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29 July 1980 को ही भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में आखिरी बार जीता था स्‍वर्ण, वासुदेवन के नेतृत्व में युवा टीम ने ऐसे जमाया था कप पर कब्जा

Indian Hockey Team ने ओलंपिक खेलों में 1928 से 1956 के बीच लगातार 6 बार स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था. इसे भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग कहा जाता है. आखिरी बार भारत ने 1980 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था.

1980 के ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता था (फोटो सोशल मीडिया) 1980 के ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता था (फोटो सोशल मीडिया)
हाइलाइट्स
  • भारतीय खिलाड़ियों ने मैच पर शुरू से ही बना ली थी पकड़ 

  • भारत ने स्पेन को 4-3 के अंतर से हराया था 

29 जुलाई का दिन भारतीय हॉकी के लिए बहुत खास है. जी हां, साल 1980 में इसी दिन वासुदेवन भास्करन के नेतृत्व में भारत की युवा टीम ने ओलंपिक खेलों में आखिरी बार हॉकी का स्वर्ण पदक जीता था. 1980 के बाद कई ओलंपिक में भारतीय टीम ने हिस्सा लिया लेकिन एक बार भी गोल्ड मेडल टीम इंडिया नहीं जीत पाई. आइए आज उस मैच के बारे में जानते हैं.

आजादी के बाद भारतीय टीम ने जीत की बनाई थी हैट्रिक 
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने आजादी के बाद 1948, 1952 और 1956 में खिताब जीतकर हैट्रिक बनाई थी. इसके बाद पाकिस्तान ने 1960 के ओलंपिक फाइनल में उस स्वर्णिम लय को तोड़ा. हालांकि, भारत ने 1964 में अपने पड़ोसी को एक बार फिर धूल चटाई थी. भारत ने 1968 और 1972 के ओलंपिक में कांस्य पदक के साथ संतोष किया. 1976 के संस्करण में वो तब तक के अपने सबसे निचले स्तर (सातवें पायदान) पर पहुंच गई. इसके बाद 1980 के ओलंपिक खेलों में टीम से उतनी अपेक्षाएं नहीं थीं. लेकिन 29 जुलाई 1980 को मॉस्को में भारतीय टीम ने फिर से फाइनल में परचम लहराया और गोल्ड मेडल अपने नाम किया. भारतीय हॉकी टीम ने फाइनल में स्पेन को हराकर अपना आठवां और आखिरी ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता.

कई देशों ने नहीं लिया था हिस्सा
मॉस्‍को ओलंपिक 1980 में भारत की जीत का एक बड़ा कारण कई देशों का खेलों में हिस्सा न लेना भी था. इन ओलंपिक खेलों में सिर्फ छह टीमें उतरी थीं. इसमें 1976 ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता न्यूजीलैंड, रजत पदक विजेता ऑस्ट्रेलिया और कांस्य पदक विजेता भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान भी शामिल नहीं था. जर्मनी, नीदरलैंड्स और ग्रेट ब्रिटेन ने भी इन खेलों में हिस्सा नहीं लिया था. इन सभी देशों ने अमेरिका के नेतृत्व में खेलों का बहिष्कार करने का फैसला किया था जिसका कारण सोवियत संघ का अफगानिस्तान में दखल था.

मानेकशॉ ने बढ़ाया था टीम का मनोबल
1980 के ओलंपिक से पहले भारतीय हॉकी टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतना खास प्रदर्शन नहीं किया था, केवल जफर इकबाल, मेरविन फर्नांडिस, एमएम सोमया, बीर बहादुर छेत्री और कप्तान वासुवन भाष्करन ने विदेशी विरोधियों के खिलाफ मैच खेले थे. इतने युवाओं के साथ कप्तान भाष्करन ने महसूस किया कि उनकी टीम को भारत से बाहर जाने से पहले अपना आत्मविश्वास बनाने के लिए प्रेरणा की एक अतिरिक्त खुराक की आवश्यकता थी. कप्तान वासुदेवन ने बताया था कि टीम भाग्यशाली थी कि उन्हें फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ से बात करने का मौका मिला. मानेकशॉ ने दो बार हमसे मुलाकात की और ओलंपिक में लक्ष्य के बारे में बात की. उन्होंने भारतीय टीम का मनोबल बढ़ाया. 

पहले ही मैच में तंजानिया को 18-0 से हराया
भारत ने वासुदेवन भास्करन के नेतृत्व में युवा टीम उतारी थी जिसके पास प्रतिभा की कमी नहीं थी. भास्करन और बीर बहादुर छेत्री को छोड़कर बाकी टीम के खिलाड़ी अपना पहला ओलंपिक खेल रहे थे. भारत ने पहले ही मैच में तंजानिया को 18-0 के विशाल अंतर से हरा दिया. इस मैच में सुरिंदर सोढ़ी ने पांच गोल किए. देविंदर सिंह ने चार, भास्करन ने चार, जफर इकबाल ने दो गोल किए, मोहम्मद शाहिद, मार्विन फर्नांडेज और कौशिक ने भी एक-एक गोल किए थे.

लगातार दो मैच रहा ड्रॉ
जीत के साथ शुरुआत के बाद भारतीय टीम लगातार दो मैच सिर्फ ड्रॉ कराने में सफल रही. पोलैंड के साथ भारत ने 2-2 से ड्रॉ खेला और फिर स्पेन के साथ भी मुकाबला 2-2 से बराबरी पर रहा. पोलैंड के खिलाफ देविंदर सिंह और मार्विन ने एक-एक गोल किए जबकि स्पेन के खिलाफ सुरिंदर ने दो गोल दागे.

क्यूबा और रूस को दी मात
इसके बाद अगले दो मैच में भारतीय हॉकी टीम ने जीत हासिल करते हुए फाइनल में जगह बनाई. भारत ने पहले क्यूबा को 13-0 से मात दी. इस मैच में सुरिंदर ने चार, शाहिद ने दो, देविंदर, राजिंदर अमरजीत राणा ने दो-दो गोल किए. भास्करन ने एक गोल किया. भारत ने अगले मैच में मेजबान रूस को 4-2 से पटका. रूस के खिलाफ सुरिंदर ने दो गोल दागे. उनके अलावा सुरिंदर और शाहिद ने एक-एक गोल किया.

फाइनल में स्पेन को हराया
फाइनल में स्पेन से भारत का मुकाबला हुआ. मैच बेहद रोमांचक हुआ. भारत ने शुरू से मजबूत खेल दिखाया और दूसरे हॉफ की शुरुआत तक तीन गोल की बढ़त ले ली. लेकिन यहां से रोमांच शुरू हुआ था. स्पेन ने फिर लगातार दो गोल कर भारत को परेशानी में डाल दिया. मैच में छह मिनट का समय बाकी था और मोहम्मद शाहिद ने भारत के लिए गोल कर दिया. दो मिनट बाद ही स्पेन के कप्तान जुआन अमत ने एक और गोल कर भारत को परेशानी में डाला लेकिन फिर आखिरी मिनटों में भारतीय डिफेंस ने स्पेन को बराबरी का गोल नहीं करने दिया और उसे 4-3 से हरा ओलंपिक में अपना आठवां स्वर्ण पदक जीता.

1980 ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम
वासुदेवन भास्करन (कप्तान), बीर बहादुर छेत्री, एलन शोफिल्ड, सिल्वेनस डंग डंग, राजिंदर सिंह, दविंदर सिंह, गुरमेल सिंह, रविंदर पाल सिंह, एमएम सोमाया, महाराज कृष्ण कौशिक, चरणजीत कुमार, मेर्विन फर्नांडीस, अमरजीत सिंह राणा, मोहम्मद शाहिद, जफ़र इकबाल, सुरिंदर सिंह सोढ़ी. 

ओलिंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन
1928 में गोल्ड मेडल.
1932 में गोल्ड मेडल.
1936 में गोल्ड मेडल.
1948 में गोल्ड मेडल.
1952 में गोल्ड मेडल.
1956 में गोल्ड मेडल.
1960 में सिल्वर मेडल.
1964 में गोल्ड मेडल.
1968 में ब्रॉन्ज मेडल.
1972 में ब्रॉन्ज मेडल.
1976 में सातवां स्थान.
1980 में गोल्ड मेडल.
1984 में पांचवां स्थान.
1988 में छठवां स्थान.
1992 में सातवां स्थान.
1996 में आठवां स्थान.
2000 में सातवां स्थान.
2004 में सातवां स्थान.
2008 में क्वालीफाई नहीं.
2012 में बारहवां स्थान.
2016 में आठवां स्थान.
2020 में ब्रॉन्ज मेडल.