23 साल के क्रिकेट प्रेमी सौरव चौहान के लिए क्रिकेट एक नियति थी. पिता जब स्टेडियम में ग्राउंडमैन का काम करते थे तब सौरव अपनी क्रिकेट की ट्रेनिंग करते थे. अब आईपीएल नीलामी में विकेटकीपर बल्लेबाज सौरव पर पहली बार बोली लगाई गई है. उनकी प्रतिभा को देखते हुए रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने उन्हें 20 लाख रुपये में खरीदा है.
पिता करते थे ग्राउंड्समैन का काम
दरअसल, सौरव के पिता, दिलीप चौहान, सरदार पटेल स्टेडियम में ग्राउंड्समैन के रूप में काम करते थे. उसी ग्राउंड में सौरव ने रणजी, दलीप और मुश्ताक अली ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों में खेलते हुए, अपने क्रिकेट कौशल को निखारने में कई साल बिताए.
क्रिकेट के साथ सौरव की प्रेम कहानी 2000 में उनके जन्म से ही शुरू हुई जब उनके पिता को एक क्रिकेट मैच के लिए एसपी स्टेडियम में ग्राउंड्समैन की ड्यूटी सौंपी गई थी. उनके पिता अहमदाबाद फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज (एएफईएस) में फायरमैन के रूप में कार्यरत थे. सौरव के पिता 2015-16 तक स्टेडियम में ग्राउंड्समैन रहे.
स्टेडियम में लगे थे पिता
ग्राउंड्समैन के तौर पर दिलीप चौहान और उनका परिवार स्टेडियम परिसर में ही रहने लगे थे. अपने पिता को स्टेडियम में काम करते हुए और क्रिकेटरों को हर दिन खेलते हुए देखकर, सौरव को बचपन से ही खेल के प्रति गहरा प्यार हो गया. सात साल की उम्र में, सौरव के पिता दिलीप चौहान ने उनका नाम स्थानीय कोच तारक त्रिवेदी की क्रिकेट कोचिंग अकादमी में दे दिया. ये कोचिंग क्लास स्टेडियम में होती थीं.
कोच को है गर्व
सौरव के कोच तारक त्रिवेदी ने टीओआई को बताया, "वह बहुत प्रतिभाशाली बाएं हाथ के विकेटकीपर हैं और कभी-कभार गेंदबाजी भी करते हैं. उन्होंने अंडर-14 गुजरात टीम में खेला और अच्छे रन बनाए. मुझे खुशी है कि आईपीएल नीलामी में आरसीबी ने सौरव को चुना है."
वहीं सौरव के पिता दिलीप ने कहा कि यह उनके और उनके पूरे परिवार के लिए गर्व का क्षण है. वे कहते हैं, "पिछली दो आईपीएल नीलामी में सौरव अनसोल्ड रहे थे. जब भी उन्हें पता चलता था कि उन्हें नीलामी में नहीं चुना गया है, तो वह टेलीविजन बंद कर देते थे और मैदान पर जाकर प्रैक्टिस करना शुरू कर देते थे. लेकिन हर अस्वीकृति पर वह एक क्रिकेटर के रूप में खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करते रहे. अब सौरव को विराट कोहली जैसे क्रिकेट के दिग्गजों से सीखने को मिलेगा.
मां ने सुनाई खुशखबरी
मंगलवार को, सौरव नीलामी को करीब से देख रहे थे, लेकिन जब दो राउंड तक उन्हें नहीं खरीदा गया तो वह अपने कमरे में चले गए. बाद में, उनकी मां ने उन्हें खुशखबरी सुनाकर जगाया. सौरव कहते हैं, "मैंने इस साल दो शिविरों में भाग लिया है. एक दिल्ली कैपिटल्स का था और दूसरा आरसीबी का. मैं बहुत खुश हूं कि मुझे आरसीबी में चुना गया. मैं अपनी सफलता अपने कोच तारक त्रिवेदी, अपने माता-पिता और गुजरात को समर्पित करना चाहता हूं. क्रिकेट एसोसिएशन ने मेरी बहुत मदद की है.”