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12 August को ही आजाद भारत ने जीता था पहला Olympic Medal, हॉकी में इंग्लैंड को 4-0 से हराकर फहरा था तिरंगा, ऐसे तोड़ा था अंग्रेजों का गुरूर

भारत 1947 में अंग्रेजों से आजाद हुआ था. आजादी के बाद पहली बार लंदन में 1948 में ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ. इन्हीं ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने मेजबान इंग्लैंड को हराकर गोल्ड मेडल जीता था. 

12 अगस्त 1948 को भारतीय हॉकी टीम ने इंग्लैंड को हराकर गोल्ड मेडल पर जमाया था कब्जा (फोटो सोशल मीडिया) 12 अगस्त 1948 को भारतीय हॉकी टीम ने इंग्लैंड को हराकर गोल्ड मेडल पर जमाया था कब्जा (फोटो सोशल मीडिया)
हाइलाइट्स
  • इंग्लैंड की महारानी ने खड़े होकर इस जीत का किया था सम्मान 

  • बलबीर सिंह सीनियर ने फाइनल मैच में दागे थे 2 गोल 

भारत के लिए आज का दिन (12 अगस्त) बेहद खास है. जी हां, इसी दिन भारतीय हॉकी टीम ने साल 1948 में अंग्रेजों का गुरूर तोड़ा था. भारतीय खिलाड़ियों ने मेजबान इंग्लैंड को हराकर आजादी के बाद पहला ओलिंपिक मेडल जीता था. इस जीत के साथ ही पूरा देश झूम उठा था. विदेशी धरती पर शान से तिरंगा लहराया था. हालांकि, देश को आजादी मिलने से पहले 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक खेलों में भी ये कमाल किया था, लेकिन आजादी के ठीक एक साल बाद लंदन ओलंपिक में उसने वह कर दिखाया, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी.

पहले भारत के खिलाफ खेलने से इनकार कर चुकी थी ब्रिटिश टीम
इससे पहले ब्रिटिश टीम एक बार भारत के खिलाफ यह कहकर खेलने से इंकार कर चुकी थी कि भारत उसके उपनिवेशों में से एक है, तो वह भारत के खिलाफ नहीं खेलेंगे. लेकिन इस बार ग्रेट ब्रिटेन की टीम ऐसा नहीं कर सकती थी. अब भारत आजाद था और उसके खिलाड़ियों ने आजाद अंदाज में ही ब्रिटिश टीम के खिलाफ हॉकी खेली.

टाटा ने उठाया था पूरा खर्च
1947 में भारत से एक हिस्सा अलग होकर नया देश पाकिस्तान बन गया था. 1936 में विजेता टीम का हिस्सा रहे कुछ बढ़िया प्लेयर अब पाकिस्तान की ओर से खेल रहे थे. दूसरी ओर देश में हालात वैसे ही नाजुक थे. ऐसे में प्लेयर्स का ध्यान इन सबसे हटाने के लिए इंडियन हॉकी फेडरेशन ने फैसला लिया कि प्लेयर्स को बॉम्बे में प्रैक्टिस मैच खिलाए जाएंगे ताकि प्लेयर्स के बीच बॉन्डिंग बढ़े और वे पूरा फोकस खेल पर ही रखें. इस प्रैक्टिस सेशन की वजह से हॉकी टीम को ओलिंपिक 1948 में पहुंचने में देरी हो सकती थी. हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष रतन टाटा ने फैसला लिया कि भारतीय हॉकी टीम को विमान से लंदन पहुंचाया जाएगा. इसका पूरा खर्च टाटा खुद उठाएंगे. पानी के जहाज से जाने के मुकाबले विमान से जाने में काफी कम समय लगता था.

पहला मैच धमाकेदार तरीके से जीता
भारत से 15 प्लेयर्स की हॉकी टीम लंदन रवाना हुई. टीम को पूल-A में ऑस्ट्रिया, स्पेन और अर्जेंटीना के साथ रखा गया. भारत ने ऑस्ट्रिया के खिलाफ पहला मैच धमाकेदार तरीके से जीता. एकतरफा मुकाबले में भारत ने ऑस्ट्रिया को 8-0 से हराया.

अर्जेंटीना को 9-1 से हराया
भारत ने अगले मैच में अर्जेंटीना को 9-1 से हराया. बलबीर सिंह सीनियर ने अकेले 6 गोल दागे. अगला मैच स्पेन से हुआ. उसे भी भारत ने 2-1 से जीत लिया. भारत अब सेमीफाइनल में पहुंच चुका था, जहां उसका मुकाबला नीदरलैंड से होना था. भारत ने नीदरलैंड को भी हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली.

गुलामी की टीस मिटाने का था बेहतर मौका 
12 अगस्त 1948 को वेम्बली स्टेडियम में फाइनल खेला गया. भारत का मुकाबला ग्रेट ब्रिटेन (इंग्लैंड) से था. भारत के पास गुलामी की टीस मिटाने के लिए ये बेहतर मौका था. बलबीर सिंह के 2 गोल की मदद से भारत ने एकतरफा मुकाबले में ब्रिटेन को 4-0 से हरा दिया. बलबीर सिंह के अलावा इस मैच में तरलोचन सिंह और पैट्रिक जेनसन ने एक-एक गोल किए थे. भारत का हॉकी में ये लगातार चौथा गोल्ड मेडल था. ब्रिटेन की धरती पर पहली बार भारत का तिरंगा शान से लहरा रहा था. इंग्लैंड की महारानी ने खड़े होकर इस जीत का सम्मान किया था. इस जीत के जश्न में वे सभी देश शामिल हुए जो कभी अंग्रेजों के कब्जे में रहे थे.

बलबीर सिंह सीनियर ने बनाया विश्व रिकॉर्ड 
इस जीत में बलबीर सिंह सीनियर का अहम रोल था. सीनियर ने अपने पहले ओलंपिक मैच में अर्जेंटीना के खिलाफ छह गोल किए थे, जोकि अभी तक कोई भी खिलाड़ी नहीं बना सका है. इस मैच में भारतीय टीम 9-1 से मैच जीती थी. इस ओलंपिक में बलबीर सिंह सीनियर ने सिर्फ दो मैच खेले थे, जिसमें उन्होंने आठ गोल किए थे. भारतीय टीम में सबसे ज्यादा गोल करने वाले वही थे. पद्मश्री बलबीर सिंह की इच्छा थी कि इस दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर पर मनाया जाए. अपनी यह इच्छा उन्होंने कई मंचों पर भी रखी. 

फाइनल में ऐसी थी भारतीय टीम
किशन लाल (कप्तान), केडी सिंह 'बाबू' (उप कप्तान), रंगनाथन फ्रांसिस, लियो पिंटो, वाल्टर डिसूजा, त्रिलोचन सिंह बावा, अख्तर हुसैन, रणधीर सिंह जेंटल, केशव दत्त, आमिर कुमार, मैक्सी वाज, लेस्ली क्लॉडियस, बलबीर सिंह सीनियर, पैट्रिक जेनसेन, लतीफुर रहमान, लॉरी फर्नांडीस, गेराल्ड ग्लाकेन, रेगीनाल्ड रॉड्रिक्स, ग्रहानंदन सिंह, जसवंत सिंह राजपूत.

इस ऐतिहासिक जीत पर बन चुकी है फिल्म
1948 ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन पर फिल्म भी बन चुकी है. गोल्ड नाम से बनी यह फिल्म टीम के मैनेजर तपन दास पर बनी थी. तपन दास का रोल अक्षय कुमार ने अदा किया था. फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे कई मुश्किलों के बाद भारतीय टीम ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतती है. इस फिल्म की वजह से भी ये टूर्नामेंट और उस भारतीय टीम के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी मिली थी.