भारत के डोम्मराजू गुकेश महज 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियन बन गए हैं. गुकेश ने चीन के डिंग लिरेन को हराकर यह खिताब अपने नाम किया है. गुकेश शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले खिलाड़ी हैं. लेकिन यह अभूतपूर्व काम उन्होंने बिना अकेले नहीं किया. बल्कि उनके साथ पूरी एक टीम थी.
वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसी प्रतियोगिताओं में एक खिलाड़ी की तैयारी के लिए उसके साथ पूरी टीम काम करती है. यह टीम खिलाड़ी के साथ ट्रेनिंग गेम्स खेलने से लेकर उसे ओपनिंग आइडिया देने तक कई कामों के लिए जिम्मेदार होती है. गुकेश के साथ भी ऐसा ही था. अब वर्ल्ड चैंपियन बन चुके गुकेश की टीम ने उन्हें इस प्रतियोगिता के लिए कैसे तैयार किया, आइए डालते हैं एक नजर.
चार गुरुओं ने करवाई 'ओपनिंग' की तैयारी
गुकेश की टीम का हिस्सा रहे ग्रैंडमास्टर ग्रेगोज़ गजेवस्की (Grzegorz Gajewski) ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ खास बातचीत में गुकेश की तैयारी का खुलासा किया है. टीम के कुछ खिलाड़ियों को जहां खास तौर पर ओपनिंग की तैयारी का जिम्मा सौंपा गया था, वहीं गुकेश को टाइम ट्रेनिंग के लिए भी विशेष तैयारी दी जा रही थी.
शतरंज के खेल में ओपनिंग का मतलब होता है गेम की शुरुआती चालें. एक खिलाड़ी अगर अपनी शुरुआती 5-10 चालें तैयार करके आए तो वह काफी समय बचा सकता है और खेल में अहम बढ़त बना सकता है. गुकेश को ओपनिंग की तैयारी चार ग्रैंडमास्टर्स ने करवाई. हरिकृष्णा पेंटाला, राडोस्लाव वोज्टाज़ेक, विन्सेंट काइमर और गजेवस्की. हरिकृष्णा, राडोस्लाव और गजेवस्की लंबे समय से गुकेश के साथ थे. काइमर सबसे अंत में टीम का हिस्सा बने लेकिन उनका 'नए विचार लाना' गुकेश के लिए बेहद अहम साबित हुआ.
ओपनिंग टीम की ओर से की गई मेहनत 19 दिन तक चले इस टूर्नामेंट के दौरान भी दिखी. वर्ल्ड चैंपियनशिप में डिंग की तुलना में गुकेश ज्यादा तैयार नजर आए. उन्होंने कई बार ओपनिंग में तेजी से गेम पर पकड़ बनाई. नतीजतन, टाइम में पिछड़ने के कारण लिरेन ने खुद को दबाव में पाया. जब 14 गेम के मैच में गुकेश ने अपनी पहली जीत दर्ज की थी तब भी समय निर्णायक साबित हुआ था.
दबाव के लम्हों के लिए की खास तैयारी
गुकेश ने जहां मैच के शुरुआती हिस्से के लिए खास तैयारी की, वहीं मैच के अंतिम हिस्से के लिए भी उनकी तैयारी विशेष रही. गुकेश को ऐसी स्थिति के लिए तैयारी करनी थी जब उनकी घड़ी पर कम समय बचा हो और उन्हें तेजी से सोचकर अपनी चालें चलनी हों. इस काम में उनकी मदद की पोलैंड के यान क्रिज़्टॉफ डूडा ने. डूडा दुनिया के सबसे बेहतरीन ब्लिट्ज़ खिलाड़ियों में से एक हैं.
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, डूडा को गुकेश के खिलाफ '100-200 गेम' खेलने के लिए टीम में बुलाया गया था. दोनों ने तीन से पांच मिनट के मैच खेले ताकि गुकेश को कम समय में तेजी से सोचने के लिए तैयार किया जा सके. रिपोर्ट में बताया गया कि डूडा अप्रैल से गुकेश के साथ ये गेम ऑनलाइन खेल रहे थे.
गजेवस्की बताते हैं कि डूडा का टीम में होना गुकेश की तैयारी के लिए बेहद अहम साबित हुआ. रिपोर्ट में गजेवस्की के हवाले से कहा गया, "वह टीम का अहम खिलाड़ी है. वह हम सब की तरह नहीं है जो कंप्यूटर की मदद ले रहे हैं. वह ऐसा है जिसे आधी रात में उठाकर एक पोजीशन दे दी जाए और वह खेल लेगा. और वह इस तरह घंटों तक खेल सकता है."
गजेवस्की कहते हैं, "इससे गुकेश को उन लाइन्स का अनुभव लेने का मौका मिला जो उसे खेलनी थीं. साथ ही उसे कम समय में खेलने के अपने कौशल को सुधारने का भी मौका मिला. हम चाहते थे कि जब समय कम बचा हो तो गुकेश दबाव में ढह न जाए. हमने भले ही ज्यादा फोकस ओपनिंग पर रखा, लेकिन हम खेल के दूसरे पहलुओं को भूले नहीं."
24 घंटे काम करने के लिए जमाए दो डेरे
वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद गुकेश ने अपनी टीम में शामिल नामों का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि गजेवस्की और माइंड गुरु पैडी अप्टन के अलावा पेंटाला हरिकृष्णा, राडोस्लाव वोज्टाज़ेक (पोलैंड), जान-क्रिज़्सटॉफ़ डूडा (पोलैंड), जान क्लिमकोव्स्की (पोलैंड) और विंसेंट कीमर (जर्मनी) सहित कुल पांच ग्रैंडमास्टर्स ने गुकेश की मदद की. उनके गुरु विश्वनाथन आनंद भी उनके साथ जुड़े हुए थे.
इन सब नामों में गजेवस्की गुकेश के भरोसेमंद शेरपा रहे हैं. दोनों की साझेदारी जनवरी 2023 में आनंद की बदौलत शुरू हुई थी. आनंद ने खुद भी कई विश्व चैंपियनशिप मैचों के लिए गजेवस्की को अपनी टीम में शामिल किया था. और गजेवस्की की वजह से ही गुकेश की टीम में पोलैंड के कई अन्य नाम भी देखने को मिले.
गुकेश की टीम का एक बड़ा हिस्सा उनके साथ तब से है जब वह टॉरन्टो में हुए कैंडिडेट्स टूर्नामेंट की तैयारी कर रहे थे. अप्रैल में हुए कैंडिडेट्स से लेकर इस वर्ल्ड चैंपियनशिप के बीच इस टीम ने पोलैंड और बारत में कुल चार ट्रेनिंग कैंप आयोजित किये. जब वर्ल्ड चैंपियनशिप की बारी आई तो टीम के एक बड़े हिस्से ने गुकेश से दूर स्पेन में भी डेरा जमाया.
गजेवस्की ने इसके पीछे की वजह यह बताई कि वे टीम से ज्यादा से ज्यादा काम लेना चाहते थे. रिपोर्ट में गजेवस्की के हवाले से कहा गया, "जब वे (स्पेन में) सोने जाते थे तब हम यहां (सिंगापुर में) सोकर उठते थे." हालांकि अब जब गुकेश ने वर्ल्ड चैंपियनशिप जीत ली है, तो गजेवस्की और उनकी टीम चैन की नींद ले सकती है.