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लवलीना-निकहत के नाम एक और सलाम का खत ! एक बार फिर धाकड़ लड़कियों ने बढ़ाया देश का गौरव, CWG 2022 में खेलना पक्का

निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहेन, दोनों को ही सिलेक्शन ट्रायल में CWG 2022 का टिकट मिल गया है. दोनों ही CWG 2022 में इस बार मुक्कों की बौछार करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

लवलीना-निकहत ने बढ़ाया देश का गौरव लवलीना-निकहत ने बढ़ाया देश का गौरव
हाइलाइट्स
  • निकहत-लवलीना को मिला CWG 2022 का टिकट

  • दोनों धाकड़ लड़कियों ने एक बार फिर बढ़ाया देश का मान

बिना तकलीफ, बिना संघर्ष जीने में क्या है खाक मजा... थम जाते हैं बड़े-बड़े तूफ़ान, जब लगी हो आग सीने में. देश की दो धाकड़ लड़कियां बार-बार इस बात की गवाही दे रही हैं कि मेहनत करने से आपके सपने जरूर पूरे होते हैं. हम बात कर रहे हैं निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहेन की, जिन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में अपनी जगह पक्की कर ली है. दोनों को ही सिलेक्शन ट्रायल में CWG 2022 का टिक्कट मिल गया है और दोनों ही इस बार मुक्कों की बौछार करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. 

डिफेंडिंग वर्ल्ड चैंपियन निकहत जरीन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन ने शनिवार को चयन ट्रायल में शानदार जीत हासिल की. दो बार की स्ट्रैंड्जा मेमोरियल गोल्ड मेडलिस्ट निकहत ने हरियाणा की मीनाक्षी को 7-0 से हराया, जबकि लवलीना ने भी रेलवे की पूजा को इसी अंतर के साथ करारी शिकस्त दी. 

निकहत का शून्‍य से शिखर तक का सफर 

निकहत ने अपनी जिंगरी में हर तरह की तकलीफें देखी और उनका बखूबी सामना भी किया. उनकी मेहनत, हिम्‍मत और कभी ना हारने वाले जज्‍बा ही है, जिसकी वजह से वह आज इस मुकाम तक पहुंची हैं. निकहत का जन्म तेलंगाना के निजामाबाद शहर में हुआ था. हर किसी की जिंदगी में कोई न कोई ऐसा होता है, जो उनके सपनों को पूरा करने के लिए हर दम आगे रहता है. निकहत की जिंदगी में उनके चाचा शमशामुद्दीन वह शख्स है, जिन्होंने निकहत को बॉक्सिंग की दुनिया से रूबरू कराया और आज वह इस मुकाम पर हैं. 

एक मुस्लिम परिवार से होने की वजह से खेल में करियर बनाने के बारे में सोचना उनके लिए और ज्यादा मुश्किल था लेकिन, उनके पिता एक खिलाड़ी रहे हैं, जोकि उन्हें भी बॉक्सिंग करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे थे. हालांकि, उस समय निकहत की मां ने थोड़ा ऐतराज जताया था. निकहत जरीन ने मुक्‍केबाजी में अपने करियर की शुरूआत 2010 में की थी, तब वह महज 14 साल की थीं. तब ही उन्होंने इरोड के राष्‍ट्रीय सब-जूनियर मीट में गोल्ड मेडल जीत अपने इरादों को और पक्का कर लिया था.  

इसके बाद साल 2011 में, निखत ने तुर्की में आयोजित AIBA महिला जूनियर और युवा विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में फ्लाईवेट में एक बार फिर गोल्ड मेडल हासिल किया. इसके बाद तो उन्होंने रुकने का नाम नहीं लिया, 2014 में यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप सिल्वर मेडल जीता, इसी साल नेशनल कप इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में 51 किलोग्राम भार वर्ग में रूसी पाल्टसेवा एकातेरिना को हराकर फिर गोल्ड मेडल जीता. 

समय के साथ निकहत के मेडल की गिनती भी बढ़ने लगी. 2015 में असम में आयोजित 16वीं सीनियर वुमन नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में अपने पदक तालिका में एक उन्होंने एक और स्वर्ण पदक जोड़ा. इसी साल जलंधर में आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में, निकहत ज़रीन ने 'सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज' का पुरस्कार जीता. 2019 में उन्हें बड़ी सफलता हाथ लगी और जूनियर नेशनल में एक बार फिर होल्ड मेडल अपने नाम किया और 2021 में बैंकॉक में आयोजित एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया. 

असम की उभरती हुईं बॉक्सिंग स्टार

लवलीना का जन्म असम के गोलाघाट जिले में हुआ था. उनके पिता, टिकेन गोलाघाट में एक छोटे व्यवसायी हैं. लवलीना को पहले किकबॉक्सिंग में करियर बनाने के लिए उनकी बड़ी बहनों लीचा और लीमा ने प्रेरित किया था, क्योंकि वह दोनों भी खेलों में नेशनल चैंपियन रह चुकी हैं लेकिन, कहते हैं जिंदगी में कभी-कभी बदलाव आपके अच्छे के लिए होते हैं. लवलीना को किकबॉक्सिंग से बॉक्सिंग में जाने का मौका मिला और इसमें उन्होंने इतिहास ही रच डाला. 

साल 2012 से लवलीना ने बॉक्सिंग ट्रेनिंग लेना शुरू किया था. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने के बाद, उन्होंने भारत की मुख्य महिला कोच शिव सिंह के साथ ट्रेनिंग ली. 2017 में लवलीना ने एशियाई महिला चैंपियनशिप, वियतनाम में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. इसके बाद उन्हें प्रेसिडेंट कप, अस्ताना में खेलने का मौक मिला, जिसमें ब्रॉन्ज मेडल जीता. 

गेल्ड की चाहत में वह इंडियन ओपन में उतरीं और गोल्ड लेकर ही लौटीं. इसी साल एक बार फिर उन्होंने उलानबटार कप, मंगोलिया में सिल्वर मेडल हासिल किया और 2018 में सिलेसियन चैम्पियनशिप में उन्हें ब्रॉन्ज मेडल मिला. 

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