गंदगी हो भी गई है तो घाटों को साफ कर दें. ना कि सफाई कर्मी के भरोसे बैठे रहें. हम यमुना घाटों की सफाई में भी योगदान कर सकते हैं. दिल्ली में ऐसे कई NGO हैं, जो यमुना सफाई के मिशन में जुटे हुए हैं. हफ्ते या महीने में एक दिन हम इस काम के लिए निकाल सकते हैं. क्योंकि यमुना सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि दिल्ली की पहचान भी है और इसको बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है. तो आज इसी मुद्दे पर हम विस्तार से बात करेंगे.