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इंडिया का वो बेहतरीन बॉलर... जिसने लगातार 131 गेंदों में नहीं दिया एक भी रन

12 जनवरी 1964 को बापू नाडकर्णी ने 21 ओवर लगातार मेडेन फेंके थे. उस मैच में नाडकर्णी ने इंग्लैंड के खिलाफ लगातार 131 गेंदें बिना कोई रन दिए डालीं. ये मुकाबला मद्रास(अब चेन्नई) में खेला गया था, जिसमें इंडिया ने 457 रन पहली पारी में बनाए थे. उस मैच में इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान उन्होंने एक दिन में कुल 32 ओवर फेंके थे, जिसमें 24 मेडेन थे.

हाइलाइट्स
  • 131 गेंदों में नहीं दिया एक भी रन

  • कोई खिलाड़ी नहीं तोड़ पाया रिकॉर्ड

12 जनवरी, 1964 को भारत के तेज बाएं हाथ गेंदबाज बापू नाडकर्णी ने इंग्लैंड के केन बैरिंगटन और ब्रायन बोलस की नींद उड़ा दी. बापू नाडकर्णी ने 21 ओवर में 131 गेंदें बिना कोई रन दिए फेंकी थी. यह आज तक का एक अटूट वर्ल्ड रिकॉर्ड है. टेस्ट क्रिकेट में कोई भी खिलाड़ी अब तक इस रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया है.

कौन है बापू नाडकर्णी?
बापू उर्फ ​​रमेश चंद्र गंगाराम नाडकर्णी का जन्म 4 अप्रैल 1993 को हुआ था. वह परिवार के साथ मुंबई में रहते थे. बापू नाडकर्णी ने करीब 13 साल तक भारतीय टीम के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला, जिसमें उनका रिकॉर्ड शानदार है. 

क्यों किया जाता है याद?
12 जनवरी 1964 को बापू नाडकर्णी ने 21 ओवर लगातार मेडेन फेंके थे. उस मैच में नाडकर्णी ने इंग्लैंड के खिलाफ लगातार 131 गेंदें बिना कोई रन दिए डालीं. ये मुकाबला मद्रास(अब चेन्नई) में खेला गया था, जिसमें इंडिया ने 457 रन पहली पारी में बनाए थे. उस मैच में इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान उन्होंने एक दिन में कुल 32 ओवर फेंके थे, जिसमें 24 मेडेन थे. इस दौरान उन्होंने कुल 3 रन दिए थे. हालांकि, उन्हें कोई विकेट नहीं मिला था. उनके बाद से आज तक इस रिकॉर्ड को कोई दोहरा नहीं पाया है.

कैसा था करियर रिकॉर्ड
उन्होंने भारत की तरफ से 41 टेस्ट मैचों में 1414 रन बनाए, जिसमें उन्होंने 88 विकेट लिए. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 43 रन देकर छह विकेट रहा. वहीं 67 पारियों में बल्लेबाजी कर 25.71 की औसत से 1414 रन बनाए. बापू के नाम एक शतक और सात अर्धशतक भी है. वहीं गेंदबाजी में उन्होंने एक पारी में एक बार 10 से अधिक विकेट और चार बार पांच से अधिक विकेट लिए हैं. वहीं 191 प्रथम श्रेणी मैचों में 500 विकेट लिए और 8,880 रन बनाए. नाडकर्णी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ दिल्ली में 1955 में टेस्ट क्रिकेट का आगाज किया था और 1968 में इसी टीम के खिलाफ ऑकलैंड में अपना अंतिम टेस्ट खेला था.