scorecardresearch

World Athletics Championships: जैवलिन थ्रो के फाइनल में अन्नू रानी, जानिए किसान की बेटी की कहानी

अनु के खेल करियर की शुरुआत उत्तर प्रदेश के मेरठ के बहादुरपुर गांव के गन्ने के खेतों से हुई जब भाई उपेंद्र के कहने पर उन्होंने गन्ने के टुकड़ों को फेंकना शुरु किया.

Annu Rani (Reuters Photo) Annu Rani (Reuters Photo)
हाइलाइट्स
  • पिता नहीं चाहते थे कि बेटी बाहर जाकर खेलों में हिसा ले

भारतीय जैवलिन थ्रोअर अन्नू रानी (Annu Rani) ने अमेरिका के यूजीन में चल रही वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप (World Athletics Championships 2022) के फाइनल में जगह बना ली है. अपने आखिरी प्रयास में 59.60 मीटर भाला फेंककर अन्नू रानी ने लगातार दूसरी बार विश्व चैंपियनशिप फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया. 2019 में दोहा के बाद लगातार दूसरी बार विश्व चैम्पियनशिप के जैवलिन थ्रो के फाइनल में जगह बनाने वाली रानी अब पहली भारतीय बन गई हैं. 

खराब रही रानी की शुरुआत
अन्नू रानी ने ग्रुप बी क्वालिफिकेशन राउंड की शुरुआत अच्छी नहीं की थी. फाउल थ्रो के साथ शुरुआत करने और दूसरे प्रयास में महज 55.35 मीटर फेंकने के बाद रानी अपने अभियान को समाप्त करने की कगार पर थीं. लेकिन अपने आखिरी प्रयास में 59.60 थ्रो करने के बाद रानी ने ग्रुप-बी में पांचवां स्थान हासिल कर लिया. वह ग्रुप बी क्वालीफिकेशन राउंड में पांचवें स्थान पर रही और दोनों ग्रुप-ए और ग्रुप-बी के समूह में आठवें पायदान पर पहुंचने के बाद रानी ने फाइनल में जगह बना ली. वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में अब 12 खिलाड़ियों के बीच मुकाबला होना है जो 22 जुलाई शनिवार को खेला जाएगा.  

कौन हैं अन्नू रानी?     
उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाल रानी 2019 में दोहा में वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के महिला भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय बनी. 63.82 मीटर उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ है जो उन्होंने जमशेदपुर में इंडियन ओपन जेवलिन थ्रो प्रतियोगिता में हासिल किया. 2000 सिडनी खेलों में गुरमीत कौर के बाद टोक्यो 2020 में अन्नू ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की दूसरी  महिला जैवलिन थ्रोअर बनीं. 

अन्नू के खेल करियर की शुरुआत उत्तर प्रदेश के मेरठ के बहादुरपुर गांव के गन्ने के खेतों से हुई जब भाई उपेंद्र के कहने पर उन्होंने गन्ने के टुकड़ों को फेंकना शुरु किया. अनु का भाई जो खुद एक लॉन्ग डिस्टेंस रनर रहा है, वो अपनी बहन को इस खेल में पूरा समर्थन देता और आगे बढ़ने को कहता था. लेकिन उनके पिता जो रूढ़िवादी सोच रखते थे, वे नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी बाहर जाकर खेलों में हिसा ले. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली अनु ने जब अपने पिता से आग्रह किया तो उन्होंने ये सोचकर हां कह दी कि वो थोड़े दिन खेलने के बाद ऊब जाएगी.  

आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अनु का परिवार उनके लिए असली जैवलिन नहीं खरीद सकता था इसलिए अन्नू ने अपना पहला जैवलिन बांस से बनाया. प्रैक्टिस के दौरान उनका भाई देखरेख करता था. भाई ने ही कोच काशीनाथ नाइक (Kashinath Naik) को बहन को ट्रेनिंग देने के लिए माना लिया और वहीं से अन्नू का स्पोर्ट्स करियर शुरू हुआ.