भारतीय हॉकी टीम की दीवार माने जाने वाले दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश की जगह भरने के लिए युवा खिलाड़ी तैयार हैं. ये खिलाड़ी टीम के लिए मैदान पर नई दीवार बन सकते हैं. एशियन हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी में इसकी झलक भी दिखाई दी. इस दौरान भारतीय टीम के गोलकीपर कृष्ण बहादुर पाठक और सूरज करकेरा ने शानदार खेल दिखाया. पूरे टूर्नामेंट में भारत के खिलाफ सिर्फ 5 गोल हुए. जबकि भारतीय टीम की तरफ से 26 गोल किए गए. चलिए आपको भारतीय टीम की नई Wall बनने की राह पर चल पड़े 2 गोलकीपर के बारे में बताते हैं, जिसने विरोधी टीम के गोल करने के प्रयासों को नाकाम कर दिया.
कृष्ण बहादुर और सूरज का शानदार खेल-
कृष्ण बहादुर पाठक और सूरज करकेरा को भारतीय हॉकी टीम की गोलकीपर की जिम्मेदारी सौंपी गई. दोनों खिलाड़ियों ने इस पूरे टूर्नामेंट में शानदार खेल दिखाया. भारत ने इस टूर्नामेंट में सभी 7 मुकाबलों में जीत हासिल की. इस जीत में दोनों गोलकीपर की अहम भूमिका रही. भारतीय टीम ने इन मैचों में 26 गोल किए. जबकि विरोधी टीमों ने भारत के खिलाफ सिर्फ 5 गोल किए.
इस टूर्नामेंट के पहले मैच में चीन के खिलाफ भारत ने 3-0 से जीत हासिल की. जबकि दूसरे मैच में जापान को 5-1 से हराया. तीसरे मैच में मलेशिया के खिलाफ भारत ने 8 गोल किए. जबकि मलेशिया की टीम सिर्फ एक गोल कर पाई. चौथे मैच में भारतीय टीम ने कोरिया को 3-1 से हराया. 5वें मैच में पाकिस्तान को 2-1 से मात दी. सेमीफाइनल मुकाबला भारत और कोरिया के बीच खेला गया. जिसमें भारत ने 4-1 से जीत दर्ज की. फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने 1-0 से जीत हासिल की. भारतीय हॉकी टीम ने इस टूर्नामेंट के सभी मैचों में जीत हासिल की.
हर मैच में कृष्णा बहादुर पाठक पहले और तीसरे क्वार्टर में गोलकीपिंग की, जबकि सूरज करकेरा ने दूसरे और चौथे क्वार्टर में गोलकीपर की भूमिका निभाई. हॉकी के 210 मिनट में सूरज करकेरा ने एक भी गोल नहीं खाया. कोरिया के खिलाफ मैच में सूरज को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था.
कौन हैं कृष्ण बहादुर पाठक-
27 साल के हॉकी गोलकीपर कृष्ण बहादुर पाठक का जन्म पंजाब के कपूरथला में हुआ. वो नेपाली मूल के हैं. उनके माता-पिता साल 1990 में नेपाल से पंजाब चले गए थे. कृष्ण बहादुर की हॉकी में कोई रुचि नहीं थी. लेकिन पिता के कहने पर 12 साल की उम्र में हॉकी अकादमी में शामिल हुए थे. उनके पिता क्रेन ऑपरेटर थे. साल 2016 में कृष्ण बहादुर के पिता की मौत हो गई थी. साल 2018 में कृष्ण बहादुर को भारत की सीनियर टीम में चुना गया. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. पाठक टोक्यो ओलंपिक 2020 में रिजर्व गोलकीपर थे. पाठक को जनवरी 2024 में अर्जुन पुरस्कार मिला था.
कौन हैं सूरज करकेरा-
27 साल के सूरज करकेरा का जन्म 14 अक्तूबर 1995 को मुंबई में हुआ. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई मलाड में हुई. उन्होंने साल 2017 में रिजवी कॉलेज से कॉमर्स में डिग्री हासिल की. करकेरा को साल 2015 में जूनियर टीम में मौका मिला था. लेकिन साल 2016 में सूरज को सीनियर टीम में शामिल किया गया. सूरज करकेरा साल 2017 में एशिया कप में भारत के गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम के हिस्सा थे.
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