इंग्लैंड क्रिकेट टीम ने टी-20 विश्वकप 2022 में पूरी दुनिया को बताया है कि क्रिकेट का सबसे छोटा फॉर्मेट कैसे खेला जाता है. इंग्लैंड के नाम इस समय वनडे वर्ल्ड कप खिताब भी है.पहली बार किसी टीम के पास एक साथ वनडे और टी-20 दोनों का वर्ल्ड टाइटल है. इंग्लैंड ने सेमीफाइनल में भारत और फिर फाइनल में पाकिस्तान जैसी मजबूत टीमों को हराकर दिखा दिया कि वही टी-20 विश्वकप की हकदार है. इंग्लैंड ने जहां टी-20 क्रिकेट परफेक्ट टीम और गेम प्लान के साथ खेला तो वहीं टीम इंडिया सेमीफाइनल में एक मजबूत टीम के सामने आते ही बेदम नजर आई. इस स्टोरी में समझिए कि इंग्लैंड में ऐसा क्या है, जो इंडिया के पास नहीं है और टीम इंडिया को इंग्लैंड टीम से क्या सीखना चाहिए.
इंग्लैंड की ओपनिंग
इंग्लैंड को पूरे टी-20 वर्ल्ड कप में जोस बटलर और एलेक्स हेल्स की ओपनिंग जोड़ी ने एग्रेसिव शुरुआत दी.दोनों खिलाड़ियों की ताकत रही कि ये दोनों प्लेयर्स ने पावर-प्ले में लगभग 60 से 70 रन बनाए. टीम इंडिया के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में दोनों ने तो 169 रन के टारगेट को 16 ओवर में ही चेज कर लिया था और वो भी बिना आउट हुए.पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में भी हेल्स भले ही शुरुआत में आउट हो गए, लेकिन जोस बटलर ने 17 बॉल में 26 रन बनाए. टी-20 वर्ल्ड कप में बटलर ने जहां 144 के स्ट्राइक रेट से 225 रन बनाए तो वहीं उनके जोड़ीदार हेल्स ने 147 के स्ट्राइक रेट से 212 रन बनाए.
भारत की ओपनिंग जोड़ी
अब बात करें भारतीय ओपनर की तो रोहित-राहुल पूरे वर्ल्ड कप में डिफेंसिव मोड में ही नजर आए.पूरे वर्ल्ड कप में भारतीय ओपनर्स ने पावरप्ले में 100 से भी कम के स्ट्राइक रेट से रन बनाए. इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया ने सेमीफाइनल के पावरप्ले में सिर्फ 38 रन बनाए. भारत के कप्तान रोहित शर्मा ने पावरप्ले में करीब 95 तो वहीं उनके पार्टनर राहुल ने लगभग 90 के स्ट्राइक रेट के साथ रन बनाए. टी-20 वर्ल्ड कप में रोहित सिर्फ 116 रन और राहुल 128 रन ही बना सके.
गेंदबाजी ऑलराउंडर
टी-20 क्रिकेट में ऑलराउंडर की बहुत अहमियत होती है. इंग्लैंड के पास इस टूर्नामेंट में टॉप-5 बल्लेबाजों में लियाम लिविंगस्टोन और मोईन अली के रूप में दो ऐसे खिलाड़ी थे, जो बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी भी कर सकते थे. साथ ही बेन स्टोक्स, सैम करन पूरी तरह से ऑलराउंडर की भूमिका में थे. यानि अगर ऑप्शन की बात की जाए तो बेन स्टोक्स, क्रिस वोक्स, सैम करन, आदिल रशीद, लियाम लिविंगस्टोन, मोईन अली और क्रिस जॉर्डन जैसे तगड़े बॉलर इंग्लैंड के पास मौजूद थे. अगर कोई गेंदबाज महंगा साबित होता था तो बटलर तुरंत उसकी जगह दूसरे गेंदबाज को ले आते थे. लेकिन भारत के पास ऐसा नहीं था. टीम इंडिया के पास मेन बॉलर और हार्दिक के अलावा ऐसा कोई भी ऑप्शन नहीं था.पूरे वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा, केएल राहुल, विराट कोहली और सूर्यकुमार यादव ने सिर्फ बल्लेबाजी की. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि कोहली और रोहित शर्मा गेंदबाजी नहीं करते. रोहित ने तो IPL में हैट्रिक तक ली है.लेकिन वर्ल्ड कप एक्स्ट्रा बोलिंग ऑप्शन भारत के पास नहीं रहा. सेमीफाइनल में जब सभी बॉलर्स पिट रहे थे तो रोहित समझ ही नहीं पा रहे थे किसे बॉलिंग दें. ये भी एक गंभीर सवाल रहा कि भारत ने युजवेंद्र चहल जैसे अपने बेस्ट स्पिनर को एक भी मैच नहीं खिलाया.
निर्भीक और डीप बल्लेबाजी
विराट, सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पंड्या को छोड़ दें तो पूरे वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की बल्लेबाजी अच्छे स्ट्राइक रेट से खेलने में संघर्ष करती हुई नजर आई. रोहित और राहुल का स्ट्राइक रेट तो मोईन अली और लियाम लिविंगस्टोन से भी कम रहा. मोईन ने 126 से ज्यादा और लियाम लिविंगस्टोन 122 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए. भारत में ओपनर के आउट होने के बाद अन्य खिलाड़ी दबाव के चलते अपने खेल को धीमा कर देते हैं. जबकि इंग्लैंड के पास दोनों ओपनर के आउट होने के बाद भी आने वाले बल्लेबाज फिल सॉल्ट, बेन स्टोक्स, हैरी ब्रूक, लियाम लिविंगस्टोन, मोईन अली, क्रिस वोक्स और सैम करन बड़े शॉट खेलने में माहिर हैं.
पूरी टीम बल्लेबाजी में सक्षम
क्रिकेट में ये बहुत कम देखने को मिलता है कि पूरी टीम बल्लेबाजी में सक्षम हो. इंग्लैंड के पास इस वर्ल्ड कप में नंबर-10 और नंबर-11 तक बल्लेबाजी थी. जोस बटलर से लेकर नंबर-11 तक आने वाले आदिल रशीद सभी बल्लेबाजी कर सकते हैं. भारतीय टीम के पास बल्लेबाजों की कमी के चलते आर. अश्विन-अक्षर को चहल के ऊपर खिलाया गया. शुरुआती विकेट गिरने के बाद नीचे बल्लेबाजों के ऑप्शन बहुत कम हो जाते थे.