लखनऊ सुपर जायंट्स ने सोमवार को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में सनराइजर्स हैदराबाद को 12 रनों से हराकर IPL 2022 में लगातार दूसरी जीत दर्ज की. यह IPL 2022 का 12वां मैच था. इससे पहले शनिवार को एलएसजी ने गत चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स को हराया था.
बात अगर मैच की करें तो एक बार के लिए निकोलस पूरन और वाशिंगटन सुंदर सनराइजर्स हैदराबाद को काफी मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया था कि उनकी जीत निश्चित नजर आ रही था. लेकिन 18वें ओवर में अवेश खान ने लखनऊ को फिल वापसी दिलाई. आज हर कोई आवेश खान और उनकी गेंदबाजी की बात कर रहा है.
लखनऊ टीम के लिए उन्होंने 4 ओवर में 24 रन देकर 4 विकेट हासिल किए. उनके शानदार प्रदर्शन के कारण ही टीम जीत पायी. उन्हें 'मैन ऑफ द मैच' का अवॉर्ड भी मिला है. यह पहली बार नहीं है जब आवेश खान ने अपना जलवा दिखाया है.
इंदौर से हैं आवेश खान
इंदौर के एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले आवेश खान का पूरा परिवार क्रिकेट प्रेमी है. उनके पिता, आशिक खान को खेल बहुत पसंद हैं लेकिन, परिवर को पालने के संघर्ष में उन्हें कभी अच्छे से मैच देखने का तक का मौका नहीं मिला. वह सड़क किनारे पान की दुकान चलाते थे. बताया जाता है कि अवेश खान ने 10 साल की उम्र में टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था.
आवेश की बहुत कम उम्र में गेंद पर अच्छी पकड़ बन गई थी. यह देखकर उनके चाचा ने लेदर बॉल से क्रिकेट खेलने के लिए कहा और प्रोफेशनल क्रिकेटर बनने की दिशा में यह उनका पहला कदम बन गया. उन्होंने अपनी बॉलिंग स्किल और स्पीड पर कड़ी मेहनत की.
अवेश खान की गेंदबाजी की शुरुआत
उनका सफर इंदौर के कोल्ट्स क्रिकेट क्लब से शुरू हुआ जहां उन्होंने अमरदीप पठानिया की कोचिंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. उनके पिता को उनकी प्रतिभा और प्रदर्शन नहीं दिखा और उन्होंने उनसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाने को कहा. एज-लेवल क्रिकेट में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद, वह राज्य की टीम में जगह नहीं बना सके.
तभी उन्हें मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा कराए गए ट्रायल के बारे में पता चला. अवेश ने इस मौके को हाथों-हाथ लिया. उस ट्रायल में चयनित होने वाले खिलाड़ियों में अवेश खान अकेले थे. अमय के मार्गदर्शन में U16 मध्य प्रदेश टीम के लिए खेलते हुए अवेश खान ने एक तेज गेंदबाज के रूप में खुद को निखारा.
कम नहीं थी राह में मुश्किलें
U16 विजय मर्चेंट ट्रॉफी में, उनके शानदार प्रदर्शन ने उनकी काबिलियत को साबित कर दिया था. पर दुर्भाग्य से, उनके करियर के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, उनके पिता की पान की दुकान बंद हो गई. अवेश पर अपने परिवार को आर्थिक तंगी से निकालने की जिम्मेदारी थी. उन्होंने बहादुरी से इस स्थिति का सामना किया.
उन्होंने मैच की कमाई को हमेशा अपने परिवार को दिया. उन्होंने 2014 में U19 में एंट्री ली, लेकिन उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने के अधिक अवसर नहीं मिले.
फिर किया खुद को साबित
आवेश ने हार मानने की बजाय उन्होंने प्रशिक्षण पर ध्यान दिया और 17 साल की उम्र में सीधे मध्य प्रदेश रणजी ट्रॉफी टीम में वापसी की. उन्होंने सिर्फ पांच मैचों में 15 विकेट लिए. इसके बाद अवेश को अगले U19 विश्व कप टीम में ईशान किशन के नेतृत्व में नामित किया गया. हालांकि भारत वेस्टइंडीज के खिलाफ टूर्नामेंट के फाइनल मैच में हार गया था, लेकिन अवेश 6 मैचों में 12 विकेट लेकर भारत के प्रमुख विकेट लेने वाले गेंदबाज बने.
2018-2019 के रणजी सीज़न में, उन्होंने दस विकेट लेने के साथ कुल 37 विकेट हासिल किए. लेकिन कोई भी भारतीय गेंदबाज तब तक लाइमलाइट में नहीं आता, जब तक वह इसे किसी बड़े मैच में साबित नहीं कर देता. 2017 में अवेश खान को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने साइन किया था.
अपने डेब्यू सीज़न में उन्हें सिर्फ अपना डेब्यू मैच खेलने को मिला. 2017 रॉयल चैलेंजर्स के लिए खराब सीजन था. इसके बाद आवेश को अगले सीजन में दिल्ली कैपिटल ने साइन किया. लेकिन उनका सही जलवा आईपीएल 2021 में दिखा. पिछले साल इंदौर के इस मस्कुलर बॉय ने अपना नाम लोकप्रिय बना लिया.
आईपीएल 2021 में विकेट लेने के मामले में वह दूसरे नंबर पर रहे थे. उन्होंने 16 मैचों में कुल 24 विकेट अपने नाम किए थे. जबकि जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी उनके बहुत पीछे थे. सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ भी आवेश खान की गेंदबाजी मजेदार रही. उन्होंने साबित कर दिया है कि किसी भी कप्तान के लिए, वह एक उपयोगी गेंदबाज हैं जिसे खेल के किसी भी क्षण में आजमाया जा सकता है.