नागालैंड के दीमापुर के रहने वाले शॉट पुट एथलीट होकातो होतोजे सेमा (Hokato Hotozhe Sema) ने जब शुक्रवार को पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता तो शायद उन्हें यह दिन याद आया हो जो उन्हें यहां तक लेकर आया है.
साल 1983 में हवलदार सेमा का जन्म एक किसान के परिवार में हुआ. वह अपने परिवार के दूसरे बेटे थे. सेमा हमेशा से भारत मां की सेवा करने के लिए भारतीय सेना की इलीट स्पेशल फोर्सेस में शामिल होना चाहते थे. लेकिन 2002 की एक दुर्घटना ने उनसे उनका यह सपना छीन लिया. जब होकातो की उम्र 19 साल थी तब एक घुसपैठ रोधी अभियान के दौरान लैंडमाइन पर पैर रखने के कारण उन्होंने अपना बायां पैर गंवा दिया.
आर्मी नोड में ली ट्रेनिंग
घुटने के नीचे का पैर गंवाने के बावजूद सेमा ने अपना हौसला नहीं टूटने दिया और एफ57 कैटेगरी में पैरा-एथलीट बनने का फैसला किया. एफ57 श्रेणी उन फ़ील्ड एथलीटों के लिए डिज़ाइन की गई है जो या तो एक पैर से विकलांग हैं, या दोनों पैरों में मध्यम विकलांगता है, या हाथों/पैरों में से कोई एक अंग अनुपस्थित है. सेमा ने पुणे में मौजूद सेना के पैरालंपिक नोड, बॉम्बे इंजीनियरिंग सेंटर (BEG Centre, Pune) में ट्रेनिंग ली, जहां उन्होंने खुद को एक वर्ल्ड क्लास एथलीट के रूप में तराशने का काम किया.
2022 में आया पहला मेडल
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेमा का पहला मेडल मोरक्को ग्रां प्री में 2022 में आया, जहां उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया. इसके बाद उन्होंने चीन के हांग्झोउ में हुए एशियन गेम्स में भी भारत के लिए कांस्य पदक हासिल किया. इस साल वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी सेमा ने अच्छा प्रदर्शन किया, हालांकि वह चौथे स्थान पर रहे.
पेरिस पैरालंपिक्स में सेमा के पास अपनी फॉर्म बरकरार रखने का मौका था. पहली बार इस आयोजन में हिस्सा ले रहे सेमा ने मौके का भरपूर फायदा उठाया और पुरुषों की एफ57 कैटेगरी के शॉट पुट फाइनल में ब्रॉन्ज मेडल जीता. सेमा ने 14.65 मीटर की थ्रो के साथ यह मेडल हासिल किया.
सेमा ने 13.88 मीटर की थ्रो के साथ शुरुआत की लेकिन उन्हें लय हासिल करने में ज्यादा समय नहीं लगा. दूसरे प्रयास में सेमा ने 14 मीटर के निशान को पार किया, जबकि तीसरी कोशिश में वह 14.40 मीटर का प्रभावशाली थ्रो करने में सफल रहे. सेमा का चौथा थ्रो उनका सर्वश्रेष्ठ साबित हुआ जिसमें उन्होंने 14.49 मीटर के अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ को पार करते हुए कांस्य पदक जीता.
इस जीत के साथ हवलदार सेमा पैरालंपिक मेडल जीतने वाले नागालैंड के पहले एथलीट बन गए हैं. लेकिन उनकी उपलब्धि इतने तक सीमित नहीं है. बल्कि उन्होंने अपने जैसे कई पैरा-एथलीट्स को सफलता का रास्ता भी दिखा दिया है.