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ब्रिज खेल के लिए मशहूर खरगोन के छोटे से गांव रायबिड़पुरा की कल्पना गुर्जर ने इटली में आयोजित विश्व स्पर्धा में जीता गोल्ड

पूरे मध्यप्रदेश से केवल इन्हीं दो लड़कियों का ही इटली के लिए चयन हुआ. इटली रवाना होने के पूर्व भगवानपुरा के निर्दलीय विधायक केदार डाबर द्वारा लड़कियों का फूल देकर स्वागत किया गया.

Kalpana Gurjar Kalpana Gurjar
हाइलाइट्स
  • विश्व में दिलाई पहचान

  • किसान और शिक्षक परिवार से हैं बेटियां

खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर छोटे से गांव रायबिड़पुरा की दो बेटियों ने सफलता का परचम इटली में लहराया. आजादी की 75 वर्षगांठ पर इटली में भारत की खिलाड़ी को सफलता मिली. इटली में चल रही विश्व ब्रिज स्पर्धा में खरगोन जिले के रायबिड़पुरा की खिलाड़ी कल्पना गुर्जर ने अंडर 26 महिला वर्ग में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता. करीब 40 देशों के 150 से अधिक खिलाड़ियों को हराकर उन्होंने ये खिताब अपने नाम किया. उनकी इस जीत से गांव में खुशी का माहौल है. मध्यप्रदेश से मात्र दो महिला खिलाड़ी कल्पना गुर्जर और विद्या पटेल का विश्व ब्रिज स्पर्धा में चयन हुआ था. इसके पूर्व डबल्स में दोनो खिलाड़ी सिल्वर मेडल जीत चुकी थी. 

विश्व में दिलाई पहचान

सामान्य तौर पर ताश के खेल को हर कोई जुआ समझ कर बुरा मानता है लेकिन 52 पत्तों के ब्रिज खेल ने खरगोन जिले के ग्राम रायबिड़पुरा को विश्व पटल पर पहचान दिलाई है. यहां के खिलाड़ी कई बार विश्व स्तरीय ब्रिज स्पर्धा में हिस्सा ले चुके हैं. इस वर्ष भी इटली में होने वाली विश्व ब्रिज चैंपियनशिप में ग्राम की दो लड़कियां विद्या पटेल और कल्पना गुर्जर का चयन हुआ है. दोनो लड़कियां इस प्रतियोगिता में टीम इंडिया की ओर से हिस्सा लिया. जबकि पूरे मध्य प्रदेश से केवल इन्हीं दो लड़कियों का ही इटली के लिए चयन हुआ. इटली रवाना होने के पूर्व भगवानपुरा के निर्दलीय विधायक केदार डाबर द्वारा लड़कियों का फूल देकर स्वागत किया गया. गांव की इन दोनों लड़कियों ने अपने बुजुर्गों से ये खेल खेलना सीखा और अब विश्व स्तर पर गांव और जिले का नाम रोशन कर रही हैं.

दोनों बेटियां 7 से 14 अगस्त तक इटली के सालसो मैगीओरे में होने वाली वर्ल्ड यूथ ब्रिज स्पर्धा में हिस्सा लेने पहुंची हैं. इस चैंपियनशिप में भारत के अलावा इटली, फ्रांस, चाइना, पोलैंड, निदरलैंड सहित करीब 40 देश के खिलाड़ी हिस्सा लिया. रायबिड़पुरा गांव के लिए ये चौथा अवसर होगा, जब यहां के खिलाड़ी विश्वस्तरीय ब्रिज प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं. इसके पहले तीन बार फ्रांस, चीन व क्रोएशिया में आयोजित विश्व प्रतियोगिता में भी विद्या व कल्पना के साथ यहां के अन्य खिलाड़ी हिस्सा ले चुके हैं.

ओटलो से विश्व स्तर का खेल
ग्राम में ब्रिज खेल की शुरुआत वर्ष 1965 में घर के बाहर बने ओटलों पर महज मनोरंजन के लिए खेलने से हुई थी. खेल की शुरुआत सैयद खान नामक वेटनरी डाक्टर ने की थी. लोगों की रुचि को देखते हुए व खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए वर्ष 2014 में ब्रिज किसान क्लब की स्थापना की गई. क्लब में स्थानीय खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाता है. क्लब में देशी-विदेशी खिलाड़ी व प्रशिक्षक आ चुके हैं. यहां फ्रांस, डेनमार्क सहित इंग्लैंड के ब्रिज प्रशिक्षक सायमंड रहकर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे चुके हैं. यहां इस खेल की प्रसिद्धि को देखते हुए माइक्रोसाफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने एक हजार डालर की राशि भेंट की थी. 700 घरों की आबादी वाले इस छोटे से गांव मे हर उम्र व वर्ग के उम्दा ब्रिज खिलाड़ी बसते हैं. यहां आज भी ओटलों पर ताश पत्तों की महफिल सजी देखने को मिलती है.

किसान और शिक्षक परिवार से हैं बेटियां
खेल के साथ पढ़ाई में भी दोनों लड़कियां बहुत अव्वल रही हैं. फिलहाल दोनों लड़कियां इंडियन ब्रिज फेडरेशन के माध्यम से बीएससी की पढ़ाई कर रही हैं. विद्या के पिता कमल पटेल एक किसान हैं. कल्पना के पिता बलिराम गुर्जर शिक्षक भी हैं. दोनों एक ही परिवार से हैं. विद्या और कल्पना ने ब्रिज खेल अपने दादा हरिराम पटेल से सीखा है. समय समय पर उन्हें भारतीय फेडरेशन का भी सहयोग मिलता रहा है.

(खरगोन से उमेश रेवलिया की रिपोर्ट)