हौसला बुलंद हो और इरादे मजबूत हो तो लक्ष्य पाने का रास्ता आसान हो जाता है. ये कहावत इशिता विश्वास पर पूरी तरह से सच साबित होती है. इशिता एक गरीब परिवार से आती हैं. लेकिन उनका लक्ष्य बहुत बड़ा है. वो खो-खो खिलाड़ी हैं और विश्व खो खो चैंपियनशिप में देश का सम्मान बढ़ाना चाहती हैं. इसके लिए पूरी तैयारी कर रही हैं. चलिए आपको इशिता विश्वास की कहानी बताते हैं.
विश्व खो खो चैंपियनशिप में मेडल जीतने का सपना-
भारत में पहली बार विश्व खो खो चैंपियनशिप का आयोजन हो रहा है. इस बार भारत की बेटी इशिता विश्वास ने इस चैंपियनशिप में देश का झंडा गाड़ने का बीड़ा उठाया है. इशिता इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही है. इसके लिए इशिता खूब मेहनत कर रही हैं. वो इस प्रतियोगिता में अपना दम दिखाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. इशिता को अपनी जीत पर भरोसा है. वो चाहती हैं कि प्रतियोगिता में मेडल जीतकर देश और पश्चिम बंगाल का नाम रोशन करें.
इशिता के कोच मिथुन सरकार का कहना है कि बचपन में जब उसके पिता ने अपनी बेटी की प्रतिभा को पहचाना तो वो उसको सिखाने के लिए मेरे पास लेकर आए. उनकी देखरेख में इशिता ने प्रैक्टिस शुरू की. वो कहते हैं कि हुगली के एक छोटे से कस्बे की बेटी विश्व स्तर पर किसी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं. यह एक सपने के साकार होने जैसा है. उसका कोच होने के नाते उन्हें गर्व है.
पिता प्लंबर, मां घरों में करती हैं काम-
इशिता का घर हुगली के चचूरा के रविंद्रनगर इलाके में है. इशिता विश्वास का परिवार काफी गरीब है. उनका घर किसी तरह से चलता है. इशिता के पिता प्लंबर बनाने का काम करते हैं. जबकि मां घरों में नौकरानी का काम करती हैं. लेकिन उन्होंने अपनी बेटी के लिए किसी तरह की कमी नहीं होने दी. बेटी के लिए हर तरह की जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई, ताकि उनकी बेटी दुनिया में उनका नाम रोशन कर सके.
इशिता जिला लेवल और नेशनल लेवल पर कई मेडल जीत चुकी है. अब इंटरनेशनल लेवल पर मेडल जीतने का सपना है. जिसे पूरा करने के लिए उसने दिन-रात एक कर दिया है.
(भोलानाथ साहा की रिपोर्ट)
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