कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के मुंडगोड की गोवली समुदाय की रहने वाली 19 साल की नयना जी कोकरे ने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बाधाओं को पार कर लिया है. वह अब जून 2023 में दक्षिण कोरिया में होने वाले एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली हैं. महज 16 साल की उम्र में जब नयना गांव के एक एथलेटिक्स टूर्नामेंट के दौरान नंगे पांव दौड रही थीं, तब उनपर सबकी नजर पड़ी.
नीतीश ने खोला युवा प्रतिभाओं के लिए फाउंडेशन
2016 में नीतीश एम चिनिवार ने ब्रिटेन में अपनी नौकरी छोड़ दी और ब्रिजेज ऑफ स्पोर्ट्स फाउंडेशन शुरू करने के लिए भारत आ गए थे. नितीश वहां एक मोटरस्पोर्ट्स कंपनी के लिए काम कर रहे थे और उन्होंने महसूस किया कि भारत में कई सारी छिपी हुई प्रतिभाएं हैं. व्यापक शोध के बाद, उन्होंने अलग-अलग समुदायों की युवा प्रतिभाओं की पहचान करने के उद्देश्य से फाउंडेशन स्थापित करने का निर्णय लिया. ये वो लोग हैं जिनपर अक्सर दूसरों का ध्यान नहीं जाता है.
बैंगलोर मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, नीतीश ने 2016 से 2018 तक तीन राज्यों: ओडिशा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में दो साल का सर्वेक्षण किया. वे कहते हैं “हमने विभिन्न समुदायों के 8,000 बच्चों के साथ काम किया. इस डेटा के आधार पर, हमने उत्तर कन्नड़ में मुंडगोड क्षेत्र का चयन किया क्योंकि वहां के बच्चों ने बहुत तेजी से अपनी विशेषताएं दिखाई.”
कैसे हुई नयना की खोज?
2019 में, कोविड की चपेट में आने से पहले, फाउंडेशन ने कम्युनिटी में रनिंग चैंपियनशिप का आयोजन किया. नंगे पांव दौड़ने वाली नयना ने प्रतियोगिता में भाग लिया और दूसरा स्थान हासिल किया. नितीश कहते हैं, “उस समय अत्यधिक गर्मी के बावजूद, नयना ने नंगे पैर दौड़ना चुना और दूसरे स्थान पर रही. हमने तब उसे ट्रेनिंग प्रोसेस में शामिल करने का फैसला किया और दुनिया भर के ट्रेनर्स के साथ सहयोग किया, जिन्होंने 30 से अधिक ओलंपिक पदक जीतने वाले एथलीटों को प्रशिक्षित किया था.”
तीन से चार महीने के प्रशिक्षण के भीतर, नयना ने तिरुपति में अंतर-जिला जूनियर एथलेटिक्स मीट में भाग लिया, जहां 5,000 से अधिक बच्चों ने ट्रैक और फील्ड टूर्नामेंट में भाग लिया. उसने फाइनल में जगह बनाई, हालांकि वह दूसरे स्थान पर रही.
नयना ने जीते कई मेडल
जब नयना की ट्रेनिंग शुरू हुई तो उन्होंने केवल तीन महीने की ट्रेनिंग के साथ कई अन्य प्रतिभागियों के बीच फाइनल के लिए क्वालीफाई किया. नयना ने मुंडगोड में अपनी ट्रेनिंग जारी रखी और खेल में ट्रेनिंग और शिक्षा के बारे में अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए टीम ने अमेरिका में ALTIS के साथ सहयोग किया. लॉकडाउन के दौरान 2020 तक ट्रेनिंग चलती रही. 2021 में, नयना ने एथलेटिक फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा नई दिल्ली में आयोजित 400 मीटर दौड़ में भाग लिया. वहां उन्होंने 1.3 मिनट के समय के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता.
इसके बाद उन्होंने एक महीने के कैंपेन के लिए यूके की यात्रा की, जहां ALTIS और फाउंडेशन के कोचों ने उन्हें प्रशिक्षित किया. उन्होंने कर्नाटक राज्य जूनियर एथलेटिक मीट टूर्नामेंट में भाग लिया और 200 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद, उसने दक्षिण क्षेत्र के लिए क्वालीफाई किया, जहां उसने ब्रॉन्ज मेडल जीता. उन्होंने आगे गुवाहाटी में आयोजित नेशनल्स के लिए क्वालीफाई किया और सिल्वर मेडल हासिल किया.
लंबी ट्रेनिंग के बाद हासिल किया ये मुकाम
नयना ने लंबी ट्रेनिंग के बाद दक्षिण कोरिया में अंडर 20 एशिया एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया. 200 मीटर दौड़ वर्ग में 24.28 सेकंड के समय के साथ भारत में तीसरे सबसे तेज युवा एथलीट के रूप में नयना क्वालीफाई कर चुकी हैं.
नयना बैंगलोर मिरर से कहती हैं, “चूंकि हम एक छोटे से समुदाय से आते हैं, बहुत से लोग कम उम्र में शादी कर लेते हैं और ड्रॉप आउट हो जाते हैं. लेकिन ब्रिजेज एंड स्पोर्ट्स फाउंडेशन के माध्यम से मुझे अपनी शिक्षा जारी रखने का मौका मिला और अब मैं धारवाड़ के जेएसएस कॉलेज में एडमिशन ले चुकी हूं. जब तक मैं प्रशिक्षण के लिए नहीं चुनी गई थी तब तक मुझे यह भी नहीं पता था कि खेल क्या होता है. मेरे पिता एक मजदूर के रूप में काम करते हैं और हमें नहीं पता था कि एक दिन मैं मेडल जीतकर वापस आऊंगी. मेरे माता-पिता बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं.”