बुधवार को मलेशिया के शाह आलम में, भारतीय महिला खिलाड़ियों ने ग्रुप टॉपर्स के तौर पर बैडमिंटन एशिया टीम चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल्स में जगह बना ली है. भारत और चीन, दोनों टीमों के बीच पांच गेम हुए. पीवी सिंधू ने पहला गेम खेला और भारत को बढ़त दिलाई लेकिन बाद के तीन खेलों में चीन आगे हो गया. आखिर में, पूरा खेल टीम की युवा खिलाड़ी अनमोल खरब के कंधों पर आ गया, जिन्होंने चीन को हराकर भारत को क्वार्टर फाइनल्स में पहुंचाया.
17 वर्षीय खिलाड़ी, अनमोल खरब को देखकर लोगों को साइना नेहवाल और पीवी सिंधू के शुरुआती दौर की याद आएगी. फरीदाबाद की रहने वाली अनमोल काफी समय से बैडमिंटन खेल रही हैं. हालांकि, उन्हें अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है लेकिन उनका खेल देखकर लोगों को यकीन होता है कि वह एक दिन देश का नाम रौशन करेंगी.
अनमोल की मां राजबाला का कहना है कि उनकी बेटी का व्यक्तित्व हीरो-स्टाइल वाला है। उसे हारना पसंद नहीं है. वहीं, उनके पिता देवेन्द्र खर्ब एक वकील और पूर्व कबडडी खिलाड़ी हैं और अनमोल की निडरता और साहस का श्रेय उनकी मां को देते हैं. राजबाला भी स्पोर्ट्स खेलती थीं. वह हरियाणा में वे अपने सिर पर मटका रखकर प्रतिस्पर्धा करती थीं. एक बार गोवा टूर्नामेंट से दो घंटे चलकर मां-बेटी अपने होटल पहुंचे थे. वह अनमोल को कभी निराश नहीं होने देती.
नोएडा में करती हैं ट्रेनिंग
राजबाला रोजाना फरीदाबाद से अपनी नोएडा अकादमी तक 80 किमी की दूरी तय करती हैं और अनमोल को दिन भर हाइड्रेटेड रखने के लिए फलों का रस, नींबू पानी, छाछ और लस्सी की बोतलें लेती हैं. पिता का मानना है कि कक्षा 5 में एक क्लास टीचर ने अनमोल को क्लास मॉनिटर बनाया और उसे आगे की बेंच पर बैठाया. उसे तब से हमेशा एक नेता की तरह सभी से आगे रहना पड़ा है.
अनमोल ने स्पीड स्केटर के रूप में शुरुआत की थी, और वह इसमें अच्छी थी, लेकिन उन्हें चोट भी आती थी. जिसके कारण वह बाहर हो गईं. फिर उन्होंने बैडमिंटन में अपने बड़े भाई का अनुसरण किया. उन्होंने खुद को ट्रेन किया. राजबाला ने फैसला किया कि ताकत की कमी के कारण बेटी को परेशान न हो और उसे "शारीरिक फिटनेस" के लिए पास की एक सुविधा में ले गईं.
क्या है अनमोल का रूटीन
अनमोल सुबह 5 बजे उठती है, बॉक्सर्स डेन में एक घंटे तक ट्रेनिंग करती है, नाश्ता करती है और फिर डेढ़ घंटे की यात्रा के दौरान कार में सोती है. अनमोल ने अब कहीं भी सोना सीख लिया है. टूर्नामेंट में सीढ़ियों पर, कार में, वह अपनी इच्छानुसार स्विच ऑन और ऑफ कर सकती है.
अनमोल ने मलेशिया में पांचवां मैच खेलते हुए शायद ही कभी स्विच ऑफ किया हो. अनमोल की नोएडा की कोच कुसुम सिंह, जिन्होंने खुद अलवर के एक गांव से शुरुआत की थी, कहती हैं कि अनमोल ट्रेनिंग में अपना बहुत अच्छा कर रही हैं. उन्हें और अनमोल के माता-पिता को यकीन है कि एक दिन उनकी बेटी उनका सिर गर्व से ऊंचा करेगी.