
सहारनपुर के युवा एथलीट शिवम की कहानी संघर्ष और हौसले की मिसाल है. शिवम के दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को कभी अपने रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया. शिवम ने स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल जीता है और नेशनल गेम्स में मेडल पाना चाहते हैं. इतना ही नहीं, शिवम का सपना ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का है. उनकी कहानी दूसरे युवाओं के लिए प्रेरणा है.
टीवी देखकर एथलीट बनने का आया आइडिया-
20 साल के शिवम कुमार एथलीट है. बचपन में जब उनको यह एहसास हुआ कि उसके हाथ नहीं हैं, तो कुछ समय तक वह निराश रहे, लेकिन फिर उन्होंने पैरों से लिखना सीखा और पढ़ाई में ध्यान लगाया. आज वह JV जैन कॉलेज से MA प्रथम वर्ष के छात्र हैं. शिवम की खेलों में दिलचस्पी पहले क्रिकेट में थी, लेकिन एक दिन टीवी पर अपने जैसे बच्चों को दौड़ते देखा तो उन्होंने एथलेटिक्स की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया.
स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल जीता-
इसके बाद उन्होंने अकेले स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरू की. फिर उनको कोच पॉपीन कुमार मिले. शिवम 1500 मीटर और 800 मीटर की दौड़ में अभ्यास करते हैं. अब तक उन्होंने तीन बड़ी मैराथन में भाग लिया है. शिवम 21 किलोमीटर, 10 किलोमीटर और कई लोकल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं. उसके पास एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल है. उन्होंने स्टेट लेवल पर गाजियाबाद और बरेली में हिस्सा लिया. उन्होंने अहमदाबाद में भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाई.
ओलंपिक मेडल जीतने का है सपना-
शिवम का कहना है कि हाथों के बिना दौड़ना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि शरीर का संतुलन हाथों से ही बनता है. लेकिन फिर भी वह दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं. उनकी कोचिंग और मेहनत का ही नतीजा है कि वह स्टेट लेवल पर मेडल जीत चुका है और अब नेशनल और ओलंपिक लेवल की तैयारी कर रहे हैं. उनका सपना है कि वह भारत के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाएं.
शिवम का मानना है कि अगर किसी इंसान के शरीर का कोई अंग नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह कुछ नहीं कर सकता. दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन से कोई भी अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है. वह यह भी बताता है कि शुरुआत में उसे पानी पीने, कपड़े बदलने जैसी रोजमर्रा की चीजों में बहुत कठिनाई होती थी, लेकिन आज उसके साथी खिलाड़ी उसकी बहुत मदद करते हैं.
कोच पॉपीन कुमार कहते हैं कि जब उन्होंने पहली बार शिवम को स्टेडियम में अकेले बैठे देखा, तब उन्हें नहीं पता था कि वह इतना आगे जाएगा. लेकिन उसकी मेहनत और लगन देखकर उन्होंने उसे एथलेटिक्स में आने को कहा और आज वह एक प्रेरणादायक उदाहरण बन चुका है.
(सहारनपुर से राहुल कुमार की रिपोर्ट)
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