बॉक्सिंग स्टेट जूनियर चैंपियनशिप में अवंतिका संजीव ने कमाल कर दिया. सिर्फ 45 दिन पहले बॉक्सिंग रिंग में पहली बार उतरने वाली अवंतिका ने चैंपियनशिप में मेडल जीत लिया. अवंतिका केरल के कालपेट्टा जिले की रहने वाली हैं. उन्होंने बॉक्सिंग स्टेट जूनियर चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है. 15 साल की इस खिलाड़ी ने लाइटवेट (Under 60 KG) में जीत दर्ज की. केरल के कोड़िकोड में चैपिंयनशिप का आयोजित किया गया था.
रोजाना 80 किमी का सफर-
अवंतिका ने 10वीं की परीक्षा के नतीजे से दुखी होकर बॉक्सिंग की तरफ रूख किया था. लेकिन ये किसी को पता नहीं था कि अवंतिका बॉक्सिंग में इतने कम समय में इतना अच्छा प्रदर्शन करेगी. लेकिन मेहनत से अवंतिका ने मुकाम हासिल कर लिया. दरअसल अवंतिका ने 10वीं की परीक्षा दी थी. लेकिन उसमें उसके अच्छे नंबर नहीं आए. जिसके बाद वो बॉक्सिंग करने का फैसला किया.
अवंतिका रोजाना 80 किलोमीटर का सफर तय करके ट्रेनिंग के लिए एबीसी बॉक्सिंग एकेडमी जाती थी. अवंतिका को की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा. रिश्तेदारों ने उसे बॉक्सिंग करने से रोकने की भी कोशिश की. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अवंतिका ने कहा कि मेरे रिश्तेदार मुझे बॉक्सिंग करने से रोकते थे. उनके मुताबिक लड़कियों के लिए बॉक्सिंग खतरनाक होता है. लेकिन मैंने बॉक्सिंग करने का मन बना लिया था. अवंतिका के मुताबिक उसकी रूचि बॉक्सिंग और जूडो जैसे खेलों में बढ़ती जा रही है.
मेहनत से खुश होकर कोच ने दिया मौका-
अवंतिका के कोच वीसी दीपेश ने कहा कि वैसे तो सिर्फ 45 दिन की ट्रेनिंग करके कोई कोच अपने स्टूडेंट को मैच खेलने नहीं भेजता है. लेकिन अवंतिका की खेल के प्रति लगन और जज्बा देखकर उन्होंने उसको मैच खेलने का मौका दिया. अवंतिका के लिए राज्य में चल रही जूनियर चैंपियनशिप एक सही प्लेटफार्म बनकर सामने आया. उसने अपने से अनुभवी खिलाड़ियों को हराकर सेमीफाइनल राउंड तक पहुंची. कोच को उम्मीद है कि अवंतिका बॉक्सिंग में भविष्य में और अच्छा करेगी.
फिल्म देखकर बॉक्सर बनने का सोचा-
अवंतिका ने बताया उन्हें शुरुआत में फुटबॉल खेलना पसंद था. जिसके लिए उसने एक फुटबॉल क्लब में दाखिला भी लिया था. लेकिन कोरोना महामारी के चलते वो फुटबॉल नहीं खेल पाई. कोरोना काल के दौरान अवंतिका का भाई हॉलीवुड की फिल्म 'रॉकी' देख रहा था. उसी फिल्म को देखकर अवंतिका ने बॉक्सिंग शुरू करने का मन बनाया. अवंतिका के माता-पिता को लगता था कि एक-दो दिन में वो बॉक्सिंग छोड़ देगी. लेकिन अब अवंतिका के माता-पिता काफी खुश हैं और बॉक्सिंग एकेडमी के पास घर लेने की सोच लेने हैं, ताकि अवंतिका को रोजाना 80 किलोमीटर का सफर ना करना पड़े.
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