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India won Kho Kho World Cup: भारतीय महिला और पुरुष टीम ने जीता खो-खो वर्ल्डकप, इस खेल को ओलंपिक का हिस्सा बनाने की कोशिशें जारी

साल 1936 के बर्लिन ओलंपिक में खो-खो को एक प्रदर्शन खेल के तौर पर शामिल किया गया. और अब पिछले कुछ सालों से खो-खो की पॉपुलैरिटी बढ़ी है.

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पहली बार खो-खो वर्ल्ड कप का आयोजन हुआ. गर्व की बात यह है कि भारत ने इस वर्ल्ड कप को जीतकर इतिहास रचा है. एक ही दिन में भारत की महिला और पुरुष टीम ने नेपाल को हराकर इतिहास रचा. बात जब भी खो-खो की होती है तो बचपन याद आ जाता है. खो-खो खेल भारतीयों के लिए इतना देशी है कि अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर खिलाड़ियों को खो-खो खेलते देखना किसी सपने से कम नहीं. भारत इस खेल के लिए बड़े सपने देख रहा है और सरकार ने इसके पीछे अपना पूरा जोर लगा दिया है. पहली बार आयोजित किया गया खो-खो वर्ल्ड कप इस खेल को सिर्फ भारत के गांवों से लेकर एक शानदार इनडोर स्टेडियम तक ले जाने के बारे में नहीं है, बल्कि खो-खो के लिए बड़ा सपना देखा जा रहा है. सपना इसे ओलंपिक का हिस्सा बनाना है. 

खो-खो वर्ल्ड को सपोर्ट करने में तीन राज्य सरकारों - यूपी, महाराष्ट्र, ओडिशा का भी साथ है. 'भारत के खेल' को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी साथ है. अंतरराष्ट्रीय आईकेकेएफ के साथ-साथ भारतीय खो-खो महासंघ (केकेएफआई) के अध्यक्ष, सुधांशु मित्तल ने कहा, “ओलंपिक में खो खो को ले जाना उददेश्य है. मैं एशियाई खेलों में इसके शामिल होने को लेकर आश्वस्त हूं.'' आपको बता दें कि खो-खो उन छह खेलों में से एक है जिसे मिशन ओलंपिक सेल ट्वेंटी-20 क्रिकेट, कबड्डी, शतरंज और स्क्वैश के साथ 2036 ओलंपिक में शामिल करने की सिफारिश करेगा. 

1936 के ओलंपिक में था प्रदर्शन खेल
पिछले हफ्ते, खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) के सामने 'स्वदेशी भारतीय खेल' की वकालत की थी. मंडाविया ने ओसीए अध्यक्ष रणधीर सिंह को एक पत्र में लिखा, “खो खो एक स्वदेशी भारतीय खेल होने के साथ-साथ विभिन्न देशों में भी अपनी लोकप्रियता हासिल कर रहा है. इसकी व्यापक लोकप्रियता को देखते हुए... मैं आपसे खो खो को एशियाई खेलों में एक कार्यक्रम के रूप में शामिल करने पर विचार करने का अनुरोध करता हूं." 

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एशियाई खेलों के साथ-साथ खो-खो को ओलंपिक के मंच पर देखने की भी लोगों की चाह है. इस पर भी काम किया जा रहा है. दिलचस्प बात यह है कि खो-खो ओलंपिक के मंच तक पहुंचा हुआ है. साल 1936 के बर्लिन ओलंपिक में खो-खो को एक प्रदर्शन खेल के तौर पर शामिल किया गया. और अब पिछले कुछ सालों से खो-खो की पॉपुलैरिटी बढ़ी है. खो-खो 2020 में छह सदस्य देशों में खेला जाता था. अब 55 देशों में खेला जा रहा है. खो-खो वर्ल्ड कप में  23 देशों की उनतीस टीमें - यूरोप और अफ्रीका से चार-चार टीमें है. अंतर्राष्ट्रीय खो खो महासंघ (IKKF) का लक्ष्य इस नंबर को 90 से ज्यादा देशों तक करना है. क्योंकि किसी खेल को ओलंपिक में एंट्री दिलाने के लिए इसका 75 या इसस ज्यादा देशों में खेला जाना जरूरी है.  

खो-खो के लिए देश की कोशिशें 
खो-खो वर्ल्ड कप में आयोजकों ने विदेशी टीमों को लाने के लिए हर संभव कोशिश की. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा की सरकारों, प्रमुख भारतीय ब्रांडों, और प्रायोजकों ने मिलकर एथलीटों के लिए किटिंग, हवाई टिकट, आवास, खाना और ट्रांसपोर्ट फ्री रखा. ब्राजील खो-खो में नौसिखिया है, उन्होंने अपनी पुरुष टीम को मैदान में उतारा. 

जो देश खो-खो में शुरुआत कर रहे हैं, उनकी मदद करने के लिए, विश्व कप से पहले IKKF ने आठ योग्य कोचों को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भेजा था. 2020 की शुरुआत में, 16 देशों के 62 संभावित ट्रेनर्स ने ट्रेनिंग के लिए दिल्ली की यात्रा की. लेकिन कोविड की वजह से वे यहीं फंस गए. हालांकि, यह खेल के लिए अच्छा साबित हुआ. कोविड के दौरान उन्होंने यहं लंबा प्रशिक्षण लिया. फिर वे वापस गए और ऑस्ट्रेलिया, पोलैंड और नीदरलैंड जैसे देशों में इस खेल को बढ़ावा दिया. कुल मिलाकर 35 देश विश्व कप में भाग लेने के इच्छुक थे लेकिन महाद्वीपीय कोटा नियमों को फॉलो करना पड़ा. 

भारतीय महिला और पुरुष टीम ने जीता वर्ल्ड कप 
रविवार को भारत की पुरुष टीम ने कप्तान प्रतीक वाईकर के नेतृत्व में नेपाल के खिलाफ फाइनल में 54-36 से जीत हासिल की और खो खो में सबसे पहले वर्ल्ड चैंपियन का ताज पहनाया. वहीं, भारतीय महिला टीम ने नेपाल पर 78-40 की शानदार जीत दर्ज की थी. एक ही दिन भारत ने महिला और पुरुष दोनों केटेगरी में वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रचा. इस मौके पर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आज भारतीय खो खो के लिए एक महान दिन है. खो खो विश्व कप का खिताब जीतने पर भारतीय पुरुष खो खो टीम पर अविश्वसनीय रूप से गर्व है. उनका धैर्य और समर्पण सराहनीय है. यह जीत युवाओं के बीच खो खो को और अधिक लोकप्रिय बनाने में योगदान देगी.”