द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ भारत के अब तक के सबसे महान क्रिकेटरों में से एक हैं. एकदिवसीय और टेस्ट दोनों में 10,000 से अधिक रन के साथ, द्रविड़ ने हमेशा ही अपना क्लास बना के रखा. द्रविड़ के बारे में ये बात उनके फैंस अक्सर ही कहते हैं कि अगर क्रिकेट जेंटलमेन गेम है, तो द्रविड़ ही वो जेंटलमेन हैं. वैसे तो साल 2012 में ही द्रविड़ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन उनके फैंस के दिलों में उनके लिए प्यार हमेशा बरकरार रहेगा. आज राहुल द्रविड़ अपना 49 वां जन्मदिन मना रहे हैं.
टीम को साथ लेकर चलना जानते हैं द्रविड़
राहुल द्रविड़ खुद के परफार्मेंस से ज्यादा टीम के परफार्मेंस का ख्याल रखते हैं. बात उस वक्त की है जब सौरव दादा भारतीय टीम के कप्तान थे, और राहुल उस टीम का हिस्सा. उस वक्त सौरव दादा ने उन्हें बल्लेबाजी की जगह विकेटकीपिंग करने के लिए कहा था. तब द्रविड़ अपनी परफार्मेंस की चिंता किए बिना ही मान गए थे, इसी वजह से भारतीय टीम में एक अतिरिक्त बल्लेबाज की जगह बनी, और मोहम्मद कैफ को बतौर बल्लेबाज मौका मिला. यहां तक की एक इंटरव्यू के दौरान कैफ ने इस बात का जिक्र भी किया था कि अगर द्रविड़ उस वक्त विकेट कीपिंग नहीं करते तो मुझे इतने बार खेलने का मौका नहीं मिलता.
जैमी बुलाते थे दोस्त यार
राहुल को बचपन से ही परिवार और दोस्तों का काफी प्यार मिला है. राहुल की मां पुष्पा, यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (UVCE), बैंगलोर में आर्किटेक्चर की प्रोफेसर थीं. वहीं उनके पिता शरद एक जैम फैक्ट्री में काम करते थे, और क्रिकेट के बहुत बड़े फैन थे. जूनियर द्रविड़ अक्सर अपने पिता के साथ क्रिकेट मैचों में जाते थे. चूंकि द्रविड़ के पिता एक जैम फैक्ट्री में काम करते थे, उनके दोस्त प्यार से उन्हें 'जैमी' नाम से बुलाते थे. इसके अलावा उन्हें 'दी वॉल' और 'मि. डिपेंडेबल' भी कहा जाता है.
Highly-qualified हैं द्रविड़
जहां एक तरफ ज्यादातर क्रिकेटर अपने खेल और पढ़ाई में संतुलन ना बना पाने के कारण ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. वहीं राहुल ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ बॉयज हाई स्कूल, बैंगलोर से हासिल की और सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, बैंगलोर से वाणिज्य में डिग्री हासिल की. सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में एमबीए की पढ़ाई के दौरान उन्हें भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में चुना गया था.
12 साल की उम्र से खेलते थे क्रिकेट
द्रविड़ ने 12 साल की कम उम्र में खेलना शुरू कर दिया था. वह चयनकर्ताओं को प्रभावित करने में बहुत तेज थे और इस कारण उन्होंने कई बार U15, U17 और U19 स्तरों पर अपने राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया है. कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही नजर आ जाते हैं. बात राहुल के स्कूल के दिनों की है जब उन्होंने स्कूल के किसी मैच में शतक जड़ा था. उस वक्त पूर्व क्रिकेटर केकी तारापोर की नजर उन पर पड़ी और वो उन्हें क्रिकेट की दुनिया में लेकर आए.
बेहतरीन कप्तान थे द्रविड़
वह दक्षिण अफ्रीका की धरती पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैच जीतने वाली भारतीय टीम का नेतृत्व करने वाले पहले कप्तान थे. वह इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीतने वाले भारत के तीसरे कप्तान थे, जब भारत ने 2007 में सीरीज़ जीती थी. राहुल ने 2006 में वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत को एक ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत दिलाई थी, जो कि 1971 के बाद से, भारत ने कभी भी एक नहीं जीता था.