पॉक्सो एक्ट के तहत अपराधियों को बेल मिलना बहुत कठिन है, फिर भी कुछ अपराधी बार-बार बेल पर छूट जाते हैं और वही अपराध दोहराते हैं. कोर्ट और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठते हैं. पोक्सो एक्ट 2012 में लाया गया था ताकि नाबालिगों के साथ यौन अपराध करने वालों को सख्त सजा दी जा सके. इसके बावजूद बेल और परोल की प्रक्रिया में खामियों की वजह से अपराधियों को बार-बार छूट मिलती है. कानून के सख्त इम्प्लिमेंटेशन की जरूरत है. पोक्सो एक्ट 2012 में लाया गया था ताकि नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के मामलों में सख्त सजा दी जा सके. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि 2018 से 2022 तक हर साल 30,000 से ज्यादा बलात्कार के मामले सामने आए. कानून सख्त होने के बावजूद अपराधियों को बार-बार बेल मिल रही है और वे फिर से अपराध कर रहे हैं. इस मुद्दे पर विशेषज्ञों का कहना है कि कानून के इम्प्लीमेंटेशन में कमी है. पुलिस और कोर्ट की कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे हैं. इस समस्या के समाधान के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है.