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Inspirational: जुवेनाइल होम से निकल रहे हैं स्पोर्ट्स चैंपियंस, चैस, कैरम से लेकर मिल रही बास्केटबॉल तक की ट्रेनिंग

अगर कोई बच्चा अपराधिक गतिविधियों में शामिल हो जाए तो पूरा समाज बच्चे को हीन भावना से देखने लगता है. और जुवेनाइल होम जाने पर तो लोग समझते हैं कि अब यह अपराधी ही बनकर लौटेगा. लेकिन हैदराबाद के जुवेनाइल होम इस बात को गलत साबित कर रहे हैं क्योंकि यहां पर इन बच्चों को स्पोर्ट्स से जोड़ा जा रहा है ताकि उनकी जिंदगी संवर सके.

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हैदराबाद के चंचलगुडा में स्थित एक सरकारी बाल आश्रय से कुछ ऐसी कहानियां सामने आ रही हैं जो हम सबके लिए प्रेरणा हैं. यहां पर रहने वाले बच्चों को अलग-अलग स्पोर्ट्स के लिए प्रोफेशनली ट्रेनिंग दी जा रही है. और यह पहल इन बच्चों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लेकर आ रही है. इन बच्चों को किसी न किसी अपराध के तहत गिरफ्तार करके जुवेनाइल होम भेजा गया और अब ये बच्चे अपनी एनर्जी स्पोर्ट्स में लगाकर अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं. 

चंचलगुडा घर में रहने वाले आकाश (बदला हुआ नाम) 15 साल की उम्र में चोरी के अपराध में यहां आए थे. और अब 17 साल की उम्र में राज्य स्तरीय कैरम चैंपियन हैं. आकाश 13 से 18 वर्ष के बीच रेस्क्यू और रिहैबिलेट 60 बच्चों में से एक हैं. हैदराबाद में ऐसे पांच घरों में रखे गए लगभग 200 किशोरों को तीरंदाजी, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, हैंडबॉल, शतरंज और कैरम सहित अन्य खेलों में ट्रेनिंग दी जा रही है. इनमें से कई खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर टूर्नामेंटों में हिस्सा ले चुके हैं.

जुवेनाइल होम ने बदली जिंदगी 
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में आकाश चोरी करते पकड़ा गया था. अपराध में फंसे ज्यादातर किशोरों की तरह, उसे भी पता नहीं था कि उसका जीवन किस ओर जा रहा है. ऐसे में, हैदराबाद में राज्य संचालित किशोर आश्रयों से जुड़ी एक पहल, चिल्ड्रन इन नीड ऑफ केयर एंड प्रोटेक्शन (सीएनसीपी) ने उन्हें कैरम में अपनी रुचि खोजने में मदद की. आकाश अपनी सौतेली मां के साथ रहता था, जो हर दिन उनके साथ दुर्व्यवहार करती थी. वह घर से भाग गया और अपराध में शामिल हो गया. लेकिन अब उसे खुशी है कि वह पकड़ा गया. क्योंकि अगर वह नहीं पकड़ा जाता तो उसकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव कभी नहीं आता.  

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आकाश की तरह ही अहमद की कहानी है. साल 2023 की शुरुआत तक, 16 वर्षीय अहमद एक बाल मजदूर था. उसे रेस्क्यू किया गया और यहां आकर उसे पता चला कि उसमें तीरंदाजी की प्रतिभा है. अब वह अपने आयु वर्ग में तेलंगाना का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रीय स्तर के तीरंदाज हैं. हाल ही में, गुजरात में तीरंदाजी चैंपियनशिप में 800 प्रतियोगियों के बीच अहमद 150वें स्थान पर रहे. 

तीन घंटे करते हैं प्रैक्टिस
इन बच्चों को प्रशिक्षित करने वाले तीरंदाज़ी और बास्केटबॉल प्रशिक्षकों का कहना है कि कई बच्चें तो इतने प्रतिभाशाली हैं कि लगता है ये बच्चे पहले क्यों नहीं मिले. हर दिन बच्चे कम से कम तीन घंटे प्रैक्टिस करते हैं. सभी बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन यह संस्था ऐसी टीमें बनाना चाहती है जो टूर्नामेंट में भाग ले सकें.  

कुछ बच्चों ने फोटोग्राफी, कोडिंग और 3डी प्रिंटिंग सीखी है. इनमें से ज्यादातर बच्चे टूटे हुए परिवारों से आते हैं, इससे उन्हें टीम वर्क की सराहना करने, आत्म-सम्मान बनाने और अवसाद, अकेलेपन और गुस्से से लड़ने में मदद मिलती है.