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Inspiring: हड्डियों की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही है यह लड़की, हो चुके हैं 45 फ्रैक्चर, फिर भी बनी Para Table Tennis Athlete

यह कहानी है 13 साल की विजया दीपिका गंगापट्टनम की, जिन्हें हड्डियों की दुर्लभ बीमारी, Brittle Bone Disease है. इस बीमारी के कारण जरा सी चोट लगने या गिरने पर उन्हें कहीं भी फ्रैक्चर हो सकता है. इसके बावजूद यह लड़की Para Table Tennis Athlete है.

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हैदराबाद की रहने वाली 13 साल की विजया दीपिका गंगापट्टनम हड्डियों की दुर्लभ बीमारी, Brittle Bone Disease से जूझ रही हैं. विजया के जन्म से पहले ही स्कैन में उनकी हड्डियों में कई "झुकाव" दिखाई दिए थे. उसके पिता का कहना है कि इस बीमारी के कारण विजया की हड्डियां "कांच" की तरह हैं, जिसके कारण उन्हें 45 फ्रैक्चर हुए हैं. लेकिन फिर भी, विजया अपनी जिंदगी को पूरी जिंदादिली से जी रहे हैं. 

जी हां, विजया आज एक पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं. विजया ने मार्च 2024 में इंदौर में यूटीटी पैरा टेबल टेनिस नेशनल चैंपियनशिप में पदक जीते और यह कारनामा करने वाली सबसे कम उम्र की पैराएथलीट थीं. उन्हें सिंगल्स में सिल्वर और डबल्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता. 

भाई से मिली टेबल टेनिस की प्रेरणा 
विजया का अर्थ है जीत और सिकंदराबाद के अलवाल की होम-स्कूल्ड विजया अपने बड़े भाई को देखकर टेबल टेनिस की ओर आकर्षित हुई. उनका भाई विजयतेज (20) टेनिस खेलता था और टूर्नामेंट के लिए ट्रेवल करता था. हालांकि, विजया की हालत को देखते हुए, उनके पिता विजय भास्कर राजू ने विजया को घर पर टीटी सिखाया. 

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विजया की भारत का प्रतिनिधित्व करने, पैरालंपिक में पदक जीतने की इच्छा है. लेकिन उनकी बीमारी ऐसी है कि अपने जन्म के समय प्रसव के दौरान भी उन्हें फ्रैक्चर हो गया था क्योंकि डॉक्टरों को पता नहीं था कि वह पहले से ही इस बीमारी से पीड़ित हैं. विजया को ज्यादातर फ्रैक्चर बचपन में रेंगते समय हुए थे. उसके शरीर का भार उसके हाथों पर होता था. अब, वह घर पर और खेलने के लिए अलग-अलग व्हीलचेयर का उपयोग करती है. 

जरा सा गिरने पर हो जाता है फ्रैक्चर
व्हीलचेयर बदलते समय वह कई बार गिरीं और उनके पैरों और हाथों में फ्रैक्चर हो गया. वह नहाते समय कई बार फिसली और उसके पैर में फ्रैक्चर हो गया. विजया के लिए सात साल की उम्र तक चलना कठिन था और उनके फ्रैक्चर के कारण कूल्हे और घुटने की सर्जरी हुई. इससे उसकी गतिविधियों पर असर पड़ा, जिससे उसे दिन-प्रतिदिन के ज्यादातर कामों के लिए मदद लेनी पड़ी. 

परिवार को विजया का ख्याल शीशे की तरह रखना होता है. विजया अपनी कई सर्जरी और आगे चोट लगने के जोखिम के कारण स्कूल नहीं जा सकती. इसलिए उनके घरवाले उन्हें घर पर पढ़ाते हैं. वह इस साल या अगले साल ओपन स्कूल के माध्यम से अपनी दसवीं कक्षा की परीक्षा देने की योजना बना रही हैं. परिवार के साथ ट्रेवल के समय भी विजया को एक बार फ्रैक्चर हो गया था. इसलिए उनके माता-पिता हर समय क्रेप बैंडेज और पेनकिलर दवाएं अपने साथ रखते हैं.  

देश का नाम करना है रोशन 
इंदौर में विजया ने दूसरा स्थान हासिल किया, वह 2020 पैरालिंपिक में रजत पदक विजेता भावना पटेल से हार गई थीं. विजया का कहना है कि अब उनका सपना पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने और पदक जीतने का है. वह राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे स्थान पर है. पैरालिंपिक में प्रतिस्पर्धा करने के लिए उसे अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेलना होगा.