scorecardresearch

अभिनव बिंद्रा को देख बेटी ने पिता से मांगी शूटिंग राइफल...अब वर्ल्ड राइफल शूटिंग में गोल्ड जीतकर किया देश का नाम रोशन

हुगली के बैद्यवाटी की रहने वाली मेहुली घोष ने दक्षिण कोरिया में आयोजित वर्ल्ड राइफल शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है. अभिनव बिंद्रा को स्वर्ण पदक जीतते देख पिता से मेहुली ने मांगी थी शूटिंग राइफल.

Mehul Ghosh Mehul Ghosh
हाइलाइट्स
  • 13 साल की उम्र में शुरू की ट्रेनिंग

  • पड़ोसियों ने भी की तारीफ

आर्थिक प्रतिकूलताओं को पछाड़ते हुए निम्न मध्यवर्गीय परिवार में जन्मी हुगली की बेटी मेहुली घोष ने दक्षिण कोरिया में आयोजित वर्ल्ड राइफल शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम दुनिया में रोशन किया है. देश की बेटी के इस अभूतपूर्व सफलता पर पूरे परिवार के साथ मोहल्ले के लोग भी खुशी से झूम उठे. हुगली के बैद्यवाटी की रहने वाली मेहुली घोष के राइफल शूटिंग के खेल में अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी भी बहुत रोचक है.
 
मेहुली के पिता निमाई घोष ने बताया कि जब उनकी बेटी ने ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा को स्वर्ण पदक जीतते हुए देखा तभी से उसने पिता से जिद की कि उसके लिए एक शूटिंग राइफल खरीद कर लाएं .एक छोटे-मोटे संस्था में नौकरी करने वाले मेहुली के पिता के पास उतनी आर्थिक सामर्थ्य नहीं थी कि वह बेटी के लिए कई हजार रुपए कीमती राइफल खरीद कर लाए. लेकिन बेटी के जीत के आगे पिता ने हार मानते हुए रिश्तेदारों विशेष रूप से उसकी नानी और दोस्तों से उधार में पैसे लेकर बेटी के लिए एक राइफल खरीद कर लाकर दी.

13 साल की उम्र में शुरू की ट्रेनिंग
मां मिताली घोष ने बताया कि 13 साल की उम्र में उनकी बेटी को राइफल शूटिंग की पहली ट्रेनिंग हुगली के श्रीरामपुर में राइफल ट्रेनिंग क्लब में मिली. जिसके बाद राइफल शूटिंग के जाने-माने प्रशिक्षक जयदीप कर्मकार के सहयोग से कोलकाता के न्यूटाउन राइफल शूटिंग क्लब में प्रशिक्षण लेने लगी. इसके बाद जाने-माने प्रशिक्षक विभाशन गांगुली की देखरेख में उसने हैदराबाद राइफल शूटिंग की तकनीकी ट्रेनिंग प्राप्त करना शुरू कर दिया . बस क्या था एक के बाद एक नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने के बाद अंततः मेहुली घोष ने दक्षिण कोरिया में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग के मिक्स इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर पूरे दुनिया में भारत के प्रतिभा का परचम लहरा दिया.

पड़ोसियों ने भी की तारीफ
पड़ोस में रहने वाली आंटी व्रतती मजूमदार ने बताया कि बचपन से ही मेहुली में एकाग्रता और लगन कूट-कूट कर भरी थी. उसे बचपन से ही गीत और संगीत, नित्य व कला में भी काफी रुचि थी. पढ़ाई-लिखाई में भी मेहुली का प्रदर्शन काफी अच्छा था. माता-पिता और परिजनों को आशा और विश्वास है कि हुगली की बेटी ओलंपिक चैंपियन अभिनव बिंद्रा की तरह 1 दिन स्वर्ण पदक जीतकर बंगाल और देश का नाम रोशन करने में जरूर कामयाब होगी. बेटी के वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने की खबर से परिवार और मोहल्ले में खुशी की लहर दौड़ गई. परिवार को अब विश्व विजय बेटी के घर वापस लौटने का इंतजार है .लेकिन उसके पिता ने बताया कि ओलंपिक की तैयारी के लिए मेहुली सीधे घर ना आकर हैदराबाद अपने प्रशिक्षण केंद्र जाएगी .जीत के बेटी के घर ना आने का मलाल तो माता-पिता को है. लेकिन इस बात का फक्र है कि उनकी बेटी अपने सपने को पूरा करने एवं देश और उनका सीना गर्व से चौड़ा करेगी. इसके साथ ही वो आगे के बड़े चैलेंज को स्वीकार करने के लिए भी अग्रसर हो रही है.

(भोला नाथ साहा की रिपोर्ट)