Neetu Ghanghas wins Gold:राष्ट्रमंडल खेल 2022 में मुक्केबाजी में नीतू घंघास (Neetu Ghanghas) ने भारत के लिए पहला गोल्ड पक्का किया. नीतू ने महिलाओं की मिनिममवेट कैटेगरी (45-48kg) के फाइनल मुकाबले में इंगलैंड की बॉक्सर डैमी जेड रेज़तान (Demie Jade Resztan) को शिकस्त दी. नीतू की जीत ने भारत को CWG खेलों में भारत को 41वां पदक दिलाया.
नीतू की जीत का फैसला पांचों जजों ने एकतरफा होकर सुनाया. बता दें कि नीतू को पांचो जजों ने 5-0 से विजय घोषित किया. फाइनल मुकाबले में नीतू काफी आक्रामक दिखीं. बता दें कि नीतू ने इससे पहले सेमीफाइनल मैच में कनाडा की प्रियंका ढिल्लों को हराया था. नीतू ने मैच के तीसरे राउंड में कनाडाई बॉक्सर पर मुक्कों की बरसात कर दी थी. नीतू का अक्रामकता को देखते हुए रेफरी ने खेल रोक कर नीतू को विजय घोषित कर दिया था. इससे पहले क्वार्टर फाइनल में भी नीतू ने आयरिश बॉक्सर क्लाइड निकोल मुक्कों की बरसात कर दी. और दूसरे रांउड का खिताब अपने नाम किया.
हरियाणा के भिवानी जिले के धनाना गांव की रहने वाली 21 साल की नीतू पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा ले रही हैं. नीतू भारतीय लीजेंड बॉक्सर मैरीकॉम की वैट कैटगरी में खेल रही हैं. नीतू रोजाना अपने गांव से 20 किमी दूर धनाना के बॉक्सिंग क्लब में ट्रेनिंग के लिए जाती थी. बता दें कि नीतू को बॉक्सर बनाने के लिए नीतू के पिता नेअपनी नौकरी तक दांव पर लगा दी थी.
साल 2012 में शुरू किया था खेलना
नीतू मुक्क्केबाज विजेंद्र सिंह को अपनी प्रेरेणा मानती हैं. मुक्क्केबाज विजेंद्र सिंह के 2010 ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद नीतू ने भी मुक्केबाजी में अपना हाथ आजमाने की ठान ली. 2012 में नीतू ने जब करियर की शुरूआत की तब नीतू के परिवार वालों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करान पड़ा. लेकिन नीतू इन सब के बीच खुद के लिए रास्ता निकालती रही.
पिता 4 साल तक बिना वेतन के छुट्टी पर रहे
नीतू के पिता जय भगवान हमेशा अपनी बेटी के लिए खड़े रहे. पिता ने बेटी का साथ देने के लिए अपनी नौकरी तक को दांव पर लगा दी. नीतू के पिता चंडीगढ़ विधानसभा में नौकरी करते थे, अपनी बेटी के सपने के लिए जय भगवान ने अपने पद से अवैतनिक छुट्टी ली और गांव में रहने लगे. नीतू के पिता चार साल तक अवैतनिक छुट्टी पर थे. नीतू के सपनों को पूरा करने के लिए नीतू के पिता ने सब कुछ दांव पर लगा दिया.
कोच ने पहचानी प्रतिभा
साल 2015 में नीतू कोच जगदीश सिंह की नजर में आई. यह वही कोच हैं जिन्होंने मुक्केबाज विजेंदर सिंह को बीजिंग ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने में मदद की थी. कोच से ट्रेनिंग लेने के बाद नीतू ने उसी साल अपना पहला राष्ट्रीय पदक जीता.
2017 और 2018 में युवा विश्व चैंपियनशिप में नीतू ने गोल्ड जीता. साल 2018 में एशियन यूथ बॉक्सिंग में नीतू ने एक और गोल्ड मेडल अपने नाम किया. ये वो दौर था जब नीतू एक मुकाम हासिल कर रही थी. लेकिन इसी वक्त उन्हें झटका भी लगा. नीतू को 2019 में शोल्डर इंजरी हुई इस वजह से वह लगभग दो साल तक वह मुक्केबाजी से दूर रही थी.