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Bhavani Devi won bronze in Fencing: पुजारी की बेटी ने किया देश का नाम रोशन, एशियन फेंसिंग चैंपियनशिप में दिलाया भारत को पहला मेडल

Asian Fencing Championship: 29 वर्षीय भवानी देवी ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली भारतीय फ़ेंसर बनी थीं जब उन्होंने टोक्यो 2020 ओलंपिक में भाग लिया.

Bhawani Devi Bhawani Devi

भारत की टॉप तलवारबाज भवानी देवी (Bhavani Devi) ने सोमवार को एशियाई तलवारबाजी चैंपियनशिप (Asian Fencing Championship) में महिलाओं की सेबर स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. क्योंकि यह कॉन्टिनेंटल मीट में भारत का पहला मेडल है. भवानी ने महिला सेबर स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में मौजूदा विश्व चैंपियन और जापान की विश्व नंबर एक मिसाकी एमुरा को 15-10 से हराया. यह चार मुकाबलों में जापानी खिलाड़ी पर किसी भारतीय की पहली जीत भी थी.

हालांकि, सेमीफाइनल में 29 वर्षीय भवानी उज्बेकिस्तान की जैनब दयाबेकोवा से 15-14 से हार गईं और उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा. लेकिन फिर भी उन्होंने भारत के लिए इतिहास रच दिया.

9 साल की उम्र से कर ही हैं फेंसिंग 
आपको बता दें कि भवानी देवी और उनका परिवार तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में रहता है. साल 1993 में 27 अगस्त को भवानी देवी का जन्म हुआ. उनके पिता पेशे से पुजारी हैं और मां गृहिणी. परिवार में भवानी के दो भाई और दो बहनें भी हैं. भवानी का फेंसिंग से पहला परिचय नौ साल की उम्र में हुआ था. जब भवानी ने फेंसिंग करना शुरू किया था तब यह खेल सिर्फ उनके लिए नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए ही नया था.

उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह छठी कक्षा में थीं जब उन्हें अलग-अलग खेलों में किसी एक खेल को चुनना था. लेकिन दूसरे खेलों में सभी स्थान भर चुके थे और सिर्फ फेंसिंग में ही खाली जगह थी. यह खेल नया था लेकिन भवानी ने मायूस होने की बजाय कुछ नया करने की ठानी और यह छोटी उम्र में लिया गया उनका बड़ा फैसला था. 

बांस की तलवार से करती थीं प्रैक्टिस 
भवानी ने फेंसिंग की शुरुआत बांस से बनी तलवार से की. बचपन में उन्होंने बांस के उपकरणों से ही खेला. लेकिन जब वह अच्छा खेलते हुए राष्ट्रीय स्तर पर पहुंची तो उनका परिचय बिजली से चलने वाली तलवार से हुआ. अपनी मेहनत और लगन से भवानी ने फेंसिंग की दुनिया में भारत का नाम अंकित किया. वह टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स और फेंसिंग स्टार मरियल जगुनिस को अपनी प्रेरणा मानती हैं. 

फेंसिंग में इस मुकाम तक पहुंचने के लिए भवानी ने बहुत सी चुनौतियों का भी सामना किया है. दरअसल, भारत में फेंसिंग खेल के लिए बहुत ज्यादा सुविधाएं नहीं थीं और तो और कोचिंग सेंटर भी बहुत कम थे. दूसरा, भवानी एक सामान्य परिवार से आती हैं और फेंसिंग बहुत महंगा खेल है. ऐसे में, उनके परिवार के लिए उनका खेल जारी रखना बहुत मुश्किल था. साल 2013 में एक ऐसा समय भी आया जब उन्होंने सोचा कि उन्हें खेल छोड़ देना चाहिए. 

लेकिन बहुत से नेकदिल लोगों से उन्हें सपोर्ट मिला और उनका खेल जारी रहा. आज उन्हीं की बदौलत भारत का नाम इस खेल में भी चमकने लगा है. साल 2020 में ओलिंपिक खेलों के लिए सेलेक्ट होकर भी उन्होंने इतिहास रचा था और ऐसा करने वाली वह देश की पहली खिलाड़ी बनी.