Shooting: बेंगलुरी की तिलोत्तमा सेन ने ऐसा कर दिखाया है, जिस पर न सिर्फ उनके मां-बाप को बल्कि पूरे देशवासियों को फक्र हो रहा है. जी हां, तिलोत्तमा सेन ने सिर्फ 15 साल की उम्र में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है. वह ऐसा कर सबसे कम उम्र की भारतीय बन गई हैं. वह 2024 में होने वाले पेरिस ओलंपिक में भारत की ओर से खेलती हुई नजर आएंगी.
एशियन चैंपियनशिप में जीता सिल्वर
कोरिया के चांगवोन में चल रही एशियाई चैंपियनशिप में तिलोत्तमा ने महिला वर्ग के 10 मीटर एयर राइफल में सिल्वर मेडल जीत पेरिस ओलंपिक में अपनी जगह पक्की की है. तिलोत्तमा ने फाइनल में 252.3 अंक बनाकर भारत के लिए दसवां कोटा हासिल किया. वह स्वर्ण पदक से मामूली अंतर से चूक गईं. कोरिया की युंजी क्वोन ने 252.4 अंक के साथ स्वर्ण जीता.
बचपन में खेलती थीं कराटे और वॉलीबॉल
तिलोत्तमा ने एक इंट्रव्यू में बताया था कि उन्हें बचपन में कराटे और वॉलीबॉल खेलना पसंद था. जब कोरोना आया तो मेरा सारा समय कार्टून देखने में चला जाता था. मैं छोटा भीम देखती थी. इसके बाद मेरे पिता सुजीत सेन ने बेंगलुरु के पास स्थित एक शूटिंग एकेडमी में डाला था. बस वहीं से मेरे अंदर शूटिंग के लिए प्यार जागा.
अभी अभिनव बिंद्रा के नाम है रिकॉर्ड
ओलंपिक में भाग लेते ही तिलोत्तमा सबसे कम उम्र का निशानेबाज में भारत की ओर से भाग लेने का अभिनव बिंद्रा का रिकॉर्ड तोड़ देंगी. बिंद्रा ने जब साल 2000 में सिडनी ओलंपिक में भाग लिया था, तब वह 17 साल के थे.
अपने प्रदर्शन से बहुत खुश हूं
तिलोत्तमा ने कहा कि मैं आज अपने प्रदर्शन से बहुत खुश हूं, मैं इस बात से इनकार नहीं करूंगी कि मैं दबाव में थी. पदक और कोटा के बाद राहत मिली. मैंने अपनी जगह वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत की. तिलोत्तमा केवल कुछ महीने की थी जब बिंद्रा ने 2008 में बीजिंग में भारत के लिए पहला व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीता था. तिलोत्तमा ने कहा कि जब मैंने शूटिंग शुरू की, तब मैंने उनके (अभिनव) वीडियो देखा करती थी.
कोचों को कड़ी नजर रखनी होगी
तिलोत्तमा ने कहा कि मेरे माता-पिता अभिनव बिंद्रा के स्वर्ण से प्रेरित थे और चाहते थे कि मैं भी ऐसा करूं. उधर, बिंद्रा ने कहा कि वह अपने पदक से युवा निशानेबाजों को प्रेरित होते देख खुश हैं. उन्होंने कहा, मुझे यह सुनकर खुशी हुई कि बीजिंग में मेरी जीत ने तिलोत्तमा को प्रेरित किया. इतनी कम उम्र में तिलोत्तमा की अभूतपूर्व सफलता भारतीय निशानेबाजी में मौजूद प्रतिभा की गहराई का प्रमाण है. वह अभी भी बढ़ रही है और उसके कोचों को कड़ी नजर रखनी होगी ताकि वह अगले कुछ वर्षों में अपनी तकनीक को उसके अनुसार ढाल सके.
निशानेबाज अर्जुन ने भी हासिल किया ओलंपिक कोटा
भारतीय निशानेबाजों अर्जुन बाबुता ने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतकर पेरिस ओलंपिक का कोटा हासिल किया. 24 वर्ष के बाबुता ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले भारत के नौवें निशानेबाज बन गए. महिला और पुरुष वर्ग में पेरिस ओलंपिक का कोटा हासिल करने वाले वह सातवें राइफल निशानेबाज बन गए. उन्होंने कहा, मुझे याद नहीं कि आखिरी बार इतना खुश कब हुआ था.
यह टीम प्रयासों से संभव हुआ, जिसमें कोचों, मनोवैज्ञानिकों और हर किसी का योगदान है. अब इससे बेहतर प्रदर्शन का प्रयास करेंगे. बाबुता, दिव्यांश सिंह पंवार और ह्रदय हजारिका ने 1892.4 के स्कोर के साथ स्वर्ण पदक भी जीता. भारत की ही रमिता को कांस्य पदक मिला. भारतीय निशानेबाजों ने राइफल में सात कोटा स्थान, शॉटगन में दो और पिस्टल में एक कोटा हासिल किया है. 10 मीटर एयर राइफल में इससे पहले रूद्रांक्ष पाटिल ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके हैं.