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Malihabad's Female Boxers: हौसलों की कहानी! आम के बगीचे में ट्रेनिंग कर, बॉक्सिंग के गुर सीख ये लड़कियां ला रही हैं मेडल  

Malihabad's Female Boxers: कहते हैं कि अगर कुछ कर-गुजरने का हौसला हो तो कुछ भी पाया जा सकता है. ऐसी ही कहानी है लखनऊ के मलिहाबाद की लड़कियों की. आम के बगीचे में ट्रेनिंग कर ये लडकियां बॉक्सिंग के गुर सीख रही हैं. साथ ही मेडल भी ला रही हैं.  

Boxing Boxing
हाइलाइट्स
  • पहले लोग अपनी बेटियों को भेजने में कतराते थे 

  • कई लड़कियां जीत चुकी हैं मेडल

आमों के लिए जाना जाने वाला लखनऊ का मलीहाबाद आज बॉक्सिंग में अपनी पहचान बना रहा है. पिछले पांच साल में, शहर ने कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर की महिला मुक्केबाजों को जन्म दिया है. ये सभी बॉक्सर कई खेलों में जीत हासिल कर चुकी हैं. इन्हीं को देखते हुए अब गैर-सरकारी संगठनों और कॉरपोरेट घराने इस कस्बे में एक एडवांस बॉक्सिंग रिंग बनाने जा रहे हैं. इसका उद्घाटन भी शनिवार को कर दिया गया है. कहते हैं कि अगर कुछ कर-गुजरने का हौसला हो तो कुछ भी पाया जा सकता है. ऐसी ही कहानी लखनऊ के मलिहाबाद की इन लड़कियों की भी है. इन लडकियों की मेहनत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये आम के बगीचे में ट्रेनिंग कर बॉक्सिंग के गुर सीख रही हैं. साथ ही मेडल भी ला रही हैं.  

पहले लोग अपनी बेटियों को भेजने में कतराते थे 

हालांकि, हर सफलता की कहानी की तरह, यह भी अपने हिस्से की कठिनाइयों के बिना पूरी नहीं है. कुछ साल पहले, जब पूर्व मुक्केबाज कोच मोहम्मद सैफ अली, ने शहर में लड़कियों को ट्रेनिंग देने का फैसला किया, तो ये काफी मुश्किल रहा क्योंकि लोग अपनी लड़कियों को बॉक्सिंग ट्रेनिंग के लिए भेजने से कतराते थे. अपनी पहली महिला छात्र को खोजने में उन्हें काफी समय लगा लेकिन उसके बाद से वे कभी पीछे नहीं हटे.

कुल 15 दिन के बाद शिवानी ले आई थी मेडल 

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, 18 साल की मुक्केबाज शिवानी कहती हैं, "मैंने 2019 में सैफ सर से ट्रेनिंग लेनी शुरू की. कस्बे में बॉक्सिंग रिंग की कमी के कारण, सैफ सर मुझे आम के बागों और खुले मैदानों में ट्रेनिंग देते थे.” वे बताती हैं कि केवल 15 दिनों की ट्रेनिंग के बाद राज्य स्तर पर शिवानी ने अपना पहला सिल्वर मेडल जीता था. वर्तमान में, शिवानी राष्ट्रीय स्तर के मैचों के लिए वेट केटेगरी में क्वालीफाई करने के लिए काम कर रही हैं. 

फोटो- एएनआई
फोटो- एएनआई

87 लड़कियां ले रही हैं ट्रेनिंग 

लड़कियों के मेडल को देखकर कई दूसरी लड़कियां भी ट्रेनिंग शुरू कर चुकी हैं. इस समय मलिहाबाद और उसके आसपास की 87 लड़कियां बॉक्सिंग ट्रेनिंग ले रही हैं. उनमें से ज्यादातर साप्ताहिक क्लास ले रही हैं. जबकि 20 लड़कियां हर दिन ट्रेनिंग ले रही हैं. खेलो इंडिया टूर्नामेंट जैसी प्रतियोगिताओं को देखते हुए ये 20 लड़कियां हर सुबह तीन घंटे ट्रेनिंग लेती हैं. 

कई लड़कियां जीत चुकी हैं मेडल 

शिवानी की तरह कांति और करीना ने भी मलिहाबाद का नाम रोशन किया है. कांति जहां दो बार गोल्ड मेडल ला चुकी हैं, वहीं करीना दो बार सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं. इसी तरह, अनामिका ने राष्ट्रीय स्तर पर खेला और जीता है जबकि कामना, परमिंदर और अस्मिता ने खेलो इंडिया ओपन चैंपियनशिप में भाग ले चुकी हैं. 

अब मलिहाबाद में बॉक्सिंग रिंग होने से इन लड़कियों का जोश पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है. एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही ट्रेनिंग सेंटर लड़कियों के घरों से 10-12 किलोमीटर दूर हो, लेकिन फिर ही ये ट्रेनिंग नहीं छोड़ती हैं. इनमें से कुछ लड़कियां ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं. 

सभी लड़कियां पर करते हैं कोच मोहम्मद अली मेहनत  

मलिहाबाद में महिला मुक्केबाजों की अविश्वसनीय सफलता के पीछे कोच मोहम्मद सैफ अली के अथक प्रयास हैं. हालांकि, 55 साल के मोहम्मद सैफ का खुद का बॉक्सिंग करियर छोटा था, लेकिन वे चाहते हैं कि उनकी महिला छात्र उनसे आगे निकल जाएं और शहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित करें. एचटी से वे कहते हैं,  “हमारा शहर मैंगो बेल्ट का हिस्सा है. मेरा यहां आम का बिजनेस भी है. हालांकि, शहर में चोरी और डकैती असामान्य नहीं हैं. इसलिए, मुझे लगा कि लड़कियों को संभावित असुरक्षित स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने में सक्षम होना चाहिए. 2019 में, मैंने पहली छात्र को एडमिशन दिया था. तब से लेकर अब तक हम आगे ही बढ़ रहे हैं.”