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चंडीगढ़ को Fencing का हब बना रही है देश की यह पहली महिला फेनसिंग कोच, इंटरनेशनल लेवल पर देश का मान बढ़ा रहे हैं छात्र

क्या आज जानते हैं फेनसिंग के बारे में? आम भाषा में फेनसिंग को तलवारबाजी कहा जाता है और चंडीगढ़ शहर धीरे-धीरे फेनसिंग का हब बनता जा रहा है. आज हम आपको बता रहे हैं भारत की पहली महिला फेनसिंग कोच के बारे में.

Fencing Fencing
हाइलाइट्स
  • चरणजीत कौर देश की तलवारबाजी टीम की पहली कप्तान रही हैं

  • इस खेल में देश की पहली महिला कोच भी हैं चरणजीत कौर

तलवारबाजी से भारत का रिश्ता बहुत ही पुराना है. आजकल की आधुनिक भाषा में इसे 'फेनसिंग' (Fencing) कहते हैं. और अब एक बार फिर बतौर स्पोर्ट यह देश में यह पॉपूलर हो रहा है. धीरे-धीरे चंडीगढ़, फेनसिंग यानी तलवारबाज़ी का हब बनता जा रहा हैं.

आज हम आपको मिलवा रहे हैं देश की पहली तलवारबाज़ी महिला कोच से, जिनकी मेहनत इस गुमनाम खेल को अब एक मुकाम दे रही है. यह कहानी है फेनसिंग की कोच चरणजीत कौर की, जो बच्चों में फेनसिंग का हौसला भर रही हैं.

ऐसे हुआ फेनसिंग से प्यार 
47 वर्षीय चरणजीत कौर को इस खेल से इतना प्यार है कि भरी दुपहरी और गर्मी में भी वह बच्चों को तलवारबाज़ी के गुर सिखाने से पीछे नहीं हटती हैं. चरणजीत कौर ने GNT Digital से खास बातचीत में बताया की उन्हें पहले वॉलीबॉल खेलने का शौक था. वह पांचवी कक्षा से वॉलीबॉल खेलती आ रही थीं. 

लेकिन जब वह नौवीं कक्षा में थीं तो उनके कोच ने उन्हें फेनसिंग के बारे में बताया और उन्हें ट्रायल्स देने के लिए प्रोत्साहित किया. चरणजीत ने बताया कि वह पंजाब के पटियाला से है. उन्हें गटका और मार्शल आर्ट्स आते थे, इसी वजह से उनका चयन हो गया. और इसके बाद चरणजीत कौर ने इस खेल में कई मेडल जीते.

Fencing Coach

फेनसिंग में देश की पहली महिला कोच
चरणजीत कौर देश की तलवारबाजी टीम की पहली कप्तान रही हैं और इस खेल में देश की पहली महिला कोच भी वही हैं. चरणजीत बताती है की करीबन 22 साल पहले चंडीगढ़ में इस खेल का सफर शुरू किया था. चंडीगढ़ के सेक्टर-10 के सरकारी स्कूल में वह पिछले 20 सालों से बच्चों को कोचिंग दे रही हैं.

साल 2003 में उन्हें चंडीगढ़ भेजा गया था, और उनकी ड्यूटी सेक्टर-10 के सरकारी स्कूल में लगाई गई. तब यहां पर तलवारबाजी को ज्यादा लोग नहीं जानते थे, लेकिन उन्होंने इस खेल में नए खिलाड़ियों को तैयार करने के बारे में सोचा और बच्चों को कोचिंग देनी शुरू की.  

छात्र जीत रहें हैं अंतरराष्ट्रीय मेडल
उनके बहुत से छात्र बिना किसी चर्चा के नए-नए कीर्तिमान स्थापित करते जा रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. ये खिलाड़ी ने सिर्फ भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं बल्कि भारत के लिए पदक भी जीत रहे हैं.

चरणजीत बताती है की शुरुआती दौर में उन्होंने बच्चों के हाथ में लकड़ियां पकड़ाकर उन्हें तलवारबाजी करने के लिए प्रेरित किया.और धीरे-धीरे बच्चों को इस खेल में मजा आने लगा और बच्चों की संख्या भी बढ़ती चली गई. फिर स्कूल में तलवारबाजी से जुड़े सभी जरूरी सामान का इकट्ठा किया गया. 

उनके छात्र राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं. उनकी छात्रा यशकीरत कौर पंजाब यूनिवर्सिटी में थर्ड ईयर की छात्रा हैं. उनका कहना है कि वह पहले स्विमिंग जाती थीं, जहां पर चरणजीत ने उन्हें इस खेल के लिए प्ररित किया और अब वह इसमें आगे बढ़ रही हैं.