ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच प्रैक्टिस मैच के दौरान राजीव गांधी स्टेडियम में पाकिस्तान का सिर्फ एक झंडा लहरा रहा था और इसे लहराने वाले थे मोहम्मद बशीर, जिन्हें क्रिकेट जगत में चाचा शिकागो के नाम से जाना जाता है. स्टेडियम में उनकी आवाज़ सबसे ऊंची थी. 66 वर्षीय बशीर का कहना है कि अब वह बूढ़े हो रहे हैं, तीन बार दिल का दौरा झेल चुके हैं. लेकिन उनका खेल के प्रति जुनून कम नहीं हुआ है.
बशीर क्रिकेट विश्व कप में एक जाना-पहचाना चेहरा हैं. क्योंकि 2007 के बाद से एक भी वर्ल्ड कप नहीं है जो उन्होंने स्टेडियम में न देखा हो. उन्होंने दुनिया के लगभग हर क्रिकेट शहर में जाकर सैकड़ों खेल देखे हैं. भले ही उनकी पाकिस्तानी टीम खिताब नहीं जीती हो लेकिन बशीर ने दुनियाभर में लोगों के दिल जीते हैं.
पाकिस्तान के इस अकेले फैन को मिला वीजा
इस बार भारत-पाकिस्तान के तनावों के कारण पाकिस्तानी फैन्स को भारत में वीजा मिलना बहुत मुश्किल है. ऐसे में, बशीर पाकिस्तान के एकमात्र फैन हो सकते हैं जो विश्व कप टूर्नामेंट की शुरुआत से मैच देखेंगे. बशीर के पास अमेरिकी पासपोर्ट है और इसलिए उन्हें वीजा हासिल करने में कोई परेशानी नहीं हुई. बशीर को उम्मीद है कि पाकिस्तान से और फैन्स आएंगे क्योंकि पीसीबी ने स्पष्ट रूप से आईसीसी से इस प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध किया है.
लेकिन बशीर अकेले ही अपनी टीम का हौसला बढ़ाने के लिए काफी हैं. वह पूरी ताकत से अपने खिलाड़ियों को मोटिवेट करते हैं और अकेले चिल्लाने में भी उन्हें कोई डर नहीं लगता है. उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह “जीतेगा भाई जीतेगा” का नारा लगाना शुरू करते हैं और रूक जाते हैं, और इसके बाद भीड़ हिंदुस्तान जीतेगा का नारा लगाती है. वह भी लोगों के साथ नारा लगाते हैं और हंसी-मजाक करते हैं. आखिर में लोगों को गले लगाकर, एक सेल्फी लेकर मैदान से बाहर जाते थे. उन्होंने इसी तरह हर तरफ अपने दोस्त बनाए हैं.
क्रिकेट के दीवाने हैं बशीर
बशीर का कहना है कि वह पाकिस्तान का प्रशंसक होने के साथ-साथ क्रिकेट और क्रिकेटरों के भी प्रशंसक हैं. इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि देश से वह अकेले हैं या हजारों लोग हैं. वह कोहली को देखना उतना ही पसंद करते हैं जितना कि बाबर से प्यार करते हैं. उनके पसंदीदा क्रिकेटर एमएस धोनी हैं और उनके संन्यास लेने के बाद बशीर ने सोचा था कि वह टूर्नामेंट के लिए नहीं आएंगे. लेकिन वह भारत में विश्व कप देखने से खुद को नहीं रोक सके.
यह उनकी भारत की तीसरी यात्रा है. दिलचस्प बात है कि बशीर की जड़ें भारत के हैदराबाद से जुड़ी हैं. उनके माता-पिता बंटवारे के समय हैदराबाद से कराची चले गए थे. फिर उन्होंने हैदराबाद की ही एक लड़की से शादी कर ली. तो वह खुद को हैदराबाद शहर का दामाद बताते हैं और इसे अपना घर समझते हैं. अपनी पत्नी के लिए वह आमतौर पर एक टी-शर्ट पहनते हैं जिस पर उनकी तस्वीर है और लिखा है- 'जिस देश में गंगा बहती है उस देश की मेरी बीवी है.'
अमेरिका में चलाते हैं बिरयानी रेस्टोरेंट
बशीर और उनकी पत्नी शिकागो में ग़रीब नवाज़ नामक एक रेस्टोरेंट चेन के मालिक हैं. उनकी सिग्नेचर डिश हैदराबादी बिरयानी है, जिसे वे सस्ती दर पर बेचते थे. वे कहते हैं कि अगर उनका व्यवसाय फल-फूल नहीं रहा होता तो वह क्रिकेट देखने के लिए दुनिया भर में नहीं जा पाते.
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