मंसूर अली खान पटौदी एक भारतीय क्रिकेटर थे. वह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान थे और पटौदी के नौवें नवाब. टाइगर पटौदी के नाम से भी जाने जाने वाले मंसूर अली खान पटौदी भारत के अब तक के सबसे शानदार कप्तानों में से एक है.
21 साल की उम्र में उन्होंने अनोखा रिकॉर्ड कायम किया. वह सबसे कम उम्र के टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान बने. 5 जनवरी, 1941 को मध्य प्रदेश के भोपाल में जन्मे मंसूर अली, नवाब इफ्तिखार अली खान और साजिदा सुल्तान के बेटे थे. उनकी शिक्षा अलीगढ़ के एएमयू मिंटो सर्कल स्कूल, बाद में देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल, हर्टफोर्डशायर के लॉकर्स पार्क स्कूल और विनचेस्टर कॉलेज में हुई.
दुर्घटना में गंवाई एक आंख
मंसूर अली खान पटौदी ने एक दुर्घटना में अपनी एक आंख गंवा दी थी. लेकिन यह हादसा उनसे उनका हुनर नहीं छीन पाया. उन्होंने एक आंख के दम पर दुनिया को जीत लिया था. 1952 में अपने पिता की मृत्यु के बाद वह पटौदी के नौवें नवाब के रूप में गद्दी पर बैठे. क्रिकेट के प्रति उनका पैशन बहुत ज्यादा था.
साल 1961 में मंसूर अली खान पटौदी ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया. 1962 में वे भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने. उन्होंने 1961 से 75 के बीच भारत के लिए 46 टेस्ट मैच खेले. 1968 में भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ विदेश में पहला टेस्ट मैच जीता था. पटौदी ने अपना पूरा अंतर्राष्ट्रीय करियर एक ही आंख से खेला और शानदार तरीके से खेला.
वह 1974 में वह भारतीय टीम के प्रबंधक थे. वह इंडियन प्रीमियर लीग की परिषद के सदस्य थे. साल 1969 में मंसूर अली खान पटौदी ने एक आत्मकथा टाइगर्स टेल प्रकाशित की थी.
शर्मिला टैगोर में मिला जीवन का हमसफर
मंसूर अली पर उस जमाने में लाखों लड़कियां जान देती थीं. लेकिन मंसूर का दिल आया एक बंगाली लड़की पर. बताया जाता है कि शर्मिला को देखते ही मंसूर उनपर अपना दिल हार गए थे. लव बर्ड्स मंसूर अली खान पटौदी और शर्मिला टैगोर ने कुछ वर्षों तक डेटिंग करने के बाद 27 दिसंबर, 1968 को शादी की, जो उस समय भारत की सबसे चर्चित शादियों में से एक थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंसूर अली ने शर्मिला को रिझाने के लिए बहुत सी चीजें कीं. उन्होंने शर्मिला को फ्रिज तक गिफ्ट किया. और चार साल तक वह उन्हें लगातार गुलाब और लेटर भेजते रहे. उन्होंने शर्मिला के कहने पर लगातार तीन छक्के भी लगाए. लोगों ने उनके रिश्ते को लेकर बहुत सी टिप्पणी की. सबका कहना था उनका रिश्ता नहीं टिकेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने साथ में जिंदगी के 47 साल बिताए. साल 2011 में मंसूर अली का देहांत हुआ.