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जब 20 साल और 25 टेस्ट के बाद भारत को मिली थी पहली जीत...दर्शकों ने दिया था स्टैंडिंग ओवेशन...फिरकी के जादूगर ने झटके थे 12 विकेट

फिरकी के जादूगर वीनू मांकड़ इस मैच के हीरो रहे थे. उन्होंने इस मैच में 108 रन देकर 12 विकेट झटके थे एक ऑलराउंडर के रूप में यह उनका बेहतरीन प्रदर्शन था. उन्होंने सीरीज में 34 विकेट लेने के साथ-साथ 223 रन भी बनाए थे. मांकड़ के इस प्रदर्शन की हर तरफ तारीफ हुई थी. लेकिन इस बड़ी जीत में सबसे हैरान कर देने वाली बात यह रही कि इस यादगार जीत में हिस्सा लेने वाले सभी खिलाड़ियों को इनाम के तौर पर सिर्फ 250 रूपए ही मिले थे.

भारतीय टीम इससे पहले 24 टेस्ट मैच खेल चुकी थी लेकिन उसे एक में भी जीत नहीं मिली थी. भारतीय टीम इससे पहले 24 टेस्ट मैच खेल चुकी थी लेकिन उसे एक में भी जीत नहीं मिली थी.
हाइलाइट्स
  • इंग्लैंड ने टॉस जीतकर लिया पहले बल्लेबाजी करने का फैसला

  • मैच के पहले किए गए थे पांच बदलाव 

  • पॉली उमरीगर की हुई फॉर्म में वापसी

  • वीनू मांकड़ की फिरकी ने चटाई अंग्रेजों को धूल 

  • इतिहास रचने वालों को मिला सिर्फ 250 रुपए का इनाम

आज भले ही भारत टेस्ट क्रिकेट में एक मजबूत टीम मानी जाती है और आईसीसी की टेस्ट रैंकिंग में टॉप 3 में आती है लेकिन क्या आप जानते हैं, भारत को अपनी पहली जीत दर्ज करने में 20 साल और 25 टेस्ट का समय लग गया था. यह यादगार जीत भारत को 1952 में 9 फरवरी को मिली थी. यह एक ऐतिहासिक क्षण था और ग्यारह खिलाड़ियों को एहसास हुआ कि उन्होंने कुछ कमाल कर दिया है जब दर्शकों ने भारतीय टीम को स्टैंडिंग ओवेशन दिया था.

इंग्लैंड ने टॉस जीतकर लिया पहले बल्लेबाजी करने का फैसला

भारतीय टीम इससे पहले 24 टेस्ट मैच खेल चुकी थी लेकिन उसे एक में भी  जीत नहीं मिली थी. हालांकि 12 मैच उसने ड्रॉ जरूर करवाए थे लेकिन ऐसा मौका नहीं आया था जब भारतीय टीम ने विपक्षी टीम को मात दी हो. धीमी और नीची विकेट पर इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. भारत मद्रास में पांचवें और अंतिम टेस्ट में 0-1 से पीछे चल रहा था. विजय हजारे की कप्तानी वाली भारतीय टीम पर लगातार सातवीं सीरीज हारने का खतरा मंडरा रहा था.

मैच के पहले किए गए थे पांच बदलाव 

चयनकर्ताओं ने पांच बदलाव करने का फैसला किया. उन्होंने विजय मांजरेकर, सीएस नायडू, सादु शिंदे, “नाना” जोशी और हेमू अधिकारी को हटाकर लाला अमरनाथ, मुश्ताक अली, सीडी गोपीनाथ, रमेश दिवेचा और प्रोबीर सेन को जगह दी गई. अधिकारी को हटाने का कारण उनकी कलाई की मोच थी. पॉली उमरीगर को श्रृंखला में उनके उदासीन फॉर्म के बावजूद बनाए रखा गया था. 

पॉली उमरीगर की हुई फॉर्म में वापसी  

पहली पारी में इंग्लैंड 266 रन बनाकर ऑल आउट हो गई. वीनू माकंड ने अपनी फिरकी का ऐसा जादू चलाया जो लंबे समय तक किसी भी भारतीय गेंदबाज का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बना रहा. वीनू ने 55 रन देकर 8 विकेट लिए. इसके बाद भारतीय टीम बल्लेबाजी करने आई. पंकज रॉय ने 111 रनों की शानदार पारी खेली. लग रहा था कि भारत पहली पारी में ठीक ठाक बढ़त ही हासिल कर पाएगा लेकिन लगातार खराब फॉर्म में चल रहे पॉली उमरीगर की धुआंधार पारी की बदौलत भारत का स्कोर 9 विकेट पर 457 रन तक जा पहुंचा. नंबर सात पर आए पॉली उमरीगर ने उस दिन 130 रन नाबाद बनाए. 

वीनू मांकड़ की फिरकी ने चटाई अंग्रेजों को धूल 

भारत को कुल 191 रनों की बढ़त मिली. भारत ने करीब 3 रन प्रति ओवर की दर से बल्लेबाजी की जो उस दौर में काफी तेज मानी जाती थी. दूसरी ओर उमरीगर ने दत्तू फाडकर (61) के साथ 104 और कोयंबतराव गोपीनाथ (35) के साथ 93 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी भी की. पंकज रॉय भारतीय पारी में बाउंड्री लगाने वाले इकलौते बल्लेबाज रहे और उन्होंने अपनी पारी में 15 चौके लगाए. इंग्लैंड की टीम दूसरी पारी में दबाव में आ गई थी. उसे पहले 191 रनों की बढ़त उतारनी थी. दूसरी पारी में एक बार फिर वीनू मांकड़ की फिरकी ने अंग्रेजों की हालत खराब कर दी. उन्होंने और गुलाम अहमद ने 4-4 विकेट लिए. दूसरी पारी में इंग्लिश टीम 183 रनों पर ढ़ेर हो गई. 

इतिहास रचने वालों को मिला सिर्फ 250 रुपए का इनाम 

फिरकी के जादूगर वीनू मांकड़ इस मैच के हीरो रहे थे. उन्होंने इस मैच में 108 रन देकर 12 विकेट झटके थे एक ऑलराउंडर के रूप में यह उनका बेहतरीन प्रदर्शन था. उन्होंने सीरीज में 34 विकेट लेने के साथ-साथ 223 रन भी बनाए थे. मांकड़ के इस प्रदर्शन की हर तरफ तारीफ हुई थी. लेकिन इस बड़ी जीत में सबसे हैरान कर देने वाली बात यह रही कि इस यादगार जीत में हिस्सा लेने वाले सभी खिलाड़ियों को इनाम के तौर पर सिर्फ 250 रूपए ही मिले थे जबकि 100वां टेस्ट जीतने वाली टीम के हर खिलाड़ी को इनाम के तौर पर 25,00,000 की बड़ी रकम दी गई थी.