scorecardresearch

India vs New Zealand 2nd Test: कप्तान, सीनियर और.... न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत की शर्मनाक हार के ये हैं 5 कारण

न सिर्फ यह घरेलू सरज़मीन पर 12 साल बाद भारत की पहली हार है, बल्कि न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सरजमीन पर पहली हार है. इस हार के बाद भारतीय टीम मैनेजमेंट और बीसीसीआई को गहरे मंथन की जरूरत है. और जरूरत है हार के कारणों पर नजर डालने की.

India vs NZ 2nd Test India vs NZ 2nd Test

न्यूजीलैंड ने भारत को दूसरे टेस्ट में 113 रन से हराकर रोहित शर्मा की टीम को तगड़ा झटका दिया है. यह हार कई मायनों में भारत के लिए आंखें खोलने वाली है. न सिर्फ यह घरेलू सरज़मीन पर 12 साल बाद भारत की पहली हार है, बल्कि न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सरजमीन पर पहली हार है. यह हार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को विचार करने पर मजबूर करेगी. और बोर्ड को हार के इन कारणों पर शायद गहरे मंथन की जरूरत होगी.

1. लचर कप्तानी
यह कहने में कोई दोराय नहीं कि इस मैच और पूरी सीरीज में रोहित की कप्तानी डिफेंसिव और खराब फैसलों से भरी रही है. सीरीज की पहली गेंद फेंके जाने से पहले ही एक बड़ी गलती कर दी थी. वह था बेंगलुरु की पिच पर बारिश के बाद टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला करना. आसमान में बादल छाए होने की वजह से गेंद हरकत कर रही थी. स्विंग गेंदबाजों को मदद मिल रही थी. 

ऐसे में अगर रोहित टॉस जीतकर गेंदबाजी चुनते तो जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के पास बेंगलुरु में तांडव करने का मौका होता. वे कीवी बल्लेबाजों को नाकों चने चबवा सकते थे. लेकिन रोहित ने बल्लेबाजी चुनी और पहली पारी में टीम 46 रन पर सिमट गई. सिर्फ यही नहीं, जब इसके जवाब में न्यूजीलैंड ने 233 रन पर सात विकेट गंवा दिए थे. तब रोहित गेंदबाजों का सही इस्तेमाल करके कीवी टीम को समेट नहीं सके. नतीजतन, न्यूजीलैंड ने 402 रन बनाकर पहली पारी में ही भारत की जीत की सभी उम्मीदें खत्म कर दीं. 

सम्बंधित ख़बरें

2. सीनियर्स की गैर-जिम्मेदाराना बल्लेबाजी
विराट कोहली और रोहित शर्मा. युवाओं से भरी बल्लेबाजी में ये दो नाम अनुभव और क्लास के पर्यायवाची हैं. लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली गई सीरीज में ऐसा देखने को नहीं मिला. जब भारत को इनके अनुभव की सख्त जरूरत तब ये अपनी प्रतिष्ठा के अनुसार पारियां नहीं खेल सके. इस सीरीज में कोहली ने जहां चार पारियों में सिर्फ 88 रन बनाए, वहीं रोहित के बल्ले से केवल 62 रन निकले. 

सबसे अहम बात यह कि जब साख बचाने के लिए दूसरे टेस्ट की चौथी पारी में भारत को 359 रन की जरूरत थी तब ये दोनों अर्धशतक भी नहीं जमा सके. रोहित ने आठ और कोहली ने 17 रन बनाए. अगर सीनियर खिलाड़ी ऐसी बल्लेबाजी करेंगे तो युवाओं से क्या उम्मीद की जा सकती है? 

3. जडेजा-अश्विन की बेअसर गेंदबाजी
रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन की जोड़ी ने न जाने कितनी बार भारत को टेस्ट सीरीज जिताई है. दोनों ही गेंदबाज टेस्ट क्रिकेट में 10-10 बार मैन ऑफ द मैच रह चुके हैं. अश्विन (11) के पास तो टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा बार प्लेयर ऑफ द सीरीज जीतने का रिकॉर्ड भी है. लेकिन इस सीरीज में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. अश्विन ने इस सीरीज में छह विकेट लिए. जडेजा को भी छह ही विकेट मिले.

ये दोनों गेंदबाज घरेलू सरजमीन पर भारत के वर्चस्व का बड़ा कारण रहे हैं. इनकी गेंदबाजी बेअसर साबित होते ही न्यूजीलैंड के लिए रन बटोरना बेहद आसान साबित हुआ. जबकि न्यूजीलैंड के स्पिनर, खासकर मिचेल सैंटनर भारतीय बल्लेबाजी की कमर तोड़कर कीवियों को ऐतिहासिक जीत दिला गए. 

4. न्यूजीलैंड के ऊपरी क्रम का अच्छा होमवर्क
श्रीलंका में भले ही न्यूजीलैंड 0-2 से टेस्ट सीरीज हारकर आई हो लेकिन भारत के खिलाफ उसे खेलता देख कोई यह नहीं कह सकता था कि यह टीम एशिया में बल्लेबाजी नहीं कर सकती. खासकर न्यूजीलैंड के ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों की तकनीक से यही पता चला कि उन्होंने भारत आने से पहले अपना होमवर्क किया था.

पहले टेस्ट में जहां कॉनवे ने 91 और रवींद्र ने 134 रन बनाए, वहीं दूसरे टेस्ट में दोनों ने क्रमशः 76 और 65 रन बनाए. दूसरे टेस्ट में तो कप्तान टॉम लैथम ने भी हाथ खोले और 84 रन की पारी खेलकर भारत के कंधे झुका दिए. अगर न्यूजीलैंड की जीत का सबसे बड़ा श्रेय किसी को जाना चाहिए, तो वह हैं उसके ऊपरी क्रम के बल्लेबाज जिन्होंने भारतीय स्पिनरों को घरेलू परिस्थितियों में डॉमिनेट नहीं करने दिया. 

5. दबाव में खराब फैसले 
एक हार के बाद केएल राहुल और मोहम्मद सिराज को टीम से बाहर कर देना. पहली पारी में पिछड़ने के बाद अटैकिंग फील्ड रखने के बजाय फील्डरों को बाउंड्री पर तैनात करना. और जसप्रीत बुमराह को सिर्फ 14 ओवर देना. ये सब बातें इशारा करती हैं कि भारतीय टीम मैनेजमेंट इस सीरीज में दबाव में आने के बाद ठंडे दिमाग से फैसले नहीं ले सके. 

इसका सबसे बड़ा उदाहरण पहले मैच की हार के बाद देखने को मिला. बेंगलुरु में मिली आठ विकेट की शिकस्त के बाद कप्तान रोहित शर्मा ने कहा था कि तीन घंटे की खराब क्रिकेट इस टीम को परिभाषित नहीं करेगी. लेकिन अगले ही दिन रिपोर्ट सामने आई कि मेजबान बीसीसीआई पुणे में ऐसी पिच बनवा रहा है जो धीमी और स्पिनर्स के लिए मददगार होगी.

साफ है कि भारतीय टीम मैनेजमेंट ने न्यूजीलैंड को फिरकी के जाल में फंसाना चाहा होगा. यह अलग बात है कि न्यूजीलैंड अपनी तैयारी के साथ आया था. हमारे ही बल्लेबाज स्पिन गेंदबाजी का अच्छी तरह सामना नहीं कर पाए. न्यूजीलैंड सीरीज के बाद भारत को पांच टेस्ट मैच खेलने ऑस्ट्रेलिया जाना है. वह सीरीज भारत के डब्ल्यूटीसी फाइनल खेलने की उम्मीदों के लिए निर्णायक होगी. अगर रोहित की टीम ने इन चीजों पर विचार नहीं किया तो डब्ल्यूटीसी फाइनल खेलने के सपने पर पानी फिर सकता है.