भारत की सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने कोरिया ओपन में इतिहास रच दिया. दोनों की जोड़ी ने पहली बार ये खिताब हासिल किया है. कोरिया के येओसु में खेले गए फाइनल मुकाबले में सात्विक-चिराग की जोड़ी ने इंडोनेशिया के फजर अल्फियान और मोहम्मद रियान आर्दियांतो को 17-21, 21-13, 21-14 से हराया और खिताबी जीत दर्ज की.
सात्विक-चिराग की जोड़ी ने कई खिताब अपने नाम किए हैं. इसमें CWG में गोल्ड मेडल, थॉमस कप में गोल्ड, विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक शामिल है. सात्विक-चिराग की जोड़ी भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में ऐसा कुछ कर दिखाया है, जिसे हमारी फैंस पहली बार देख रहे हैं.
कैसे बनी सात्विक-चिराग की जोड़ी-
शुरुआती दौर में दोनों खिलाड़ी सिंगल्स में अपना करियर बनाने में जुटे थे. लेकिन दोनों खिलाड़ियों के कोच ने अपनी राय दी और दोनों की राय एक जैसी थी. इसके बाद दोनों ने एक साथ खेलने का फैसला किया. दरअसल सात्विक के कोच पुलेला गोपीचंद और चिराग के कोच उदय पवार ने कहा कि अगर दोनों जोड़ी बनाकर डबल्स खेलेंगे तो बेहतर प्रदर्शन करेंगे. सात्विक और चिराग के कोच ने उनकी प्रतिभा को पहचाना था और साथ खेलने की सलाह दी थी. सात्विक में कोर्ट में पीछे से जबर्दस्त स्मैश लगाने की क्षमता है. वह स्मैश की गति बदलकर सामने वाले खिलाड़ी को गलती के लिए मजबूर करता है. जबकि चिराग लंबे कद के हैं और उनका डिफेंस मजबूत है. दोनो खिलाड़ियों ने अपने कोच की बात मानी और साथ खेलने का फैसला किया.
बचपन में क्रिकेट खेलते थे सात्विक-
सात्विक आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी के रहने वाले हैं. उनके पिता विश्वनाथम पीटी टीचर है. वो चाहते थे कि उनका बेटा भारत के लिए खेले. शुरुआत में सात्विक क्रिकेट खेलते थे और तेज गेंदबाजी करते थे. आगे चलकर उन्होंने बास्केटबाल और एथलेटिक्स भी खेले. लेकिन जब बारी करियर चुनने की आई तो उन्होंने बैडमिंटन को अपनाया. साल 2013 में सात्विक हैदराबाद गोपीचंद अकादमी में गए. सात्विक को आलू, चावल और चिकन बिरयानी के शौकीन हैं. सात्विक तेलुगू बोलते थे. उनको हिंदी समझने में दिक्कत होती थी. जिसकी वजह से उनको चिराग के साथ जोड़ी बनाने में शुरू में दिक्कत आई. हालांकि बाद में सबकुछ ठीक हो गया.
पढ़ाई में भी अव्वल थे चिराग-
चिराग शेट्टी मुंबई में पैदा हुए थे. उनके पिता चंद्रशेखर उनको खेल में ही भेजना चाहते थे. चिराग स्कूल के दिनों में मुंबई में उदय पवार अकादमी में शामिल हुए. उसके बाद हैदराबाद में गोपीचंद अकादमी में चले गए. चिराग पढ़ाई में भी अव्वल थे. उन्होंने 10वीं में उनको 87 फीसदी और 12वीं में 85 फीसदी अंक हासिल किए थे. उनके पिता इंजीनियर हैं और उनकी मां ने कैमिस्ट्री में पीजी किया है.
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