कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय वेटलिफ्टर अचिंता शेउली ने भारत को तीसरा गोल्ड मेडल दिलाया. उन्होंने क्लीन एवं जर्क में 170 किलो समेत कुल 313 किलो वजन उठाकर राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड अपने नाम किया. अब तक देश को छह पदक मिले और सभी वेटलिफ्टिंग में ही आए हैं. इससे पहले मीराबाई चानू, जेरेमी लालरिनुंगा ने भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता. भारत ने अब तक CWG 2022 में 6 पदक जीते हैं, जिनमें तीन गोल्ड मेडल, दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल शामिल है.
बचपन में दुबले पतले थे अचिंता
पश्चिम बंगाल के देउलपुर के रहने वाले 20 वर्षीय अचिंता ने बर्मिंघम खेलों में भारत का नाम रोशन किया है. कोलकाता से लगभग एक घंटे की दूरी पर स्थित देउलपुर से ही अचिंता ने अपनी यात्रा शुरू की. अचिंता शेउली के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था. अचिंता के बचपन के कोच बताते हैं, मैंने जब पहली बार अचिंता को देखा तो वह बहुत दुबला-पतला था, उसमें वेटलिफ्टर जैसी कोई बात नहीं थी लेकिन उसके पास गति थी जो किसी भी खेल में एक एथलीट के लिए बहुत जरूरी है.
पिता की मौत के बाद आ गई परिवार की जिम्मेदारी
24 नवंबर 2001 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में जन्में अचिंता के पिता रिक्शा चलाने के अलावा मजदूरी भी करते थे. कभी झोपड़पट्टी में रहने को मजबूर अचिंता शेउली ने 2011 में पहली बार वेटलिफ्टिंग के बारे में जाना.अचिंता के बड़े भाई स्थानीय जिम में ट्रेनिंग करते थे. उन्होंने ही अचिंता को वेटलिफ्टिंग के लिए प्रेरणा दी. जब आलोक नेशनल की तैयारी कर रहे थे उसी समय उनके पिता का मौत हो गई. पिता की मौत के बाद भाई आलोक ही परिवार में एकमात्र कमाने वाले बचे थे. इसलिए उन्हें कॉलेज छोड़ना पड़ा. अचिंता की मां भी पेट बच्चों के पालने के लिए छोटे-मोटे काम करती थीं.
डाइट के लिए भी नहीं थे पैसे
नेशनल लेवल के वेटलिफ्टर अस्तम दास ने अचिंता को फ्री में कोचिंग दी. बच्चों के कोचिंग देने के लिए दास ने बीएसएफ की नौकरी तक छोड़ दी. दास बताते हैं, मेरे पास बहुत से ऐसे खिलाड़ी थे जो शारीरिक रूप से अचिंता से बेहतर थे लेकिन उनके अंदर खेलों के प्रति वो भूख नहीं थी जो अचिंता में दिखी. अचिंता के परिवार की स्थिति इतनी खराब थी कि वह अपनी डाइट तक नहीं ले पाते थे. ऐसे समय में दास ने अपना हाथ उनकी तरफ बढ़ाया.
आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में आने के बाद बदली किस्मत
अचिंता ने 2012 में एक डिस्ट्रिक्ट मीट में रजत पदक जीतकर स्थानीय स्पर्धाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था. अचिंता को 2014 में आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट के ट्रायल में चुना गया. उन्होंने 2016 और 2017 में आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में अपना प्रशिक्षण जारी रखा. 2018 में वह राष्ट्रीय शिविर में आ गए. 2018 में उन्होंने जूनियर और सीनियर कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. अचिंता ने 18 साल की उम्र में सीनियर नेशनल में 2019 में स्वर्ण हासिल किया था. 2021 में कॉमनवेल्थ सीनियर चैंपियनशिप में अचिंता ने पहला स्थान हासिल किया. उन्होंने उसी वर्ष जूनियर विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था.