कहते हैं कि जो व्यक्ति हमें जीवन का सार बताता है वो व्यक्ति कोई और नहीं हमारा "गुरु" होता है. चंडीगढ़ के सेक्टर 22 स्थित सरकारी स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर्स ने इस बात को कृतार्थ किया है. स्पोर्ट्स टीचर्स ने स्कूल में पढ़ रही Underprivileged स्कूली छात्राओं को फुटबॉल खेलने का ऐसा ज़ज़्बा दिया है कि पिछले एक दशक में इस स्कूल से फुटबॉल खेलने वाली छात्राओं की पौध तैयार की है. जोकि चंडीगढ़ से नेशनल खेल चुकी हैं.
फुटबॉल प्रेम ने बना दिया सरकारी टीचर
स्कूली छात्राओं को फुटबॉल खेलने का ज़ज़्बा देने वाले टीचर का नाम भूपेंद्र सिंह है.अपनी जवानी में भूपेंद्र सिंह को फुटबॉल खेलने का ऐसा ज़ज़्बा था कि इस जज्बे और जूनून के कारण वो एक साधारण से परिवार में होने के बावजूद अपने सपनों को उड़ान देते रहे और इसी फुटबॉल खेल प्रेम के कारण उन्हें चंडीगढ़ के सरकारी स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर की नौकरी मिल गई. भूपेंद्र सिंह ने आजतक और इंडिया टुडे से ख़ास बातचीत में कहा कि हर खिलाड़ी के खेलने की एक उम्र होती है लेकिन कोचिंग सिखाने और ट्रेनिंग देने की कोई उम्र नहीं होती है.
सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाते समय भूपेंद्र सिंह को अपने खुद के दिन याद आने लगे, जब पैसों और सुविधाओं के आभाव के कारण वो अपने सपनों को वैसे पूरा नहीं कर पा रहे थे. उस समय उन्हें भी अपने गुरु और कोच का मार्गदर्शन मिला. जिसके कारण वो यहां इस स्थान और जीवन में ये मुकाम पर पहुंच पाए.
100 छात्राओं को पहुंचाया नेशनल लेवल
भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सरकारी स्कूल में पढ़ रही छात्राओं को शुरुआती दौर में ही खेलते समय उनके टैलेंट को वो भांप लेते हैं और फिर उस टैलेंट को हीरे की तरह तराशा जाता है. भूपेंद्र सिंह स्कूल ख़त्म होने के बाद फ्री में अपनी छात्राओं को फुटबॉल खेलने की ट्रेनिंग और कोचिंग देते हैं. पिछले एक दशक में वो अब तक 100 छात्राओं को कोचिंग देते हुए नेशनल लेवल तक पहुंचा चुके हैं.
वही स्कूल के प्रिंसिपल राजीव कुमार ने बताया कि भूपेंद्र सिंह का छात्राओं को प्रेरित करने का नतीजा ही है कि पिछले एक दशक में करीब 100 छात्राएं अलग-अलग केटेगरी में नेशनल खेल चुकी हैं. वहीं छात्राएं अपने खेलने का सारा श्रेय अपने कोच भूपेंद्र सिंह को ही देती हैं.
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