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Birthday Special: जानें हरियाणा हरिकेन के नाम से मशहूर कपिल देव के बारे में, जिनकी आज भी दी जाती है क्रिकेट में मिसाल

कपिल देव टीम इंडिया के अब तक के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में से एक हैं. उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने पहली बार 1983 में विश्वकप का खिताब हासिल किया था.कपिल देव की तुलना किसी भी क्रिकेटर से नहीं की जा सकती है.

कप के साथ कपिल देव (फोटो ट्विटर) कप के साथ कपिल देव (फोटो ट्विटर)
हाइलाइट्स
  • कपिल देव का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में हुआ था

  • अपने दम पर 1983 का वर्ल्डकप इंडिया को दिलाया

भारतीय टीम को पहला वर्ल्ड कप जिताने वाले पूर्व कप्तान कपिल देव का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में हुआ था. भारत को तेज गेंदबाजी में प्रतिष्ठा दिलाने वाले कपिल देव हरियाणा हरिकेन के नाम से मशहूर थे. दुनिया के सफलतम ऑलराउंडरों में से एक कपिल ने गेंदबाजी के अलावा बल्लेबाजी में भी कई रिकॉर्ड अपने नाम किया है. इसके अलावा उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने पहली बार 1983 में विश्व कप का खिताब भी हासिल किया था.

हर एक आलराउंडर कपिल देव जैसा बनना चाहता है
कपिल देव आज भले ही क्रिकेट की दुनिया से दूर हैं, लेकिन आज भी उनकी मिसाल क्रिकेट के इस खेल में दी जाती है. हर एक आलराउंडर कपिल देव जैसा बनना चाहता है, जो बल्ले के साथ-साथ गेंद से और फिर मैदान पर अपना 110 फीसदी देने के लिए मशहूर थे. एक कप्तान के तौर पर भी उन्होंने सिद्ध कर दिया था कि वे ऐसी टीम को विश्व चैंपियन बना सकते हैं, जिसके बारे में शायद किसी ने कल्पना भी नहीं थी.एक खिलाड़ी के तौर पर कपिल देव बेहद फिट थे. उनकी रनिंग इतनी अच्छी थी कि अपने पूरे करियर में वे कभी भी रन आउट नहीं हुए. वाकई कपिल देव का कोई सानी नहीं है. 

इस तरह से बने तेज गेंदबाज
कपिल देव जब 15 साल के थे तो उन्हें मुंबई में एक ट्रेनिंग कैंप में भेजा गया. पहले दिन उन्हें खाने में दो रोटी और एक सूखी सब्जी मिली. यह देखकर कपिल ने खाना खाने से इंकार कर दिया. इसके बाद वह कैंप मैनेजर तारापुर के पास गए. कपिल ने कहा कि सर मैं फास्ट बॉलर हूं और दो रोटी से मेरा काम नहीं चलेगा. इस पर तारापुर ने कहा कि रोटी तो तुम्हें और मिल जाएगी लेकिन एक बात समझ लो कि भारत में 40 साल में कोई फास्ट बॉलर पैदा नहीं हुआ है. कपिल ने उसी समय तय किया कि वह भारत के सबसे तेज गेंदबाज बनेंगे.

पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट में किया था डेब्यू 
कपिल देव से पहले किसी भी विरोधी टीम का बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजों के सामने हेलमेट नहीं पहनता था. कपिलदेव ने 16 अक्टूबर 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद टेस्ट में डेब्यू किया था. जब कपिल दूसरा ओवर डाल रहे थे तो उनकी एक गेंद सादिक मोहम्मद के नाक के बगल से निकल गई. कपिल की इस बॉल से सादिक घबरा गए और उन्होंने खेल रोककर हेलमेट मंगवाई. 

कपिल देव का करियर
अपने 16 साल के करियर में कपिल देव ने 134 टेस्ट मैचों में 434 विकेट लिए. साथ ही 8 शतकों की बदौलत 5248 रन बनाए. वह 400 विकेट लेने वाले और 5 हजार रन बनाने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं. इसके अलावा अपने टेस्ट करियर में उन्होंने सिर्फ 20 बार नो बॉल फेंकी. कपिल देव विकेटों के बीच तेज भागने के लिए मशहूर थे. 184 टेस्ट पारियों में वह कभी रन आउट नहीं हुए. कपिल देव ने भारत की ओर से कुल 225 वनडे मैच खेले और 27.45 की औसत से 253 विकेट झटके हैं. बल्लेबाजी में उन्होंने 95.07 की स्ट्राइक रेट से 3783 रन बनाए हैं. वनडे क्रिकेट में सबसे पहले 200 विकेट लेने का कारनामा कपिल देव ने किया था. कपिल देव ने जब वेस्ट इंडीज को फाइनल में हराकर वर्ल्डकप देश को जिताया, तब वह 24 साल 170 दिन के थे. वह सबसे छोटी उम्र के कप्तान बने थे, जिन्होंने वर्ल्डकप जीता. कपिल देव ने 1994 में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहा, उस समय वह टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे. कपिल देव को 11 मार्च 2010 को ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था.

जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रनों की खेली थी पारी 
25 जून 1983 को वेस्टइंडीज के खिलाफ 43 रन से जीत हासिल कर भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप अपने नाम किया था. कपिल देव ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रनों की पारी खेली और टीम को जीत दिलाने में कामयाब रहे. उन्होंने 175 रनों की इस पारी के लिए मात्र 138 गेंदें खेली थीं. उन्होंने 1983 के वर्ल्ड कप के दौरान आठ मैचों में 303 रन बनाए थे, जबकि 12 विकेट भी चटकाए थे.