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Mihir Sen: वह तैराक जिसने महासागरों को फतह कर रचा था इतिहास, एक-दो नहीं इतने सारे रिकॉर्ड्स बना इंडिया के नाम को दुनिया में किया रोशन

मिहिर सेन ने इंग्लैंड में एक महिला तैराक के बारे में पढ़ा, जिसने इंग्लिश चैनल तैरकर पार किया था. उसके बारे में पढ़कर सेन इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने भी ऐसा ही कुछ करने की ठान ली. वहां से उनकी सर्वश्रेष्ठ तैराक बनने की यात्रा शुरू हुई.

Mihir Sen (photo social media) Mihir Sen (photo social media)
हाइलाइट्स
  • 14 घंटे और 45 मिनट में इंग्लिश चैनल को पार करने वाले पहले एशियाई थे मिहिर सेन

  • सॉल्ट वाटर तैराकी में बनाए थे पांच महत्वपूर्ण रिकॉर्ड 

कहते हैं सफलता किसी की मोहताज नहीं होती. मेहनत से आगे बढ़ने वालों को कोई भी बाधा रोक नहीं सकती है. अगर ठान लिया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है. जी हां, ऐसा कर दिखाया भारतीय तैराक मिहिर सेन ने. इंग्लिश चैनल को तैरकर पार करने से लंबी दूरी की तैराकी के अपने अभियान की शुरुआत करने वाले मिहिर सेन ने अपनी हिम्मत और दृढ़ निश्चय से महासागरों को पार करने में सफलता हासिल की. आइए आज पांच महाद्वीपों के सातों समुद्रों को तैरकर पार करने वाले मिहिर सेन के बारे में जानते हैं. 

ऐसे सर्वश्रेष्ठ तैराक बनने की यात्रा हुई शुरू 
16 नवंबर 1930 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में एक ब्राह्मण परिवार में मिहिर सेन का जन्म हुआ था. इनके पिता का नाम डॉ. रमेश सेनगुप्ता और माता का नाम लीलावती था. ओडिशा में कानून से स्नातक की डिग्री प्राप्त की. आगे की पढ़ाई के लिए वह इंग्लैंड चले गए. इंग्लैंड में उन्होंने एक महिला तैराक के बारे में पढ़ा, जिसने इंग्लिश चैनल तैरकर पार किया था. उसके बारे में पढ़कर सेन इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने भी ऐसा ही कुछ करने की ठान ली. वहां से उनकी सर्वश्रेष्ठ तैराक बनने की यात्रा शुरू हुई.

बस तैरना चाहते थे और जीतना चाहते थे
पूरी दुनिया को और खासकर यूरोप को दिखा देना चाहते थे कि भारतीय कितने सक्षम हैं. ऐसा करने के लिए वे बस तैरना चाहते थे और जीतना चाहते थे. मिहिर सेन को प्रसिद्धि मिली जब उन्होंने साल 1958 में द इंग्लिश चैनल को तैरकर पार किया. 27 सितंबर, 1958 को 14 घंटे और 45 मिनट में इंग्लिश चैनल को पार करने वाले वे पहले भारतीय और पहले एशियाई भी बने. साल 1966 में वे तैराकी से हर महाद्वीप में जल निकायों को पार करने वाले पहले व्यक्ति बन गए. मिहिर सेन एक कैलेंडर वर्ष में पांच अलग-अलग महाद्वीपों के पांच अलग-अलग समुद्रों में तैरने वाले पहले भारतीय थे. 

डारडेनेल्स को पार करने वाले विश्व के प्रथम व्यक्ति थे
मिहिर ने श्रीलंका के तलाईमन्नार से भारत के धनुषकोटि तक 25 घंटे 44 मिनट में टारगेट पूरा किया. इसके बाद मिहिर ने 24 अगस्त, 1966 को आठ घंटे एक मिनट में जिब्राल्टर डार-ई-डेनियल को पार किया. यह चैनल स्पेन और मोरक्को के बीच है. जिब्राल्टर को तैरकर पार करने वाले मिहिर सेन पहले एशियाई तैराक थे. 12 सितंबर, 1966 को उन्होंने डारडेनेल्स को तैरकर पार किया. डारडेनेल्स को पार करने वाले वे विश्व के प्रथम व्यक्ति थे.

पनामा कैनाल को लंबाई में तैरकर किया पार
मिहिर ने 29 अक्टूबर, 1966 को पनामा कैनाल को लंबाई में तैरकर पार करना शुरू किया. इस पनामा कैनाल को पार करने के लिए उन्होंने 34 घंटे 15 मिनट तक तैराकी की. लगता था कि उन्होंने सभी सात समुद्रों को तैर कर पार करने की जिद ठान ली है और वास्तव में उन्होंने अनेक समुद्र पार करके साल 1966 में 5 नए कीर्तिमान स्थापित किए.

मिला पुरस्कार, गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज
मिहिर सेन ने एक ही कैलेंडर वर्ष में 6 मील लम्बी दूरी की तैराकी करके नया कीर्तिमान स्थापित किया. पांच महाद्वीपों के सातों समुद्रों को तैरकर पार करने वाले मिहिर सेन विश्व के प्रथम व्यक्ति थे. भारत सरकार ने मिहिर को 1959 में पद्मश्री और 1967 में पद्मभूषण पुरस्कार से नवाजा. मिहिर के नाम पर गिनीज बुक में कई वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हैं. 11 जून, 1997 को मिहिर सेन का कोलकाता में 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया.