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National Sports Day: हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को हिटलर ने दिया था यह ऑफर

National Sports Day: 1936 के बर्लिन ओलंपिक में जर्मन तानाशाह हिटलर ने मेजर ध्यान चंद के खेल से प्रभावित होकर उन्हें एक खास ऑफर दिया था. जिसके लिए ध्यान चंद सामने से मना कर दिया था.

Major Dhyan Chand and Adolf Hitler Major Dhyan Chand and Adolf Hitler
हाइलाइट्स
  • 1936 में भारतीय हॉकी टीम ने जीता था गोल्ड मेडल

  • ध्यान चंद के खेल ने जीत लिया था हिटलर का दिल

महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को सम्मानित करने के लिए हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. यह दिन देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोगों को खेलों में भाग लेने और स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है. इस दिन, देश भर में कई खेल प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम होते हैं, और एथलीटों को उनकी उपलब्धियों के लिए ट्रॉफी से सम्मानित किया जाता है. 

मेजर ध्यान चंद के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है. आज भी वह खिलाड़ियों को प्रेरित कर रहे हैं. आज हम आपको बता रहे हैं मेजर ध्यान चंद से जुड़े एक अनोखे किस्से के बारे में. यह किस्सा है साल 1936 के बर्लिन ओलंपिक का, जो भारत के सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी, मेजर ध्यानचंद और सबसे बड़े तानाशाह - एडॉल्फ हिटलर के साथ जुड़ा है. 

भारतीय हॉकी टीम ने जीता था गोल्ड मेडल 
साल 1936 राजनीतिक विकास का वर्ष था, दुनिया भारी आर्थिक मंदी से गुजर रही थी, लेकिन जर्मनी अपनी सभी तकनीकी और सैन्य ताकत के साथ अपनी वित्तीय स्थिति को संभाल रहा था. एडोल्फ़ हिटलर जर्मनी को सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करना चाहता था और 1932 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक से आगे निकलने के लिए उसने कोई कसर नहीं रखी.

भारत की हॉकी टीम दुनिया की किसी भी टीम से बेजोड़ थी. टीम इंडिया ने बर्लिन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता. लेकिन विशेष बात यह रही कि भारतीयों ने 38 गोल किए और उनके खिलाफ केवल एक गोल हो पाया. फाइनल में भारत का सामना नाजी जर्मनी से हुआ जहां उन्होंने जर्मन टीम को 8-1 से हराया और स्वर्ण पदक हासिल किया. यह मैच 15 अगस्त 1936 को खेला गया था - एक ऐसी तारीख जो बाद में भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण बन गई. 

हिटलर ने दिया यह ऑफर
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ने भारत के लिए आठ में से छह गोल किये थे. एडॉल्फ हिटलर फाइनल में मौजूद थे और वह ध्यानचंद के खेल के प्रदर्शन से पूरी तरह प्रभावित थे. खेल के बाद हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मन सेना में पोस्ट देने का ऑफर दिया. लेकिन मेजर ध्यानचंद ने अपने पूरे गौरव के साथ तानाशाह से कहा कि, 'भारत बिकाऊ नहीं है.' यह वाकया पूर्व भारतीय हॉकी कोच सैय्यद अली सिब्तैन नकवी ने मीडिया को सुनाया था. 

नकवी के मुताबिक, पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान यह हुआ था और ध्यानचंद कुछ सेकंड के लिए चुप थे, यहां तक ​​​​कि खचाखच भरे स्टेडियम में भी सन्नाटा छा गया और उन्हें डर था कि अगर ध्यानचंद ने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो तानाशाह उन्हें गोली मार सकता है. लेकिन ध्यान चंद ने हिटलर को जवाब दिया था. उन्होंने बंद आंखों से लेकिन एक भारतीय सैनिक की साहसी आवाज में कि 'भारत बिकाऊ नहीं है.' ऐसा कहा जाता है कि ध्यानचंद को 'हॉकी के जादूगर' की उपाधि एडोल्फ हिटलर ने दी थी.