एक तरफ जहां नवरात्रि के पावन पर्व पर देश भर के मंदिरों की रौनक देखने लायक है तो वहीं बाजार भी गुलजार हैं. यानी शक्ति के साथ समृद्धि का वास है लेकिन एक दौर वो भी था, जब हमारे बाजार चीन से बनी चीजों से पटे रहते थे. आलम ये होता था कि त्योहार हम मनाते थे, मगर जगमगाते चीन के शहर थे. धीरे-धीरे वक्त ने करवट ली और अब वोकल फॉर लोकल का नारा शहर-शहर गूंज रहा है. चीन का माला हमारे बाजारों से गायब हो चुका है.