टी20 वर्ल्ड कप के सबसे बड़े मुकाबले की घड़ी नजदीक आ गई है. आज से ठीक एक दिन बाद यानि की 23 अक्टूबर रविवार को भारत चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में अपने अभियान की शुरुआत करेगा. अगर टी20 विश्व कप के इतिहास की बात करें तो जब सबसे पहली बार 2007 में टी20 वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई थी तो उस साल महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारत ने फाइनल में रोमांचक मैच में पाकिस्तान को 5 रन से हरा कर चैंपियन बना था. उसके बाद से आजतक भारत के हाथ टी20 वर्ल्ड कप की ट्रॉफी नहीं आई है.
युवाओं से भरी थी टीम इंडिया
सबसे खास बात यह थी कि क्रिकेट जगत में यह पहला टी20 वर्ल्ड कप था और भारतीय टीम पूरी तरह से युवाओं से भरी हुई थी. यहां किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि बिना सचिन, सौरव और द्रविड़ की तिकड़ी के बिना टीम इंडिया यह वर्ल्ड कप जीत पाएगी लेकिन धोनी ब्रिगेड ने यहां सभी पूर्वानुमानों को गलत साबित कर दिया था.
बता दें कि 2007 के वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ग्रुप-डी में थी. इस ग्रुप में पाकिस्तान और स्कॉटलैंड की टीमें भी थीं. भारत ने अपने अभियान की शुरुआत स्कॉटलैंड के खिलाफ की थी और इस मैच में बारिश के चलते एक भी गेंद नहीं फेकी जा सकी थी और दोनों टीमों को 1-1 अंक से संतोष करना पड़ा था. इसके बाद भारत-पाकिस्तान का मुकाबला हुआ. ये मैच सांसे थाम लेने वाला हुआ और मैच में रोमांच की सारी हदें पार हो गई.
बॉल आउट के जरिए हुआ फैसला
इस मुकाबले में भारत ने खराब बल्लेबाजी की थी और किसी तरह पाकिस्तान को एक सम्मानित लक्ष्य दिया. पाकिस्तान को जीत के लिए 142 रन बनाने थे, लेकिन पाक की टीम पूरे 20 ओवर में 141 रन ही बना पाई और मैच टाई हो गया था. आखिरी में मुकाबले का फैसला बॉल आउट के जरिए किया गया, जहां भारत के तीनों गेंदबाजों ने स्टम्प बिखेर दिए लेकिन पाकिस्तान का कोई भी गेंदबाद स्टम्प पर बॉल नहीं डाल सका. भारत इस जीत के बाद दूसरे राउंड में पहुंचा था.
गंभीर को छोड़कर नहीं चला कोई बल्लेबाज
क्योंकि भारत ने ग्रुप मैच में पाकिस्तान को हराया था, तो फाइनल में पाकिस्तान की टीम पर पहले से ही एक मनोवैज्ञानिक दबाव था. उसका फायदा भी भारत को मैच के दौरान मिला. फाइनल मैच की बात करें तो कप्तान धोनी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी थी. लेकिन भारत के तरफ गंभीर को छोड़कर सभी बल्लेबाजों काफी खराब खेला. जिसका नतीजा ये हुआ कि भारत निर्धारित ओवरों में 141 रन ही बना पाया. भारत की तरफ से गौतम गंभीर ने जबरदस्त बल्लेबाजी की थी. गंभीर ने 54 गेंद में 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 75 रन ठोके थे. उन्हें आखिरी के ओवरों में टीम इंडिया के 'हिटमैन' रोहित शर्मा का साथ मिला था. रोहित ने उस मैच में केवल 16 गेंदों में 2 चौके और 1 छक्के की मदद से नॉटआउट 30 रन बना डाले. वहीं पाकिस्तान के लिए उमर गुल ने 4 ओवर में 28 रन देकर 3 विकेट लिया था.
जवाब में पाकिस्तानी टीम की हालत खराब हो गई थी. एक समय 104 रन पर 7 विकेट खो चुके पाकिस्तान को कप्तान मिसबाह उल हक ने सहारा दिया, जो भारतीय टीम के खिलाफ लीग मैच में भी मैच टाई कराने में सफल रहे थे. मिस्बाह ने यासिर अराफात (15) और सोहेल तनवीर (12) के साथ उपयोगी साझेदारियां कीं, ऐसे में पाकिस्तानी टीम मैच जीतने की स्थिति में आ गई थी.
अंतिम ओवर का रोमांच..भारत बना चैंपियन
आखिरी ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रनों की दरकार थी और केवल एक विकेट बचे थे. इस रोमांचक मोड़ पर कप्तान धोनी ने गेंदबाजी की जिम्मेदारी तेज गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को दी. जोगिंदर ने पहली गेंद वाइड डाली. ऐसे में अब पाकिस्तान को छह गेंदों में 12 चाहिए थे. मिस्बाह ने दूसरी गेंद पर छक्का जड़ दिया. अब पाकिस्तान को 4 गेंदों में 6 रन चाहिए थे लेकिन ओवर की तीसरी गेंद पर जोगिंदर ने मिस्बाह उल हक को पवेलियन भेज दिया और भारत ने पहली बार हो रहे टी20 विश्वकप पर कब्जा करके इतिहास रच दिया.
फाइनल मुकाबले में जीत के बाद कप्तान धोनी ने कहा था, 'यह उन चीजों में से एक है जिसे मैं जीवन भर संजो कर रखूंगा. मैं अपने साथियों को बधाई देना चाहता हूं.उन्होंने मुझे जो रिस्पॉन्स दिया है उसके लिए उन्हें धन्यवाद. किसी ने हमसे जीतने की उम्मीद नहीं की थी और आज हम जिस तरह से खेले हैं, हम एक बड़े जश्न के हकदार हैं.'