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43 की उम्र में पूरा किया बचपन का सपना, बनी देश की पहली महिला रैली रेसर

मिलिए इंडिया की फास्टेस्ट वीमेन रैली रेसर से. 43 साल की उम्र में शुरू की कार रेसिंग. रैली रेसर के देश के सभी बड़े खिताब जीतने वाली पहली महिला. देश की पहली महिला जिसमे मोटर स्पोर्ट मैनेजमेंट में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की. ये कहानी है गुरुग्राम की डॉक्टर बानी यादव.

Bani Yadav Bani Yadav
हाइलाइट्स
  • 43 साल की उम्र में शुरू की कार रेसिंग.

  • ये कहानी है गुरुग्राम की डॉक्टर बानी यादव.

सपनों  की एक्सपायरी नहीं होती और ना ही सपनों को पूरा करने की कोई उम्र... फिर भी हम सब जिंदगी के एक मोड़ पर आकर अपने सपनों को ख्वाहिशों में दफन कर देते हैं. लेकिन कुछ लोग हैं जो अपने सपनों को जिंदा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं इंतजार बस एक मौके का होता है और एक बार मौका मिल जाए तो वह अपने सपनों के साथ उड़ान भरना शुरू कर देते हैं. ये कहानी है अपने बचपन के सपने को 43 साल की उम्र में पूरा करने वाली कार रेसर डॉक्टर बानी यादव की. रैली रेसिंग में बानी यादव ने पीएचडी की है, तभी उनका नाम डॉक्टर बानी यादव है.

पापा को किया था चैलेंज
डॉक्टर बानी यादव एक रैली रेसर हैं. बानी बताती है कि जब 2 साल की उम्र थी तब पापा की बाइक की पीछे वाली मॉडिफाइड सीट पर बैठ कर चलती बाइक पर जो हवा लगती थी उससे ही मुझे एहसास हो गया था कि मैं ऐसे ही किसी काम के लिए बनी हूं 13 साल की उम्र में पापा से कहा कि मुझे कार रेसर बनना है पापा ने मना कर दिया अब मैंने उन्हें चैलेंज दिया कि एक दिन आपको कार रेसर बनकर दिखाऊंगी. लेकिन उस दिन से बानी को 30 साल लग गए यह चैलेंज पूरा करने में. जब उन्होने पहली रैली रेस जीती तो उनकी उम्र 43 साल थी.

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मुझे रेसर बनाने के लिए पति खुद बने रेसर
बानी बताती है कि उन्हें उनके हस्बैंड ने बहुत सपोर्ट किया उनकी ससुराल वालों को इस बात के लिए मनाना बहुत मुश्किल था. इसलिए पहले उनके पति  ने ही कार रेसिंग करनी शुरू की और फिर धीरे-धीरे घरवालों को बताया कि बानी भी यह काम करना चाहती है. धीरे धीरे घरवाले मान गए. बानी बताती हैं कि फिर वो और उनके पति दोनो मिलकर रैली रेस में हिस्सा लेने लगे. पति शौक की तरह करते रहे लेकिन मेरे लिए ये हमेशा एक जुनून रहा है.

न जाने कितने मेल ईगो को हर्ट किया
बानी ने अपनी पहली ही रैली रेसिंग में सेकंड प्राइज जीता था. बानी बताती हैं कि उन्होंने ऐसे बहुत सारे कंपटीशन में हिस्सा लिया है जिसमें सिर्फ आदमी ही होते थे कई बार मुझ से हार कर लोगों का मेल इगो हर्ट हो जाता था इससे कई बार लोग मेरी मदद करने से बचते थे. हालांकि कई अच्छे लोग ही मिले जो मुझ से हार कर भी खुश हुए और मेरा हौसला बढ़ाया.

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रैली रेसिंग एक महंगा स्पोर्ट
बानी बताती है कि रैली रेसिंग एक बहुत महंगा सपोर्ट है इसके साथ ही यह बेहद खतरनाक है वह एक किस्सा बताती हैं जब उनकी गाड़ी पूरी तरह से पलट गई थी फिर भी गाड़ी से निकल कर उन्होंने जो पहला काम किया था वह था उल्टी पड़ी गाड़ी के साथ सेल्फी लेना. बानी बताती हैं कि एक रैली में हिस्सा लेने में 8-10 लाख तक का खर्च आता है.बानी कहती है कि रैली रेसिंग ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया लगभग हर तरह के ट्रैक पर हर तरह के मौसम में पहाड़ जंगल नदी रेगिस्तान सब पर उन्होंने रेसिंग की है.

बेटे के साथ भी कॉम्पटीशन
बानी बताती हैं कि उनके घर में अब सभी रैली रेसर है कई बार तो पूरा परिवार एक कंपटीशन में एक साथ हिस्सा रहता है और एक दूसरे का कंपटीशन होता है उनका छोटा बेटा भी रैली रेसिंग में इंडिया को रिप्रेजेंट करता है वह बताती है कि कई बार उनके उनके बेटे ने रेस में कॉम्पटीटर के तौर पर हिस्सा लिया कभी वह जीता तो कभी मैं. रैली रेसिंग में बानी यादव देश में आज एक बड़ा नाम लेकिन  बचपन का सपना पूरा होने के बावजूद बानी अभी एक और सपने की तरफ रफ्तार भरने को तैयार हैं. वो चाहती हैं कि इंटरनेश्नल रैली रेसिंग में नो भारत का प्रतिनिधित्व करें.