भारत के डी गुकेश (D Gukesh) दुनिया के सबसे कम उम्र के चेस चैंपियन बन गए हैं. जिसका जश्न पूरा देश मना रहा है. हालांकि, गुकेश की इस जीत के पीछे कुछ और लोगों को मेहनत थी. इनके बारे में बात करते हुए गुकेश ने बताया कि इसमें उनके कोच पैडी अप्टन का बड़ा हाथ रहा.
पैडी अप्टन (Paddy Upton) मेंटल कंडीशनिंग कोच हैं. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब पैडी अप्टन ने किसी चैंपियन को तैयार किया है. भारत को दूसरे कई खेलों में जिताने में भी उनका हाथ रहा है. चाहे 2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने के लिए भारतीय टीम को मेंटली मजबूत बनाना हो या टोक्यो ओलंपिक्स में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को ब्रॉन्ज मेडल दिलाना हो. अब उनकी नई उपलब्धि 2024 वर्ल्ड चेस चैम्पियन करना है. भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश को ऐतिहासिक जीत दिलाने में उन्होंने मदद की है.
एक अनोखी पार्टनरशिप की शुरुआत
डी गुकेश और पैडी अप्टन के बीच ये पार्टनरशिप 2024 के मध्य में शुरू हुई. हालांकि, गुकेश के पास पहले से ही चेस एक्सपर्ट्स की एक टॉप टीम थी, लेकिन वेस्टब्रिज-आनंद चेस एकेडमी (WACA) ने महसूस किया कि उनकी मेन्टल फ्लेक्सिबिलिटी को निखारने के लिए एक एक्सपर्ट की जरूरत है. यहीं पर पैडी अप्टन की एंट्री हुई.
हालांकि पैडी अप्टन खुद एक पूर्व फर्स्ट क्लास क्रिकेटर हैं और उनका चेस से कोई कनेक्शन नहीं था, फिर भी उन्हें गुकेश को उनके करियर की सबसे कठिन चुनौती वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप के लिए मानसिक रूप से तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस पार्टनरशिप का परिणाम तब दिखा जब गुकेश ने मौजूदा चैंपियन डिंग लिरेन को एक कड़े मुकाबले में हराकर खिताब जीत लिया.
मानसिक मजबूती है खेल में जरूरी
दरअसल, चेस का खेल स्ट्रेटेजी के साथ-साथ दिमागी लड़ाई भी है, और गुकेश को मानसिक तौर पर निखारने में पैडी का प्रभाव निर्णायक साबित हुआ. गुकेश पर डिंग के खिलाफ खेलने का काफी प्रेशर था. 14वें गेम में, डिंग ने टाईब्रेक की स्थिति बनाने की कोशिश की, लेकिन गुकेश ने डिंग की गलती का फायदा उठाया, और जीत दिलाई.
गुकेश ने जीत के बाद कहा, “पैडी पिछले छह महीनों में मेरे लिए बहुत बड़ा सपोर्ट रहे हैं वह चेस के एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन गेम और साइकोलोजी की उनकी समझ ने मेरी इस जीत में बड़ी भूमिका निभाई.”
क्या थी पैडी की स्ट्रेटेजी?
पैडी अप्टन की स्ट्रेटेजी वीकली सेशन पर आधारित थी. इसमें मेंटल क्लैरिटी से लेकर संयम, और प्रेशर में अच्छा करने की क्षमता को बढ़ाया जाता था. बस यही गुकेश की ताकत बनी. एक इंटरव्यू में पैडी ने बताया, “बड़े इवेंट्स में खिलाड़ियों की सबसे बड़ी गलती यह होती है कि वे कुछ असाधारण करने की कोशिश करते हैं. कुंजी निरंतरता है. जो आप पहले से अच्छे से कर रहे हैं, उसे ही दोहराना होता है. वन स्टेप एट ए टाइम.”
बस यही बात चैम्पियनशिप मैचों के दौरान अमूल्य साबित हुई. पैडी अप्टन ने गुकेश की फिजिकल फिटनेस पर भी ध्यान दिया, जिससे वह मानसिक और शारीरिक रूप से दोनों तरह से मजबूत बने रहे.
गुकेश कहते हैं, “सिर्फ मानसिक पहलू ही नहीं, पैडी ने मेरी शारीरिक फिटनेस के लिए वर्कआउट भी प्लान किए. हमारे सेशन बातचीत जैसे थे, जहां मैं अपने विचार शेयर करता था, और वह उनपर रिएक्शन देते थे. उनकी सुनने और गाइड करने की क्षमता ने बहुत बड़ा बदलाव लाया.”
क्रिकेट से हॉकी और फिर चेस तक का सफर
गुकेश के साथ पैडी अप्टन की जीत कोई अलग घटना नहीं है. उनका करियर यह दिखाता है कि मेंटल कंडीशनिंग हर खेल के लिए कितनी जरूरी है. क्रिकेट में, पैडी ने 2011 क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के कोच गैरी कर्स्टन की टीम का हिस्सा बनकर अहम भूमिका निभाई थी. इस जीत ने भारत के 28 साल के इंतजार को खत्म किया था और और भारत इतिहास में पहली बार घरेलू मैदान पर विश्व कप जीतने वाली टीम बना था.
हॉकी में, उन्होंने भारतीय पुरुष टीम को टोक्यो ओलंपिक्स में 41 साल बाद मेडल दिलाने में मदद की. उनकी स्ट्रेटेजी ने टीम की मेंटल हेल्थ को मजबूत करने में मदद की.
डी. गुकेश का चेस चैंपियन बनना भारत के लिए गर्व का मौका है. 18 साल की उम्र में, गुकेश ने खुद को चेस की दुनिया का सबसे चमकता सितारा बना दिया है. वे भारतीय चेस के दिग्गज विश्वनाथन आनंद की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.