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India Today Conclave 2025: कोविड ने कैसे भारत में शतरंज क्रांति को दिया बढ़ावा... Chase का बादशाह बनने के बाद जिंदगी में क्या-क्या आए बदलाव... विश्व चैंपियन D Gukesh ने बताया

D Gukesh At India Today Conclave: इंडिया टुडे कॉनक्लेव 2025 में भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने चेस का वर्ल्ड चैंपियन बनने के अपने सफर के बारे में बताया. गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया था. इस तरह से उन्होंने इतिहास रच दिया था. इतनी कम उम्र में खिताब जीतने वाले गुकेश दुनिया के पहले प्लेयर बन गए थे.

D Gukesh At India Today Conclave D Gukesh At India Today Conclave

चेस (Chase) यानी शतरंज के बादशाह डी गुकेश (D Gukesh) ने 8 मार्च को दिल्ली में आयोजित इंडिया टुडे कॉनक्लेव 2025 (India Today Conclave 2025) में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने चेस का वर्ल्ड चैंपियन बनने के अपने सफर के बारे में बताया. उन्होंने बताया, कैसे तमाम परेशानियों के बावजूद वह वर्ल्ड चैंपियन बनने में सफल रहे.

डी गुकेश ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन अवधि ने भारत में शतरंज क्रांति को बढ़ावा दिया. इस दौरान वह पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद का गुणगान करने से अपने आप को रोक नहीं पाए. उन्होंने बताया कि कैसे विश्वनाथन आनंद के मार्गदर्शन और पहल ने उनके जैसे युवा प्रतिभाओं को निखारने में मदद की, जिससे अंततः देश का नाम रोशन हुआ. गुकेश का मानना है कि शतरंज की दुनिया में विश्वनाथन आनंद ने जो किया है, वह बहुत ही शानदार है.

सात साल की उम्र में ही खेलना शुरू कर दिया था शतरंज 
आपको मालूम हो कि ​​​​​डी गुकेश का पूरा नाम डोम्माराजू गुकेश है. गुकेश का जन्म चेन्नई में 7 मई 2006 को हुआ था. गुकेश के पिता डॉक्टर हैं और मां पेशे से माइक्रोबायोलॉजिस्‍ट हैं. गुकेश ने सात साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था. उन्हें शुरू में इंटरनेशनल चेस खिलाड़ी भास्कर नागैया ने कोचिंग दी थी. इसके बाद विश्वनाथन आनंद ने गुकेश को शतरंज की और जानकारी दी. 

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जब गुकेश बने थे चेस के सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन 
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया था. इस तरह से उन्होंने इतिहास रच दिया था. इतनी कम उम्र में खिताब जीतने वाले गुकेश दुनिया के पहले प्लेयर बन गए थे. इससे पहले 1985 में रूस के गैरी कैस्परोव सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चेस चैंपियन बने थे. गैरी कैस्परोव ने साल 1985 में अनातोली कार्पोव को हराकर 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था. डी गुकेश ने सिंगापुर में आयोजित वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप के फाइनल में चीन के चेस मास्टर डिंग लिरेन को  7.5-6.5 से पराजित किया था. गुकेश ने चीनी खिलाड़ी को 14वें गेम में हराकर यह टाइटल जीता था. गुकेश ने 17 साल की उम्र में FIDE कैंडिडेट्स चेस टूर्नामेंट जीता था. वह उस समय इस खिताब को जीतने वाले भी सबसे युवा प्लेयर बन गए थे.

अपने माता-पिता की आर्थिक मदद कर सके 
इंडिया टुडे कॉनक्लेव डी गुकेश ने बताया कि वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतना मेरा बचपन का सपना था. मुझे खुशी है कि मैं अपने माता-पिता और देश के लिए ऐसा कर सका. उन्होंने कहा कि चेस का वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद मैंने कुछ दिनों तक मैंने खूब जश्न मनाया. इसके बाद अगला टूर्नामेंट शुरू हो गया. मैं उसकी तैयारी में लग गया. वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद मेरी जिंदगी में कई बदलाव हुए हैं. अब मेरा शेड्यूल पहले से ज्यादा व्यस्त हो गया है. अब जब मैं बाहर जाता हूं,तो मुझे पहले से ज्यादा पहचान मिली है. गुकेश ने बताया कि चेस का विश्व चैंपियन बनने के बाद वह अपने माता-पिता की आर्थिक मदद कर सके. गुकेश ने बताया कि 2017-18 में मेरे माता-पिता के दोस्त मुझे स्पॉन्सर कर रहे थे. पिछला साल हमारे लिए आर्थिक रूप से बहुत अच्छा रहा. 

दिमाग में सोच लेते हैं कितनी चाल 
इंडिया टुडे कॉनक्लेव जब डी गुकेश से पूछा गया कि आप शतरंज खेलते समय विपक्षी खिलाड़ी के सामने एक बार में अपने दिमाग में कितनी चाल सोच लेते हैं? इस पर डी गुकेश ने बताया कि ऐसी कोई गिनती तय नहीं होती है. यह सबकुछ स्थिति, मैच और विपक्षी खिलाड़ी के हिसाब से तय होता है. एक-दो चाल तो होती ही हैं लेकिन कई बार ऐसे मौके आते हैं कि आप 4-5 चाल सोच लेते हैं.

विश्वनाथन आनंद की एकेडमी का रहा बड़ा रोल
विश्व शतरंज चैंपियन डी गुकेश ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव ने बताया कि विश्वनाथन आनंद की वेस्टब्रिज आनंद शतरंज एकेडमी (WACA) का उनके आगे बढ़ने में बड़ा रोल रहा है. आपको मालूम हो कि इस एकेडमी की स्थापना साल 2020 में विश्वनाथन आनंद ने वेस्टब्रिज कैपिटल के साथ मिलकर की थी. डी गुकेश ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान घर से बाहर न निकल पाना भारतीय शतरंज खिलाड़ियों के लिए कोई बड़ी बाधा नहीं थी. ऑनलाइन प्रशिक्षण प्लेटफ़ॉर्म की उपलब्धता और आनंद की एकेडमी ने न सिर्फ उनके बल्कि कई खिलाड़ियों के कौशल को निखारने में योगदान दिया. गुकेश ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद चेस में काफी बूम आया है, स्पॉन्शरशिप आई है, टूर्नामेंट बढ़े हैं, ओलंपियाड हुआ है.