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Cricket Fever: क्रिकेट का ऐसा जुनून! खुद बना दिया इंटरनेशनल लेवल का मैदान, बस्तर के इस ग्राउंड में रोज 50 से ज्यादा बच्चे करते हैं प्रैक्टिस

ये क्रिकेट का पागलपन और जुनून ही है कि 43 साल के प्रदीप गुहा ने अपने दम पर पूरा मैदान बना दिया. उन्हें क्रिकेट खेलने का बचपन से ही शौक था. आज इस ग्राउंड में रोजाना 50 से ज्यादा बच्चे प्रैक्टिस करते हैं.

बस्तर बस्तर
हाइलाइट्स
  • अब तक नहीं हुआ क्रिकेट का जुनून कम 

  • कोलकाता के ईडन गार्डन जैसा है 

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैदान के मापदंड के अनुरूप बस्तर जिला मुख्यालय से महज 5 किमी दूर ग्राम कालीपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनाया गया है. यह स्टेडियम किसी सरकारी खजाने से नहीं बना है और ना ही क्रिकेट एकेडमी ने बनाया है. स्टेडियम एक पूर्व खिलाड़ी ने अपने स्वयं के खर्चें से बनाया है. प्रदीप गुहा नाम के व्यक्ति ने अपने बेटे की प्रैक्टिस के लिए ये मैदान बनाया है. मगर अब यह क्रिकेट इंस्टिट्यूट बन गया है. 

बेटे और बेटी के लिए बनाया मैदान 

क्रिकेट के पागलपन और जुनून को लेकर 43 साल के प्रदीप गुहा ने बताया कि उन्हें क्रिकेट खेलने का बचपन से ही शौक था, लेकिन बस्तर में किसी तरह की सुविधा या मार्गदर्शन नहीं मिलने से क्रिकेट में आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिल सका. अपने बेटे और बेटी को क्रिकेट में लाने का प्रयास किया. गांव में ही बच्चों को खिलाते हुए और हर उस मैच में ले जाते थे, जिसे देखकर बच्चों के खिलाड़ी बनने का सपना परवान चढ़ सके. वे कहते हैं, “बेटी को लड़कों के साथ मैच खेलते हुए देखकर लोग टीका टिप्पणी भी करते रहे, लेकिन मेरी सोच- ये थी कि मैं अच्छा खिलाड़ी नहीं बन सका तो क्या हुआ, बच्चों को आगे बढ़ाउंगा. उसके लिए बच्चों को देश और कई महानगरों में ले जाकर भारतीय टीम के नामी खिलाड़ियों के संस्थानों में फीस देकर दाखिला दिलवाया. अभी बेटा अंडर 16 में स्टेट टीम में खेल रहा है और बेटी पत्नी की इच्छा के अनुरूप एमबीबीएस में दाखिला ले चुकी है.”

अब तक नहीं हुआ क्रिकेट का जुनून कम 

आगे प्रदीप कहते हैं, “मेरा क्रिकेट के प्रति जुनून कम नहीं हुआ है. आज भी मैं वेटेरन क्रिकेट खिलाड़ियों में शामिल हूं. हाल ही में रायपुर में हुए वेटेरन खिलाड़ियों के दो मैच में 4 विकेट लिए थे. मेरा छत्तीसगढ़ में वेटेरन खिलाड़ियों के प्रदर्शन में 9वां स्थान है. बहरहाल गांव में स्टेडियम बनाने का उद्देश्य बस्तर के खिलाड़ियों को भारतीय टीम का खिलाड़ी बनाना और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मैच तक पहुंचाना है.”

चार एकड़ में बनाया खुद का क्रिकेट मैदान

क्रिकेट के अपने जुनून को देखते हुए उन्होंने अपने 4 एकड़ के खेत को मैदान का रूप दे दिया. जहां विकेट बनाने के लिए राजस्थान और रायपुर से मिट्टी मंगवाए गए. छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के एक्सपर्ट की देखरेख में विकेट बनाया गया. प्रदीप गुहा ने बताया कि स्टेडियम में ही रेसिडेंशियल क्रिकेट अकादमी तैयार की गई है, जहां बस्तर के दूर-दराज के क्रिकेट खिलाड़ी यहां रहकर अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं. अभी सुकमा क्षेत्र के 10 आदिवासी बच्चे हॉस्टल में रह रहे हैं. 

रोज करीब 50 बच्चे करते हैं प्रैक्टिस 

लगभग 50 बच्चे रोजाना प्रैक्टिस करने आते हैं जो शहर से 7-8 किलोमीटर दूर है. उन्होंने बताया कि मात्र 1500 रुपये महीने की फीस ली जा रही है, जिसमें वे उन्हें क्रिकेट सामान देते हैं और अगर कोई आर्थिक रूप से गरीब बच्चा है और उसमें खेल की प्रतिभा है तो उसे फ्री में जूते, जर्सी और हॉस्टल-भोजन सब कुछ दिया जाता है. प्रदीप ने आगे बताया कि हॉस्टल में रहने वाले बच्चे किसी भी समय मैदान में प्रैक्टिस कर सकते हैं, उन्हें सिखाने के लिए बीसीसीआई लेवल के रजिस्टर्ड कोच हैं.  

कोलकाता के ईडन गार्डन जैसा है 

कोलकाता के ईडन गार्डन मैदान की तरह कालीपुर का क्रिकेट मैदान पूरी तरह हरे घास से भरा हुआ है. गांव के खेत की भूमि को मैदान का रूप देने के लिए 3 साल तक की गई मेहनत रंग लाई. मैदान को समतल करने के लिए उन्होंने महाराष्ट्र से 4 रोलर मंगवाए, वहीं विदेशी कंपनी का ड्रिप सिस्टम से पूरे मैदान के 4 एकड़ जमीन पर पानी का छिड़काव किया जाता है. ग्रास कटर मशीन भी बाहर से मंगवाई गई है. 

अंतरराष्ट्रीय के मैदान में मिलना सौभाग्य की बात है

यहां क्रिकेट के गुण सीखने आ रहें स्वर्ण राज बाफना, पुल्कित जैन और खुशबू मजूमदार का कहना है कि बस्तर मुख्यालय में अच्छा क्रिकेट का मैदान नहीं है, जो हैं उनमें सुविधा नहीं है. कालीपुर में  मैदान बन जाने से खेलने का मौका मिल रहा है. यहां अच्छे कोच हैं जो खेल की बारीकियां सिखा रहें है. 

बीसीसीआई मानकों पर हो रही प्रैक्टिस

कालीपुर में बने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस स्टेडियम में बीसीसीआई मान्यता प्राप्त कोच करणदीप का कहना है कि यहां करीब 50 बच्चें रोज प्रैक्टिस कर रहें हैं. उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की तरह प्रैक्टिस करवाई जा रही है. मैदान में प्रवेश के बाद से ही पहले व्यायाम कराया जाता है. फिर दो टीमें बनाकर रेगुलर मैच कराया जाता है ताकि उनके खेल में अच्छी पकड़ हो सकें. इतना ही नहीं उन्हें पौष्टिक आहार भी उपलब्ध कराया जाता हैं. 

(धर्मेन्द्र महापात्र की रिपोर्ट)